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एआईएमआईएम ने राजद को गठबंधन का प्रस्ताव भेजा, कोई जवाब नहीं

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बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। इसी कड़ी में एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को गठबंधन के लिए चिट्ठी भेजी गई थी। पार्टी ने इस पत्र के माध्यम से सहयोग और चुनावी रणनीति के तहत गठबंधन का प्रस्ताव रखा था।

हालांकि, राजद ने इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। पार्टी की ओर से केवल यह संकेत दिया गया है कि सभी पहलुओं और राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखकर गठबंधन को लेकर विचार किया जा रहा है। राजद के सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व और आगामी चुनावी रणनीति के अनुसार लिया जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एआईएमआईएम का यह कदम राज्य की चुनावी रणनीति को प्रभावित करने वाला है। पार्टी का उद्देश्य है कि राज्य के मुस्लिम मतदाताओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के बीच अपनी पकड़ मजबूत की जाए। गठबंधन की संभावनाओं और सहयोगी दलों के समर्थन से एआईएमआईएम को विधानसभा चुनाव में अधिक प्रभाव और प्रतिनिधित्व मिल सकता है।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि राजद के लिए यह प्रस्ताव विचारणीय है। यदि गठबंधन होता है, तो यह विपक्षी ताकतों की स्थिति को मजबूत कर सकता है और एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकता है। वहीं, यदि राजद ने गठबंधन से इंकार किया, तो पार्टी अपनी पारंपरिक राजनीतिक रणनीति पर ही भरोसा करेगी।

एआईएमआईएम की चिट्ठी में साफ तौर पर यह संदेश था कि वे बिहार में विपक्षी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। पार्टी का मानना है कि गठबंधन के माध्यम से राज्य में समान विचारधारा और विकासपरक एजेंडा को आगे बढ़ाया जा सकता है।

राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम और राजद के बीच गठबंधन का फैसला बिहार की चुनावी तस्वीर और मत समीकरण को बदल सकता है। यह गठबंधन न केवल विपक्ष की ताकत को बढ़ाएगा बल्कि राज्य में राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।

इस प्रकार, एआईएमआईएम का गठबंधन प्रस्ताव और राजद की ओर से कोई जवाब न देने का रुख, बिहार में आगामी चुनावी सियासी रणनीति और गठबंधन समीकरण को और पेचीदा बनाता है। आने वाले दिनों में यह देखना रोचक होगा कि राजद इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेती है और चुनावी रणनीति के तहत इसका राजनीतिक प्रभाव कितना होता है।

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