सिरसा, 24 अप्रैल . सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि प्रशासनिक लापरवाही से करनाल के गोदामों में रखा 97.50 करोड़ का गेहूं खराब हो गया जो खाने योग्य भी नहीं रहा है. प्रदेश के दूसरे जिलों में भी गोदामों में रखे गेहूं की जांच करवाई जाए. अधिकारियों की लापरवाही गरीबों की थाली से रोटी छीन रही है. सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
सांसद सैलजा ने गुरुवार काे कहा कि मंडी से गेहूं के उठान के बाद विभिन्न एजेंसियों के गोदाम में रखा जाता है, गेहूं के रखरखाव का एजेंसी को भुगतान किया जाता है. सरकार अगर 2400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से गेहूं खरीद कर गोदाम में रखती है तो सारे खर्च लगाकर गेहूं 3900 रुपये प्रति क्विंटल जाकर पड़ता है. मई 2024 में करनाल में जो गेहूं खरीदा गया था वह हैफेड के पांच गोदामों में रखा गया था. गोदाम में गेहूं तो रख दिया जाता हैै पर उसके रखरखाव में ढिलाई बरती जाती है, कही पर कट्टों में से गेहूं निकाल लिया जाता है उनका वजन पूरा करने के लिए पानी का छिडक़ाव किया जाता है, अधिक पानी के छिडक़ाव से गेहूं खराब हो जाता है.
सांसद सैलजा ने कहा कि करनाल जिला में नेवला, असंध और नीलोखेडी के गोदामों में रखे गेहूं में सुरसरी लगने से वह खाने लायक भी नहीं रहा. इन तीनों गोदामों में 80 प्रतिशत गेहूं खराब हो गया है ऐसा जांच में सामने आया है. खराब हुए गेहूं की कीमत 97.50 करोड़ रुपये बताई जा रही हैै. यह कहानी तो सिर्फ करनाल जिला की है अगर दूसरे जिलों में ऐसी ही लापरवाही बरती गई होगी तो न जाने कितने अरबों रुपये का गेहूं खराब हुआ होगा. सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठाते हुए दोषियों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और एक टीम का गठन करते हुए प्रदेश के दूसरे जिलों में गोदाम में रखे गेहूं की भी जांच करानी चाहिए.
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/ Dinesh Chand Sharma
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