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नेपाल में सुशीला कार्की नहीं, पीएम पद के लिए अब ये नाम आ रहा सामने, Gen-Z ग्रुप में पड़ी फूट

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नेपाल में जारी राजनीतिक अस्थिरता और Gen-Z आंदोलन के बीच, देश की सत्ता में एक नया मोड़ आया है। नई सरकार के गठन को लेकर आज नेपाली सेना के मुख्यालय में एक अहम वार्ता चल रही है, जिसमें Gen-Z आंदोलन के सात प्रतिनिधि और सेना के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। इस बैठक का उद्देश्य मौजूदा राजनीतिक संकट का समाधान निकालना और एक नई अंतरिम सरकार के गठन की राह प्रशस्त करना है।

Gen-Z में फूट और नए नाम पर सहमति

आर्मी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे Gen-Z युवाओं के बीच इस दौरान फूट पड़ती नजर आई। प्रदर्शनकारियों का एक वर्ग आर्मी मुख्यालय में चल रही बातचीत का विरोध कर रहा है, उनका कहना है कि बातचीत में सही प्रतिनिधियों को नहीं बुलाया गया है। उनकी मांग है कि यह वार्ता राष्ट्रपति भवन में होनी चाहिए और राष्ट्रपति को सार्वजनिक रूप से सामने आना चाहिए।

इस बीच, Gen-Z आंदोलन ने अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री पद के लिए नेपाल विद्युत प्राधिकरण के कार्यकारी प्रमुख कुलमन घिसिंग का नाम आगे बढ़ाया है। इससे पहले, Gen-Z ने काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह को इस पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार बताया था, लेकिन बालेन्द्र शाह ने इस प्रक्रिया में शामिल न होने का पत्र भेज दिया था। पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम भी चर्चा में था, लेकिन उनकी 70 वर्ष से अधिक की आयु और उनके नाम को लेकर उठे विवादों के कारण Gen-Z की प्रतिनिधित्व समिति ने उनके नाम को अस्वीकार कर दिया। Gen-Z द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया है कि नेपाल को 'लोडशेडिंग' से मुक्ति दिलाने वाले और एक देशभक्त इंजीनियर के रूप में कुलमन घिसिंग सबसे स्वीकार्य और उपयुक्त उम्मीदवार हैं।

आर्मी मुख्यालय में चल रही अहम बैठक

सूत्रों के मुताबिक, सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल के साथ Gen-Z प्रतिनिधियों के बीच यह दूसरे दौर की बातचीत है। इस बैठक में सात सदस्य मौजूद हैं। इसके बाद, सेना प्रमुख शाम 4 बजे नेपाल की पूर्व न्यायाधीश सुशीला कार्की और दुर्गा प्रसाई से भी अलग-अलग मुलाकात करेंगे। सेना प्रमुख ने राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल से भी मौजूदा स्थिति पर टेलीफोन पर बातचीत की है और उन्हें बताया है कि सेना राजनीतिक और संवैधानिक समाधान निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

सेना और Gen-Z के बीच चल रही यह बातचीत नेपाल के सत्ता संकट और नई सरकार के गठन की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है। सेना का प्रयास सभी पक्षों को एक साथ लाकर जल्द से जल्द संवैधानिक रूप से समाधान निकालना है।

विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़ी

इस बीच, नेपाल में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों का भयावह चेहरा भी सामने आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इन प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है। देश भर के अस्पतालों में 1,338 लोग अभी भी घायल अवस्था में इलाज करा रहे हैं। प्रदर्शनों ने देश के पर्यटन उद्योग को भी बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे होटलों की बुकिंग में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस आंदोलन में कई सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है, जिसमें नगर निगम के दफ्तर, लग्जरी होटल और संसद भवन तक शामिल हैं।

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