डोडोमा: तंजानिया की मुख्य विपक्षी पार्टी ने आरोप लगाया है कि बुधवार को हुए आम चुनाव के बाद भड़की हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गये हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतकों की वास्तविक संख्या को लेकर रिपोर्ट अलग अलग हैं और इंटरनेट बंद होने की वजह से सटीक आंकड़ों की पुष्टि करना मुश्किल है। वहीं कुछ अलग अलग रिपोर्ट में 700 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की बात कही गई है और अस्पताल में शवों की भीड़ लगने की भी रिपोर्ट है। मुख्य विपक्षी चादेमा पार्टी के एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी AFP को बताया कि सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में "करीब 700" लोग मारे गए हैं, जबकि तंजानिया में एक राजनयिक सूत्र ने बीबीसी को बताया कि कम से कम 500 लोगों के मारे जाने के विश्वसनीय सबूत हैं।
सरकार ने हिंसा के पैमाने को कम करने की कोशिश की है और अधिकारियों ने देशभर में कर्फ्यू को सख्ती से लागू किया हुआ है। फिर भी हिंस घटनाएं लगातार हो रही हैं। तंजानिया के शहरों में हुए इन प्रदर्शनों में ज्यादातर युवा प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हुए हैं और चुनाव को अवैध बताकर उसे निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
तंजानिया में चुनाव के बाद भयानक हिंसा
बीबीसी के मुताबिक सरकार के ऊपर मुख्य विपक्षी नेताओं, जिनमें से मुख्य विपक्षी नेता तुंडु लिस्सू जेल में हैं और दूसरे लुहागा म्पीना को तकनीकी आधार पर चुनाव से बाहर कर दिया गया है, लोकतंत्र का दमन करने के आरोप लग रहे हैं। जिससे राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन की अपनी सत्तारूढ़ चामा चा मापिन्दुज़ी (सीसीएम) पार्टी के साथ जीतने की संभावना बढ़ गई है। शुक्रवार को भी भारी विरोध प्रदर्शन जारी रहा। वहीं, बंदरगाह शहर दार एस सलाम में प्रदर्शनकारियों ने सेना प्रमुख की अशांति खत्म करने की चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया है। विदेश मंत्री महमूद कोम्बो थाबित ने हिंसा को "यहां-वहां हुई कुछ छिटपुट घटना" कहकर उसकी भयावहता को कम करने की कोशिश की है। उन्होंने बीबीसी को फोन पर कहा है कि "हमें लगातार संपत्तियों में तोड़फोड़ की खबरें मिल रही हैं।" उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की तोड़फोड़ को रोकने और लोगों की जान बचाने के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाना जरूरी था।
तंजानिया में सत्ता पक्ष की जीत लगभग तय मानी जा रही है। लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि यह लोकतंत्र की हत्या है। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़पों में भारी गोलीबारी की गई है और चश्मदीदों के अनुसार, "रात के अंधेरे में हत्याएं" हो रही हैं। स्थानीय अस्पतालों से आने वाली खबरें सरकार के दावों से अलग कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही हैं। दार एस सलाम के एक अस्पताल सूत्र ने बताया कि गुरुवार से ही अस्पतालों में घायलों की बाढ़ आ गई है और शहर के ज्यादातर शवगृह भरे पड़े हैं। इंटरनेट बंद होने से खबरों का बाहर आना बहुत हद तक बंद हो गया है।
शनिवार को आने वाले हैं नतीजे
तंजानिया चुनाव के आधिकारिक नतीजे शनिवार को आने की उम्मीद है, लेकिन राष्ट्रपति सामिया के सत्तारूढ़ चामा चा मापिन्दुज़ी (सीसीएम) पार्टी के नेतृत्व में जीत हासिल करने की उम्मीद है। इस पार्टी ने साल 1961 में देश को आजादी मिलने के बाद से ही शासन किया है। राष्ट्रपति सामिया, साल 2021 में राष्ट्रपति जॉन मैगुफुली के पद पर रहते हुए निधन के बाद तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं। सामिया की शुरुआत में राजनीतिक दमन को कम करने के लिए प्रशंसा की गई थी, लेकिन उसके बाद से उन्होंने अपने विरोधियों की आवाजों को कुचलना शुरू कर दिया।
