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गंगा महोत्सव: गंगाजल और आयुर्वेद पर शोध पत्र प्रस्तुत

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हरिद्वार, 2 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिव्य गंगा सेवा मिशन और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्याल के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को दिव्य गंगा महोत्सव आयोजित किया गया।

इस अवसर पर शोध छात्रों और आचार्यों ने गंगाजल और आयुर्वेद पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए रामभद्राचार्य विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति डा.शिशिर पांडेय ने कहा कि ऐसे आयोजन की सार्थकता को और अति व्यापक स्वरूप में जनांदोलन का रूप धारण करना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण त्रिपाठी ने कहा कि आधुनिक चिकित्साशास्त्र इस बात की पुष्टि करता है कि गंगाजल में अनेक प्रकार के रोगों और व्याधियों को समाप्त करने का नैसर्गिक औषधीय गुण है। विशिष्ट अतिथि अंतर्राष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर स्वामी आशुतोष महाराज ने कहा कि गंगा के तटीय क्षेत्रों की संस्कृति विरासत आदिकाल से अन्य नदियों के किनारों पर पनपने वाली सभ्यताओं से आज भी श्लाघनीय है। यह संस्कारों की परिमार्जक और अंतर्मन की शुद्धि का साधन है।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में देशभर से आए शोध छात्रों और आचार्यों ने गंगाजल और आयुर्वेद पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम को गंगा समग्र के प्रांत संगठन मंत्री ब्रज प्रांत विजय, डा.नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर, ललित मोहन सक्सेना, उत्तराखंड की सहायक सूचना निदेशक अर्चना, आईआईटी रुड़की के सब रजिस्ट्रार महावीर सिंह वीर, प्रदीप मिश्र अजनबी सहित कई विद्वानों ने संबोधित किया और गंगा की उपादेयता और स्वच्छता की अपरिहार्यता को देश की आवश्यकता बताया। कार्यक्रम का संचालन मनीष श्रीवास्तव तथा सीमा शर्मा मंजरी ने किया।

इस अवसर पर दिव्य गंगा सेवा मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश दुबे, राष्ट्रीय संयोजक केशव पाण्डेय, राष्ट्रीय सचिव इंद्रेश शर्मा, पत्रकार डा.शिवेश्वर पाण्डेय, मंजुल चतुर्वेदी, मनोज शुक्ला, अशोक शुक्ला, विनय पाण्डेय, डा.शैलेश तिवारी, संजय वत्स, अभिषेक तिवारी, पूनम धस्माना, हिमांशु प्रजापति, रंजीता झा, तरुण शुक्ला, उदय राज मिश्रा, धनंजय मणि त्रिपाठी सहित अनेक लोग मौजूद रहे।

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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