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इलाहाबाद में भीष्म पितामह का अनोखा मंदिर: 12 फीट लंबी मूर्ति का रहस्य

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भीष्म पितामह का मंदिर: एक अद्वितीय स्थल

लाइव हिंदी खबर :-महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह को उनकी शक्ति और बुद्धिमत्ता के लिए जाना जाता है। देवी गंगा और राजा शांतनु के पुत्र, उन्होंने अपने परिवार के लिए कई बलिदान दिए। उन्होंने विवाह न करने की प्रतिज्ञा की थी, जिसके कारण उन्हें अपने पिता से 'इच्छामृत्यु' का वरदान प्राप्त हुआ। भारत में उनका एकमात्र मंदिर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है।


इलाहाबाद शहर अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है, साथ ही यहां कई छोटे-बड़े मंदिर भी हैं। इनमें से एक है भीष्म पितामह का मंदिर, जो स्थानीय लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है।


55 साल पुराना मंदिर

यह मंदिर इलाहाबाद के दारागंज क्षेत्र में स्थित है और इसका निर्माण 1961 में वकील जेआर भट्ट ने करवाया था। यह प्रसिद्ध नागवासुकी मंदिर के निकट है और यहां श्रद्धालुओं की भीड़ हमेशा लगी रहती है। लोग पूजा के साथ-साथ परिक्रमा के लिए भी घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, कई साल पहले एक वृद्ध महिला रोज गंगा में स्नान करने आती थी। एक दिन उसने जेआर भट्ट से कहा कि वह गंगा के पुत्र की पूजा करना चाहती है, जिसके बाद भट्ट ने मंदिर का निर्माण शुरू किया।


भीष्म पितामह की 12 फीट लंबी मूर्ति

इस मंदिर में भीष्म पितामह की 12 फीट लंबी मूर्ति स्थापित है, जो तीरों की शय्या पर लेटी हुई है। पौराणिक कथाओं से प्रेरित होकर बनाई गई इस मूर्ति के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु नागवासुकी मंदिर या बेनी मादव मंदिर के दर्शन के बाद यहां आते हैं। लोग भीष्म पितामह की मूर्ति पर पुष्प अर्पित करते हैं और उन्हें नमन करते हैं, हालांकि पुजारियों द्वारा इस मूर्ति का विधिवत पूजन नहीं किया जाता है।


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