आपको बता दें कि तंजानिया में भारी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं। तंजानिया की कुल आबादी करीब 7 करोड़ से थोड़ा ज्यादा है। यहां करीब 60 हजार भारतीय मूल के लोग जन्म के साथ रहते हैं, जबकि करीब 20 हजार भारतीय, भारत से वहां गये हैं, जो अलग अलग पोर्ट्स और व्यवसायों में काम करते हैं। तंजानिया की आबादी करीब सवा 7 करोड़ है और देश कई समस्याओं से जूझ रहा है।
सरकार ने हिंसा के पैमाने को कम करने की कोशिश की है और अधिकारियों ने देशभर में कर्फ्यू को सख्ती से लागू किया हुआ है। फिर भी हिंस घटनाएं लगातार हो रही हैं। तंजानिया के शहरों में हुए इन प्रदर्शनों में ज्यादातर युवा प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हुए हैं और चुनाव को अवैध बताकर उसे निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
तंजानिया में चुनाव के बाद भयानक हिंसा
बीबीसी के मुताबिक सरकार के ऊपर मुख्य विपक्षी नेताओं, जिनमें से मुख्य विपक्षी नेता तुंडु लिस्सू जेल में हैं और दूसरे लुहागा म्पीना को तकनीकी आधार पर चुनाव से बाहर कर दिया गया है, लोकतंत्र का दमन करने के आरोप लग रहे हैं। जिससे राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन की अपनी सत्तारूढ़ चामा चा मापिन्दुज़ी (सीसीएम) पार्टी के साथ जीतने की संभावना बढ़ गई है। शुक्रवार को भी भारी विरोध प्रदर्शन जारी रहा। वहीं, बंदरगाह शहर दार एस सलाम में प्रदर्शनकारियों ने सेना प्रमुख की अशांति खत्म करने की चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया है। विदेश मंत्री महमूद कोम्बो थाबित ने हिंसा को "यहां-वहां हुई कुछ छिटपुट घटना" कहकर उसकी भयावहता को कम करने की कोशिश की है। उन्होंने बीबीसी को फोन पर कहा है कि "हमें लगातार संपत्तियों में तोड़फोड़ की खबरें मिल रही हैं।" उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की तोड़फोड़ को रोकने और लोगों की जान बचाने के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाना जरूरी था।
तंजानिया में सत्ता पक्ष की जीत लगभग तय मानी जा रही है। लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि यह लोकतंत्र की हत्या है। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़पों में भारी गोलीबारी की गई है और चश्मदीदों के अनुसार, "रात के अंधेरे में हत्याएं" हो रही हैं। स्थानीय अस्पतालों से आने वाली खबरें सरकार के दावों से अलग कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही हैं। दार एस सलाम के एक अस्पताल सूत्र ने बताया कि गुरुवार से ही अस्पतालों में घायलों की बाढ़ आ गई है और शहर के ज्यादातर शवगृह भरे पड़े हैं। इंटरनेट बंद होने से खबरों का बाहर आना बहुत हद तक बंद हो गया है।
शनिवार को आने वाले हैं नतीजे
तंजानिया चुनाव के आधिकारिक नतीजे शनिवार को आने की उम्मीद है, लेकिन राष्ट्रपति सामिया के सत्तारूढ़ चामा चा मापिन्दुज़ी (सीसीएम) पार्टी के नेतृत्व में जीत हासिल करने की उम्मीद है। इस पार्टी ने साल 1961 में देश को आजादी मिलने के बाद से ही शासन किया है। राष्ट्रपति सामिया, साल 2021 में राष्ट्रपति जॉन मैगुफुली के पद पर रहते हुए निधन के बाद तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं। सामिया की शुरुआत में राजनीतिक दमन को कम करने के लिए प्रशंसा की गई थी, लेकिन उसके बाद से उन्होंने अपने विरोधियों की आवाजों को कुचलना शुरू कर दिया।
आपको बता दें कि तंजानिया में भारी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं। तंजानिया की कुल आबादी करीब 7 करोड़ से थोड़ा ज्यादा है। यहां करीब 60 हजार भारतीय मूल के लोग जन्म के साथ रहते हैं, जबकि करीब 20 हजार भारतीय, भारत से वहां गये हैं, जो अलग अलग पोर्ट्स और व्यवसायों में काम करते हैं। तंजानिया की आबादी करीब सवा 7 करोड़ है और देश कई समस्याओं से जूझ रहा है।
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