Karwa Chauth Story : भारत के त्योहारों में करवा चौथ का नाम एक अलग ही महत्व रखता है। हर शादीशुदा महिला इस दिन का बेसब्री से इंतजार करती है।
पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
रात को चांद के दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है, जो भावनाओं से भरा और रोमांचक पल होता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस व्रत की शुरुआत कब और कैसे हुई? करवा चौथ के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा छुपी है, जिसने इसे आज तक इतना खास बना दिया है?
करवा चौथ की पौराणिक शुरुआत
पौराणिक कथाओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत सबसे पहले देवी पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिला।
तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत करती आई हैं। एक अन्य कथा में कहा गया है कि देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था।
देवताओं की शक्ति कमजोर होने लगी। तब ब्रह्मदेव ने देवियों को करवा चौथ का व्रत करने की सलाह दी। देवियों ने व्रत रखा और इसके प्रभाव से देवताओं को युद्ध में विजय मिली।
यही वजह है कि यह व्रत सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते के लिए ही नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और धर्म की जीत का प्रतीक भी माना जाता है।
करवा चौथ 2025: तिथि और समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, साल 2025 में करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा।
चतुर्थी तिथि शुरू: 9 अक्टूबर, रात 10:54 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर, शाम 7:38 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5:16 बजे से 6:29 बजे तक
चंद्रोदय का समय: रात 7:42 बजे
इस समय का ध्यान रखते हुए महिलाएं पूजा और अर्घ्य देकर व्रत पूरा कर सकती हैं।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भावनाओं और रिश्तों को मजबूत करने का प्रतीक है।
महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र की दुआ करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण को और गहरा करता है।
मान्यता है कि विधि-विधान से व्रत करने पर घर में सुख-शांति बनी रहती है और जीवनसाथी पर आने वाले संकट दूर होते हैं।
यही वजह है कि करवा चौथ सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी बेहद खास है।
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