महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे इस समय विदेश यात्रा पर हैं। और जानकारी मिली है कि उद्धव ठाकरे भी यूरोप के लिए रवाना हो गए हैं। विदेश में दोनों नेताओं के बीच संभावित बैठक को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दिया है कि वे 29 अप्रैल तक किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर कोई बयान न दें। उन्होंने कहा है, “मैं वापस आने पर खुद बोलूंगा।” इसके आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राज ठाकरे कोई बड़ी रणनीति तैयार कर रहे हैं।
पिछले कुछ समय से दोनों भाई एक साथ रह रहे हैं
इस पूरे घटनाक्रम के बीच सबसे दिलचस्प बात यह है कि राज और उद्धव ठाकरे के फिर साथ आने की अटकलें तेज हो गई हैं। हाल ही में दोनों पार्टियों की ओर से कई सकारात्मक बयान आए हैं, हालांकि राज ठाकरे ने अभी तक इस मामले पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
सीढ़ी पर एक पोस्टर मिला।
दादर स्थित शिवसेना भवन के पास एक विशेष पोस्टर देखा गया है। इस पोस्टर में उद्धव और राज ठाकरे एक दूसरे को गले लगाते हुए दिखाए गए हैं और लिखा है, ‘टूटेंगे तो टूटेंगे, ठाकरे भाई एक हो जाएं।’ (अगर हम अलग हुए तो बंट जाएंगे, सब कुछ भूल जाओ और ठाकरे भाइयों एक हो जाओ)। यह संदेश राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है और कार्यकर्ताओं के बीच आशा की किरण बन गया है। विपक्ष में भी अशांति बढ़ गई है।
दूसरी ओर, उसी स्थान पर मनसे ने एक और विवादित पोस्टर लगाया है, जिसमें लिखा है, ‘हिंदी भाजपा के लिए भक्ति नहीं, मजबूरी है।’ यदि देश की आधी आबादी जीविका कमाने के लिए महाराष्ट्र आ रही है, तो महाराष्ट्र को हिंदी नहीं, मराठी सीखने की जरूरत है। इस बयान से यह स्पष्ट हो जाता है कि मनसे अभी भी अपनी मराठी अस्मिता की राजनीति पर अडिग है।
अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच यह संभावित मुलाकात होती है तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है। दशकों से अलग रह रहे ठाकरे बंधुओं का फिर से एक होना विपक्ष के लिए भी नई चुनौती पेश कर सकता है।
The post first appeared on .
You may also like
पहलगाम आतंकी हमला: अमित शाह पहुंचे श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला: 26 की मौत की आशंका
पहलगाम हमले पर अनुपम खेर बोले- 'कश्मीर फाइल्स इसकी छोटी कहानी, जिसे कुछ लोगों ने प्रोपेगेंडा कहा'
पहलगाम आतंकी हमले की सीएम ममता बनर्जी ने की निंदा, अमित मालवीय ने उठाए सवाल
चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है, उसे निष्पक्ष रहना चाहिए : अविनाश पांडे