दरभंगा जिले के केवटी प्रखंड में श्रद्धा और उत्साह के साथ जितिया पर्व की शुरुआत हो गई है। रविवार को महिलाओं ने नहाय-खाय की परंपरा निभाते हुए पर्व का आगाज़ किया। इस अवसर पर व्रती महिलाओं ने स्नान कर पवित्र भोजन ग्रहण किया और अपने पुत्रों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन की कामना की।
पुत्रों की लंबी आयु के लिए व्रतजितिया पर्व मुख्य रूप से माताओं द्वारा अपने पुत्रों की दीर्घायु और कल्याण के लिए किया जाता है। इस दौरान महिलाएं कठोर व्रत रखती हैं। वे निर्जला उपवास करती हैं और अगले दिन जिउतिया माता की पूजा-अर्चना कर विशेष भोग अर्पित करती हैं।
नहाय-खाय और विशेष व्यंजननहाय-खाय के दिन व्रती महिलाएं पवित्र स्नान कर नमकीन और सात्विक भोजन करती हैं। इस दिन मरूआ और मटर खाने की विशेष परंपरा है। मान्यता है कि इन अन्नों के सेवन से संतान को शक्ति और निरोगी जीवन प्राप्त होता है।
जिमुतवाहन की कथा का महत्वजितिया पर्व में राजा जिमुतवाहन की कथा का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा जिमुतवाहन ने गरुड़ से नागवंश की रक्षा के लिए अपना जीवन अर्पण किया था। उनके इस बलिदान और धर्मनिष्ठा के प्रतीक स्वरूप ही जितिया व्रत की परंपरा शुरू हुई, जिसे महिलाएं पीढ़ी दर पीढ़ी निभा रही हैं।
बाजारों में रौनक और महंगाईपर्व को लेकर बाजारों में खास चहल-पहल देखने को मिल रही है। सब्जियों और अन्य सामग्रियों की मांग बढ़ जाने से दाम भी चढ़ गए हैं। खासकर मटर, मरूआ, अरहर और अन्य परंपरागत वस्तुओं की खरीदारी जोर-शोर से हो रही है।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्वजितिया पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक मिलन का अवसर भी है। महिलाएं समूह बनाकर कथा श्रवण करती हैं, गीत गाती हैं और पारंपरिक व्यंजन तैयार करती हैं। यह पर्व पारिवारिक बंधन को मजबूत करने के साथ-साथ लोक संस्कृति को भी संजोकर रखता है।
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