कोलकाता, 10 अगस्त (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर घोषणा की कि राज्य सरकार ‘जय जौहार’ योजना के तहत तीन लाख से अधिक आदिवासी लोगों को हर महीने एक हजार रुपये की पेंशन दे रही है। उन्होंने यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर रविवार को साझा करते हुए आदिवासी समुदाय को शुभकामनाएं दीं और पिछले 14 वर्षों में राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों का उल्लेख किया।
ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार ने अलग आदिवासी विकास विभाग का गठन किया है और संथाली, कुरुख, कुड़माली, नेपाली, हिंदी, उर्दू, राजबंशी, कामतापुरी, ओड़िया, पंजाबी और तेलुगु भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया है। साथ ही सादरी भाषा के उत्थान के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हाल ही में विधानसभा में सरना/सारी धर्म की मान्यता के लिए विधेयक पारित किया गया और केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। आदिवासियों की भूमि संरक्षण के लिए नए कानून लागू किए गए हैं, जिसके तहत अब तक लगभग 19.5 लाख एसटी प्रमाणपत्र जारी किए जा चुके हैं। विभाग का बजट 2011 की तुलना में सात गुना से अधिक बढ़ाया गया है।
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि वन अधिकार अधिनियम के तहत 49 हजार आदिवासियों को व्यक्तिगत वन पट्टा और 851 सामुदायिक वन पट्टे प्रदान किए गए हैं। लगभग 36 हजार गरीब आदिवासी केन्दुपत्ता संग्रहकर्ताओं के लिए विशेष सामाजिक सुरक्षा योजना शुरू की गई है। इसके अलावा आठ विकास बोर्ड और संथाली अकादमी की स्थापना की गई है।
सरकार ने आदिवासी समुदाय के प्रमुख पर्वों—भगवान बिरसा मुंडा और पंडित रघुनाथ मुर्मू जयंती, हूल दिवस और करम पूजा—पर राजकीय अवकाश भी घोषित किया है। ममता बनर्जी ने संदेश दिया, “हम आगे भी अपने आदिवासी भाई-बहनों के विकास के लिए इसी तरह काम करते रहेंगे।”
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
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