वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद देश भर के मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। उन्होंने इस फैसले को गरीब, अनाथ और वंचित मुसलमानों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मैं इसे एक जीत के रूप में देखता हूँ। हम संसद से लेकर सड़क तक यह लड़ाई लड़ रहे हैं। याचिकाकर्ता खुश हैं और सरकार की साज़िश काफी हद तक रुक गई है।"
उन्होंने कहा, "सरकार की नीयत पर सवाल उठाए गए थे। वह साज़िश रुक गई है। मैं इस लड़ाई को लड़ने वाले सभी लोगों को बधाई देता हूँ, लेकिन सरकार कैसे खुश हो सकती है? सरकार की साज़िश का एक बड़ा हिस्सा रुक गया है और अगर इसके बावजूद सरकार खुश होने का दावा करती है तो यह उसकी ज़िद के अलावा और कुछ नहीं है।"
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने एक बयान जारी कर कहा, "वक्फ संशोधन अधिनियम के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश दिया है। इस अंतरिम आदेश से हमें बड़ी राहत मिली है। हालाँकि हमारी माँग पूरे कानून पर रोक लगाने की थी, लेकिन दी गई राहत पर्याप्त है। प्रयास जारी रहेंगे, क्योंकि अभी तक कोई अंतिम निर्देश जारी नहीं किया गया है।"
बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा, "मैं सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत और सराहना करता हूँ। हमें उम्मीद थी कि न्यायालय गरीब, कमज़ोर, असहाय, अनाथ, विधवा मुसलमानों के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला देगा। वक्फ कानून लागू होने के बाद, वक्फ की ज़मीनों पर अवैध रूप से कब्ज़ा किए हुए अमीर लोगों को हटाया जाएगा और उनका इस्तेमाल स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, मस्जिद, मदरसे और अनाथालय बनाने में किया जाएगा।"
अलीगढ़ के मौलाना चौधरी इफ्राहिम हुसैन ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं। इस फैसले से मुसलमानों के गरीब और अनाथ वर्ग को न्याय मिलेगा। वक्फ बोर्ड के लोगों ने मुस्लिम और गरीब लोगों के अधिकार छीन लिए थे, लोग उनकी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे थे। अब उन लोगों को न्याय मिलेगा।" आपको बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने संबंधित नियम बनने तक वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम का पालन करना अनिवार्य करने वाले प्रावधान पर रोक लगा दी। इसके अलावा अब कलेक्टर के पास संपत्ति विवादों पर फैसला लेने का अधिकार नहीं होगा। अपने अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए, जबकि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।
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