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छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव : भूमि के सुरों की थिरकन और ऊषा बारले के पंडवानी से झूम उठा राज्योत्सव स्थाल

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रायपुर 4 नवंबर (Udaipur Kiran) . Chhattisgarh राज्य की स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने पर राज्य सरकार द्वारा मनाए जा रहे रजत वर्ष के तहत Chhattisgarh की राजधानी रायपुर के नवा रायपुर में पांच दिवसीय राज्याेत्सव का आयाेजन किया गया. कार्यक्रम के तीसरे दिन Monday की देर रात संगीत, नृत्य और लोक संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिला.

Bollywood की ख्यातनाम पार्श्व गायिका भूमि त्रिवेदी ने अपनी मनमोहक आवाज़ से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने “ससुराल गेंदा फूल”, “सैय्यारा”, “राम चाहे लीला”, “झुमका गिरा रे” जय-जय शिवशंकर-कांटा लगे न कंकड़, होली खेले रघुवीरा, रंग बरसे, ये देश है वीर जवानों का..डम-डम ढोल बाजे, उड़ी-उड़ी जाएं जैसे लोकप्रिय गीतों को अपने नए अंदाज़ में प्रस्तुत कर माहौल को जोश और उमंग से भर दिया. हिंदी, Punjabी और Rajasthanी सहित अन्य राज्यों के भाषाओं के धुनों के साथ Chhattisgarhी लोकसंगीत का ताना-बाना जोड़ते हुए उन्होंने युवाओं के दिलों में संगीत की हलचल मचा दी. दर्शकों की तालियों और नृत्य से पूरा प्रांगण गूंज उठा.

पंडवानी की वीरता और सूफी संगीत की रूहानी छुअनपंडवानी की वीरता और सूफी संगीत की रूहानी छुअन

Chhattisgarh की गौरवगाथा को आगे बढ़ाते हुए पद्म ऊषा बारले ने अपने तानपुरे की झंकार और अभिव्यक्तिपूर्ण मुद्राओं से महाभारत की वीरता को जीवंत कर दिया. उनकी प्रस्तुति ने श्रोताओं को भावविह्वल कर दिया और वे देर तक मंच से नज़रें नहीं हटा सके. उन्होंने महाभारत के चीरहरण की घटनाओं को मार्मिक और ह्रदयस्पर्शी ढंग से प्रस्तुत किया.

इसके बाद सूफी पार्श्व गायक राकेश शर्मा और उनकी टीम ने “दमादम मस्त कलंदर”, “मौला मेरे मौला”, “चोला माटी के राम” जैसे गीतों से श्रोताओं को रूहानी सफर पर ले गए. उनकी साथी गायिका निशा शर्मा और कलाकारों ने भी अपने स्वर और लय से इस सूफियाना माहौल को और प्रगाढ़ बनाया.

माटी की खुशबू और लोकनृत्य की छटामाटी की खुशबू और लोकनृत्य की छटा

प्रादेशिक लोकमंच के कलाकार कुलेश्वर ताम्रकार ने नाचा के माध्यम से Chhattisgarh की माटी में रची-बसी लोकसंस्कृति को मंच पर साकार किया. उनके प्रदर्शन ने परंपरा, ऊर्जा और रचनात्मकता का ऐसा संगम रचा कि दर्शक देर तक तालियां बजाते रहे और दर्शकदीर्घा में मुस्कान के साथ थिरकते रहे.

(Udaipur Kiran) / गेवेन्द्र प्रसाद पटेल

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