Next Story
Newszop

Lahore Floods: 40 साल बाद लाहौर में बाढ़, पाकिस्तान में सिंधु के बाद अब रावी का कहर, भारत पर लगा यह आरोप

Send Push
इस्लामाबाद: पाकिस्तान का लाहौर शहर रावी नदी के कहर का सामना कर रहा है। लाहौर में 40 साल बाद बाढ़ आई है। लोग इस नदी को भूल गए थे। हर साल बरसात में रावी उफनाती जरूर थी, लेकिन उसका पानी लाहौर की मुख्य सड़कों तक नहीं पहुंच पाता था। इस बाद पानी मुख्य सड़क को पार कर पूरे शहर में फैल चुका है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं। हालात इतने बदतर हैं कि लाहौर शहर शरणार्थियों का बसेरा लगने लगा है। क्या सड़क क्या मैदान, जिसे जहां भी जगह मिल रही है, वहीं तंबू लगाकर अस्थायी आवास बना रहा है। पाकिस्तान की सरकार पहले से ही मुफलिसी में जिंदगी गुजार रही है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का पेट भरना उसकी औकात से बाहर हो गया है।



रावी के पानी में पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा डूबा

रावी का प्रकोप सिर्फ पाकिस्तान के लाहौर तक ही सीमित नहीं है। इसका पानी भारत के सीमावर्ती इलाकों में भी कहर बरपा रहा है। पाकिस्तान के नरोवाल, साहीवाल और कसूर भी भीषण बाढ़ का सामना कर रहे हैं। बाढ़ का पानी नरोवाल जिले के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पहुंच चुका है। रावी नदी हिमाचल प्रदेश के बड़ा भंगाल क्षेत्र से निकलती है और चंबा घाटी से होते हुए पंजाब में प्रवेश करती है। यह पंजाब के पठानकोट, अमृतसर और गुरदासपुर ज़िलों से होकर बहती हुई नारोवाल में पाकिस्तान में प्रवेश करती है। वहाँ से यह लाहौर की ओर बढ़ती है और अंत में चिनाब नदी में मिल जाती है।



भारत पर आरोप लगा रहा पाकिस्तान

रावी नदी में बाढ़ ऐसे समय आई है, जब भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि (IWT) को स्थगित कर दिया है। रावी पूर्वी सिंधु नदी प्रणाली की एक नदी है। ऐसे में पाकिस्तान की अवाम लाहौर में आई बाढ़ को लेकर भारत पर सवाल उठा रही है। लोग पूछ रहे हैं कि अगर भारत ने पानी रोकने का वादा किया था, तो पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा बाढ़ में कैसे डूब गया। पाकिस्तान सरकार का आरोप है कि भारत ने समय से सूचना नहीं दी, इस कारण बाढ़ की विभीषिका पहले से ज्यादा गंभीर हुई है। हालांकि, भारत ने राजनयिक चैनलों के माध्यम से कई बार पाकिस्तान को बाढ़ को लेकर चेतावनी दी है।



पाकिस्तान में लाखों लोग विस्थापित

बाढ़ के कारण पाकिस्तान में लाखों लोगों को अपना घर बार छोड़कर दूरदराज के इलाकों में शरणार्थियों की तरह रहना पड़ रहा है। इन लोगों के पास दो वक्त की रोटी भी नहीं है। यहां तक कि लोगों को रहने के लिए प्रशासन टेंट तक उपलब्ध नहीं करवा सका है। बाढ़ क्षेत्र से निकले लोग खाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। सरकार ने लोगों की भारी भीड़ के सामने हाथ खड़े कर दिए हैं। लोगों का आरोप है कि सरकारी सहायता सिर्फ उन लोगों को मिल रही है, जो रसूखदार हैं। आम लोग अब भी पानी के उतरने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि अपने घरों को वापस लौट सकें।

Loving Newspoint? Download the app now