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अपराध विवेचना व चार्जशीट या पुलिस रिपोर्ट देने में पहली बार हाईकोर्ट ने तय की पुलिस की जवाबदेही

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-निर्देशों का पालन न करने वाले विवेचक से लेकर जिले के शीर्ष पुलिस अधिकारियों पर होगी विभागीय जांच कार्यवाही -बढ़ते डिजिटल व साइबर अपराध की विवेचना की पुलिस को प्रशिक्षित करने का निर्देश

प्रयागराज, 23 मई . इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बढ़ते साइबर अपराध व डिजिटल साक्ष्य इकट्ठा करने की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रदेश की अपराध विवेचना पुलिस को तकनीकी प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया है और कहा है कि सभी विवेचना अधिकारी चार्जशीट या पुलिस रिपोर्ट पेश करने से पहले, डीजीपी के 19 फरवरी 18 को जारी सर्कुलर व कोर्ट के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करे.

कोर्ट ने पहली बार कठोर कदम उठाते हुए विवेचना अधिकारी से लेकर जिले के शीर्ष पुलिस अधिकारियों की चार्जशीट या पुलिस रिपोर्ट पेश करने में लापरवाही बरतने की जवाबदेही तय की है. सभी न्यायिक अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पुलिस रिपोर्ट में निर्देशों का पालन न करने पर संबंधित अनुशासनिक अधिकारियों को सूचित करें ताकि लापरवाही के लिए ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की जा सके.

यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने सुभाष चन्द्र व छह अन्य के खिलाफ चल रहे आपराधिक केस कार्यवाही को रद्द करते हुए दिया है. इस मामले में 18 दिन में विवेचना कर पुलिस रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी.

कोर्ट ने अपने फैसले के निर्देश 33.5 व 33.8 का पालन करने का निर्देश दिया है और कहा है कि इनका पालन किए बगैर यदि पुलिस रिपोर्ट या चार्जशीट दाखिल की जाती है तो सक्षम न्यायिक अधिकारी पुलिस कमिश्नर, एसएसपी -एसपी को तुरंत सूचित करें और विवेचना अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने का निर्देश जारी करें.

कोर्ट ने कहा यदि निर्देश 33.6 का विवेचना अधिकारी व पुलिस कमिश्नर, एसएसपी-एसपी द्वारा पालन नहीं किया जाता तो संबंधित न्यायिक अधिकारी तुरंत अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी को कार्यवाही के लिए सूचना भेजें. कोर्ट ने कहा उम्रकैद की सजा वाले अपराध की विवेचना पूरी होने व चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट पेश करने से पहले अभियोजन अधिकारी को पुनर्विलोकन के लिए नहीं भेजी गई तो इस लापरवाही की प्राथमिक जवाबदेही एसएचओ की होगी.

कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर, एसएसपी-एसपी को निर्देश दिया है कि 19 फरवरी 18 के सर्कुलर के अनुपालन की मासिक रिपोर्ट तैयार कर डीजीपी उप्र व महानिदेशक अभियोजन को भेजनी होगी. कोर्ट ने गृह विभाग, डीजीपी व महानिदेशक अभियोजन को नये सिरे से सर्कुलर जारी करने का भी निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट के निर्देश पुलिस रिपोर्ट के कॉलम-16 में स्पष्ट और पूर्ण प्रविष्टियाँ होनी चाहिए, (1) एफआईआर की संक्षिप्त सामग्री, (2) एफआईआर में संदिग्धों के नाम, (3) आरोप-पत्र में उल्लिखित अभियुक्तों के नाम, (4) उस संदिग्ध का नाम जिसके खिलाफ जांच लम्बित है और उसका कारण, (5) जांच के दौरान सामने आए अपराध के कमीशन में प्रत्येक आरोपी की भूमिका निर्दिष्ट करें, (6) जब्ती का विवरण-तारीख, समय और बरामदगी का विवरण, (7) अभियोजन पक्ष के गवाहों का संक्षिप्त बयान-सार्वजनिक, पुलिस और औपचारिक-किसने क्या कहा?, (8) वैज्ञानिक और फोरेंसिक साक्ष्य का विवरण, (9) सीडीआर का विवरण या सी.सी.टी.वी., (10) जांच के दौरान गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम, (11) उन आरोपियों के नाम जिन्हें जांच के दौरान अग्रिम जमानत दी गई है, (12) उन आरोपियों के नाम जिनकी गिरफ्तारी पर उच्च न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है, (13) उन आरोपियों के नाम जिनके खिलाफ गिरफ्तारी के बिना आरोप पत्र दायर किया गया है, (14) उन व्यक्तियों का नाम जिनके खिलाफ धारा 94 बीएनएसएस, 2023 जारी की गई है, जो दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने के लिए, (15) उन व्यक्तियों का नाम जिनके खिलाफ धारा 84 और 85 बीएनएसएस, 2023 के तहत कार्यवाही शुरू की गई है, (16) ब्यौरा जांच अधिकारी द्वारा अभियुक्तों को जांच में शामिल होने के लिए जारी किए गए नोटिस, (17) जांच के दौरान अभियुक्त के परिसरों पर छापे की तारीखों की संख्या, (18) जांच के दौरान उच्च न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय से अभियुक्त द्वारा प्राप्त आदेशों का विवरण, (19) जांच अधिकारी द्वारा एकत्र किए गए अन्य कोई भी आपत्तिजनक साक्ष्य जो केस डायरी के कॉलम-4 का हिस्सा हों, और (20) जांच अधिकारी द्वारा दी गई कोई भी अतिरिक्त जानकारी.

आरोप पत्र विधिवत पृष्ठांकित अनुक्रमणिका के साथ दाखिल किया जाएगा जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगेः (क) क्रम संख्या, (ख) जांच का तिथिवार संक्षिप्त विवरण, क्रमवार सी.डी.वार विवरण, (ग) जांच के दौरान एकत्र किए गए दस्तावेजों का विवरण, (घ) जांच अधिकारी द्वारा उठाए गए कदमों का संक्षिप्त विवरण, (ङ) धारा 94 बी.एन.एस.एस., 2023 के विवरण, “किसी व्यक्ति“ को दस्तावेज और अन्य चीजें पेश करने के लिए जारी किए गए नोटिस, और (च) या कोई अन्य विवरण जो जांच अधिकारी द्वारा उचित समझा जाए.

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/ रामानंद पांडे

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