नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए अब तक का सबसे कड़ा कदम उठा लिया है। भारत ने पाकिस्तान के साथ हुए 63 साल पुराने ऐतिहासिक सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को स्थगित कर दिया है। इस फैसले के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई है और वहां के लोगों में आने वाले संकटों को लेकर भारी घबराहट देखी जा रही है। आशंका है कि पानी की सप्लाई रुकने से पाकिस्तान में न सिर्फ पीने के पानी और खेती के लिए हाहाकार मच सकता है, बल्कि बिजली उत्पादन ठप होने से बड़े इलाके अंधेरे में भी डूब सकते हैं।
जंग से पहले ही भारत ने पाकिस्तान की दुखती रग दबाई
यह जानना महत्वपूर्ण है कि 1960 में सिंधु जल समझौता होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 और 1971 में भीषण युद्ध हुए, यहां तक कि कारगिल में भी संघर्ष हुआ, लेकिन कभी भी इस समझौते को नहीं तोड़ा गया। लेकिन इस बार, पहलगाम हमले के बाद, भारत ने युद्ध की औपचारिक घोषणा से पहले ही पाकिस्तान की जीवनरेखा माने जाने वाले इस जल समझौते को स्थगित करके कड़ा संदेश दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि आतंकियों और उनके आकाओं को ऐसी सजा मिलेगी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी, उन्हें “मिट्टी में मिला दिया जाएगा”। सीमा पर बढ़ती सैन्य हलचल और भारत के इस कड़े फैसले को देखते हुए जानकार अब दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका से भी इनकार नहीं कर रहे हैं।
पाकिस्तानी नेताओं ने कहा – ‘यह जंग जैसा कदम’
भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित किए जाने की खबर से पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है। खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत कई बड़े पाकिस्तानी नेताओं और विशेषज्ञों ने इसे ‘जंग जैसा कदम’ करार दिया है। वे अच्छी तरह जानते हैं कि इस समझौते के रुकने का पाकिस्तान पर कितना विनाशकारी असर पड़ सकता है। इस समझौते के तहत दोनों देशों के जल आयुक्तों की जो सालाना बैठकें होती थीं, वे अब नहीं होंगी, जिससे आपसी विवाद सुलझाने और जानकारी साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच खत्म हो गया है।
आखिर क्यों थर-थर कांप रहा है पाकिस्तान? समझौते के रुकने का क्या होगा असर?
सिंधु जल समझौते के स्थगित होने का मतलब पाकिस्तान के लिए कई मोर्चों पर बड़ा संकट है:
पानी का डेटा बंद: भारत अब पाकिस्तान को नदियों के प्रवाह, बाढ़ की चेतावनी या ग्लेशियर पिघलने जैसी कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा नहीं करेगा। इससे पाकिस्तान में अचानक भयंकर सूखा पड़ने या विनाशकारी बाढ़ आने का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
भारतीय प्रोजेक्ट्स की जानकारी नहीं: भारत अब अपनी पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर बन रही जल विद्युत परियोजनाओं की जानकारी पाकिस्तान को देने के लिए बाध्य नहीं होगा।
निरीक्षण का अधिकार खत्म: पहले पाकिस्तान के जल आयुक्त भारत आकर इन परियोजनाओं का निरीक्षण कर सकते थे, अब यह अधिकार भी खत्म हो गया है।
सिंधु आयोग की रिपोर्ट नहीं: स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) की वार्षिक रिपोर्ट भी अब पाकिस्तान के साथ साझा नहीं की जाएगी।
खेती और सिंचाई तबाह: पानी और सूचना के अभाव में पाकिस्तान की कृषि और सिंचाई योजनाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी। इससे देश में अनाज का भयंकर संकट पैदा हो सकता है और लोगों के सामने खाने के लाले पड़ सकते हैं।
बिजली संकट और अंधेरा: पानी की कमी से पाकिस्तान के कई हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट ठप पड़ सकते हैं। इससे बिजली उत्पादन बुरी तरह गिरेगा और इस्लामाबाद, लाहौर, कराची जैसे बड़े शहरों समेत कई इलाकों में अंधेरा छा जाने की आशंका है।
साफ है कि भारत के इस एक कदम ने पाकिस्तान के सामने एक बहुआयामी संकट खड़ा कर दिया है, जिससे उबरना उसके लिए बेहद मुश्किल होगा।
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