छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लोगों में बंदूक रखने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। गन लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ोतरी पर है।
पहले कम, अब दोगुना से ज्यादा आवेदनकलेक्ट्रेट की लाइसेंस शाखा के आंकड़े बताते हैं कि पहले जहां हर महीने महज 5 से 6 आवेदन ही आते थे, वहीं अब यह संख्या 12 से 15 तक पहुंच गई है। पिछले आठ महीनों में ही 88 आवेदन कलेक्ट्रेट कार्यालय को प्राप्त हुए हैं।
क्यों बढ़ रही है मांग?विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं—
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सुरक्षा की भावना: शहर और आसपास बढ़ते अपराधों को देखते हुए लोग व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए हथियार रखना चाहते हैं।
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प्रतिष्ठा का प्रतीक: ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में बंदूक रखना अब भी सामाजिक हैसियत का प्रतीक माना जाता है।
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राजनीतिक-सामाजिक सक्रियता: कुछ लोग इसे सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में अपनी पहचान बनाने का जरिया भी मानते हैं।
गन लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों को कड़ी जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
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आवेदक का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए।
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पुलिस और खुफिया विभाग द्वारा सत्यापन किया जाता है।
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आवेदन स्वीकृति के बाद ही हथियार खरीदने की अनुमति मिलती है।
लाइसेंस शाखा से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, आवेदन की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। “लोग अब अधिक सतर्क और जागरूक हो गए हैं। हालांकि, हर आवेदन पर विस्तृत जांच होती है, ताकि हथियार गलत हाथों में न जाए,” एक अधिकारी ने बताया।
सामाजिक असरशहर के समाजशास्त्रियों का कहना है कि हथियार रखने की होड़ सुरक्षा की बजाय मानसिक असुरक्षा को भी दर्शाती है। उनका मानना है कि इस प्रवृत्ति पर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए और लोगों को भरोसा दिलाना होगा कि कानून-व्यवस्था पर्याप्त है।
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