इस्लामाबाद: सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के मुद्दे पर ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में अगले हफ्ते कार्यवाही होगी। पाकिस्तान ने बुधवार को कहा है कि सिंधु जल संधि के तहत तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही का अगला चरण वियना में 17 से 21 नवंबर तक होगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उनका प्रतिनिधि इसमें शामिल होगा। दूसरी ओर भारत ने इसमें शामिल नहीं होने की बात कही है। पाकिस्तान इस संधि को बहाल करने के लिए बेताब है। ऐसे में वह लगातार इस मुद्दे को कई मंचों से उठा रहा है।
भारत ने इस साल अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का ऐलान किया था। इसके बाद पाकिस्तान इसे मध्यस्थता न्यायालय में ले गया था। इससे पहले भारत ने जून और अगस्त में मध्यस्थता न्यायालय के दोनों फैसलों को खारिज कर दिया था। अब 17 से 21 नवंबर तक वियना में तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही होगी।
6 दशक पहले हुई थी संधिभारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ सिंधु जल समझौता दोनों देशों के बीच नदियों का बंटवारा करता है। 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि दोनों पड़ोसी देशों के बीच छह प्रमुख नदियों का नियंत्रण बांटती है। भारत को पूर्वी नदियों, रावी, व्यास और सतलुज पर नियंत्रण मिला है। वहीं पाकिस्तान पश्चिमी नदियों, सिंधु, झेलम और चिनाब पर अधिकार रखता है।
सिंधु जल समझौते को लेकर तनाव तब बढ़ गया, जब अप्रैल में पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने इस संधि को स्थगित करने का ऐलान किया। इसे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कहा है। पाकिस्तान ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों और मध्यस्थता न्यायालय में इस मुद्दे को उठाया है। पाकिस्तान ने कहा है कि संधि को निलंबित करने का कदम अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
पाकिस्तान की बौखलाहटएक्सपर्ट का कहना है कि सिंधु जल संधि को पुनर्जीवित करने की अपील करते हुए पाकिस्तान ने लगातार कई पत्र लिखे हैं, जो उसकी हताशा को दर्शाते हैं। दूसरी ओर भारत की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सिंधु संधि पर कोई वार्ता फिर से शुरू करने से पहले पाकिस्तान से विश्वसनीय आतंकवाद-रोधी गारंटी मांग कर रही है।
भारत ने इस साल अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का ऐलान किया था। इसके बाद पाकिस्तान इसे मध्यस्थता न्यायालय में ले गया था। इससे पहले भारत ने जून और अगस्त में मध्यस्थता न्यायालय के दोनों फैसलों को खारिज कर दिया था। अब 17 से 21 नवंबर तक वियना में तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही होगी।
6 दशक पहले हुई थी संधिभारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ सिंधु जल समझौता दोनों देशों के बीच नदियों का बंटवारा करता है। 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि दोनों पड़ोसी देशों के बीच छह प्रमुख नदियों का नियंत्रण बांटती है। भारत को पूर्वी नदियों, रावी, व्यास और सतलुज पर नियंत्रण मिला है। वहीं पाकिस्तान पश्चिमी नदियों, सिंधु, झेलम और चिनाब पर अधिकार रखता है।
सिंधु जल समझौते को लेकर तनाव तब बढ़ गया, जब अप्रैल में पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने इस संधि को स्थगित करने का ऐलान किया। इसे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कहा है। पाकिस्तान ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों और मध्यस्थता न्यायालय में इस मुद्दे को उठाया है। पाकिस्तान ने कहा है कि संधि को निलंबित करने का कदम अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
पाकिस्तान की बौखलाहटएक्सपर्ट का कहना है कि सिंधु जल संधि को पुनर्जीवित करने की अपील करते हुए पाकिस्तान ने लगातार कई पत्र लिखे हैं, जो उसकी हताशा को दर्शाते हैं। दूसरी ओर भारत की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सिंधु संधि पर कोई वार्ता फिर से शुरू करने से पहले पाकिस्तान से विश्वसनीय आतंकवाद-रोधी गारंटी मांग कर रही है।
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