जबलपुर, 26 मई . कोरोना महामारी के दौरान जब सारी दुनिया ठहर-सी गई थी, उसी समय मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी जबलपुर से एक अनोखी पहल श्री जानकी बैंड ऑफ विमेन ने जन्म लिया. यह बैंड पूरी तरह महिला कलाकारों से सुसज्जित है और अपने गठन के कुछ ही वर्षों में देश भर के सांस्कृतिक मंचों पर छा गया है.
जनसम्पर्क अधिकारी आनंद जैन ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि श्री जानकी बैंड ने 20 सितम्बर 2020 को अपनी पहली ऑनलाइन प्रस्तुति दी. इसके बाद से यह बैंड न केवल मध्य प्रदेश बल्कि दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के प्रमुख सांस्कृतिक आयोजनों में हिस्सा ले चुका है. इनमें खजुराहो महोत्सव, उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत अकादमी, भारत भवन, राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, संगीत नाटक अकादमी, लाल किला नई दिल्ली, भारत मंडपम, नई दिल्ली, जश्न-ए-अदब (दिल्ली) आदि प्रमुख हैं. अब तक यह बंद लगभग 150 से अधिक परफॉर्मेंस दे चुका है.
उन्होंने बताया कि श्री जानकी बैंड द्वारा प्रस्तुत गीतों और रचनाओं में विविधता देखने को मिलती है. बैंड द्वारा बुन्देली, जनजातीय, पंजाबी लोकगीत, देशभक्ति गीत, भक्ति संगीत, रविन्द्र संगीत, रंग संगीत, शास्त्रीय- उपशास्त्रीय, कबीर वाणी, गुरुवाणी, भोजपुरी गीत और कविताओं को शामिल हैं. बैंड की दो प्रतिभाशाली सदस्य सखी जैन और अंजली सोनी नेत्रहीन होते हुए भी अपनी संगीत साधना और आत्मविश्वास से सभी को प्रेरित करती हैं. वे श्री जानकी बैंड की आत्मा और संबल हैं.
इस संगीत दल में संभागीय बाल भवन जबलपुर की संगीत निदेशक एवं अनुदेशक डॉ शिप्रा सुल्लेरे, मुस्कान सोनी धोपे, मनीषा तिवारी, माही सोनी, मानसी सोनी, शालिनी अहिरवार,श्रेया ठाकुर, श्रुति जैन, उन्नति तिवारी, अंजली सोनी (नेत्र दिव्यांग), अनामिका कश्यप, अदिति पटेल, आरती दुबे, अर्पिता तिवारी, चांदनी सेन, अनामिका बाजपेई, मृणालिका विश्वकर्मा, रंजना निषाद, चेतना बेन, पलक गुप्ता, सखी जैन (नेत्र दिव्यांग) इस दल में शामिल हैं. संस्कारधानी जबलपुर के साहित्यिक सांस्कृतिक की मजबूत पृष्ठभूमि एवं संभागीय बाल भवन जबलपुर (महिला बाल विकास विभाग) की पूर्व छात्राओं का यह समूह अब नाट्य लोक संस्थान के साथ आत्मनिर्भर और सशक्त ही नहीं बल्कि एक आईकॉनिक स्वरूप ले चुका है.
तोमर
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