नई दिल्लीः दिल्ली में रोजाना जितना पानी सप्लाई होता है, उसका करीब 80 प्रतिशत पानी वेस्ट वॉटर के रूप में घरों से निकलता है। वेस्ट वॉटर को ट्रीट कर स्वच्छ बनाने के लिए जल बोर्ड ने दिल्ली में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ( एसटीपी ) बनाए है, लेकिन सभी एसटीपी तय 7 पैरामीटर में से किसी न किसी पैरामीटर पर फेल पाए गए हैं। गुड़गांव के रहने वाले विश्वास द्विवेदी नामक एक व्यक्ति ने इस संबंध में सीपीसीबी में एक आरटीआई लगाई थी। 24 अक्टूबर को सीपीसीबी ने आरटीआई के जवाब में जो रिपोर्ट दी है, उसमें कहा गया है कि ट्रीटेड वेस्ट वॉटर का जितना पीएच, टीएसएस, बीओडी, सीओडी, अमोनिकल नाइट्रेट, टीएन लेवल और फॉस्फेट लेवल होना चाहिए, उससे कहीं ज्यादा है।   
   
रोजाना करीब 990 एमजीडी पानी सप्लाई करता हैजल बोर्ड दिल्ली में रोजाना करीब 990 एमजीडी पानी सप्लाई करता है। जल बोर्ड अफसरों का कहना है। है कि जितना पानी सप्लाई होता है, उसका करीब 80 प्रतिशत वेस्ट वॉटर के रूप में जनरेट होता है। यानी 990 एमजीडी सप्लाई वॉटर से दिल्ली के घरों से करीब 792 एमजीडी वेस्ट वॉटर जनरेट होता है जिसे ट्रीट करने के लिए जल बोर्ड ने 37 एसटीपी बनाए हैं। ये एसटीपी महरौली, मोलड़बंद, नजफगढ़, नरेला, निलोठी फेज-1, निलोठी फेज-2, न्यू ओखला, पप्पनकलां फेज-1, फेज-2, रिठाला फेज-1, फेज-2, फेज-3, रोहिणी, सोनिया विहार, वसंत कुंज, यमुना विहार में बने हैं। द्विवेदी ने जून में आरटीआई के जरिए पानी की रिपोर्ट सीपीसीबी से मांगी थी। सीपीसीबी ने सभी एसटीपी से ट्रीट किए गए वेस्ट वॉटर का सैपल कलेक्ट किया और उनकी जांच कराई। सीपीसीबी ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें कोई ऐसा एसटीपी नहीं है, जो सभी पैरामीटर को पूरा कर रहा है।
     
सभी 7 पैरामीटर को करता हो पूरारिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रीट किए गए वेस्ट वॉटर का पीएच लेवल 6.5 से 9, टीएसएस लेवल 10 एमजी/लीटर के बराबर या इससे कम होना चाहिए। इसी तरह से सीओडी लेवल 50 एमजी/लीटर के बराबर या इससे कम, बीओडी पैरामीटर के हिसाब से 10 एमजी/लीटर या इससे कम और अमोनिकल नाइट्रेट 5 एमजी/लीटर तक होना चाहिए। लेकिन, कोई भी ऐसा एसटीपी नहीं है, जो तय सभी 7 पैरामीटर को पूरा करता हो।
     
यमुना की सफाई पर कितना असर?दिल्ली में यमुना की सफाई मुख्य रूप से इन्ही वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांटो पर निर्भर है। इन प्लांटों में ट्रीट किए गए पानी से ही यमुना का फ्लो बढ़ाने और उसे निर्मल बनाए रखने के लिए 9-10 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजनाएं बनाई गई है। ऐसे में अगर एसटीपी में ट्रीट किए गए पानी की क्वॉलिटी बेहतर नहीं होगी, तो यमुना सफाई का पूरा प्लान फेल हो सकता है। ज्यादातर प्लांट में ट्रीट किए गए पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा लाखो में पाई गई है। यह स्वास्थ्य और यमुना नदी के ईको सिस्टम के लिए भी हानिकारक है।
  
रोजाना करीब 990 एमजीडी पानी सप्लाई करता हैजल बोर्ड दिल्ली में रोजाना करीब 990 एमजीडी पानी सप्लाई करता है। जल बोर्ड अफसरों का कहना है। है कि जितना पानी सप्लाई होता है, उसका करीब 80 प्रतिशत वेस्ट वॉटर के रूप में जनरेट होता है। यानी 990 एमजीडी सप्लाई वॉटर से दिल्ली के घरों से करीब 792 एमजीडी वेस्ट वॉटर जनरेट होता है जिसे ट्रीट करने के लिए जल बोर्ड ने 37 एसटीपी बनाए हैं। ये एसटीपी महरौली, मोलड़बंद, नजफगढ़, नरेला, निलोठी फेज-1, निलोठी फेज-2, न्यू ओखला, पप्पनकलां फेज-1, फेज-2, रिठाला फेज-1, फेज-2, फेज-3, रोहिणी, सोनिया विहार, वसंत कुंज, यमुना विहार में बने हैं। द्विवेदी ने जून में आरटीआई के जरिए पानी की रिपोर्ट सीपीसीबी से मांगी थी। सीपीसीबी ने सभी एसटीपी से ट्रीट किए गए वेस्ट वॉटर का सैपल कलेक्ट किया और उनकी जांच कराई। सीपीसीबी ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें कोई ऐसा एसटीपी नहीं है, जो सभी पैरामीटर को पूरा कर रहा है।
सभी 7 पैरामीटर को करता हो पूरारिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रीट किए गए वेस्ट वॉटर का पीएच लेवल 6.5 से 9, टीएसएस लेवल 10 एमजी/लीटर के बराबर या इससे कम होना चाहिए। इसी तरह से सीओडी लेवल 50 एमजी/लीटर के बराबर या इससे कम, बीओडी पैरामीटर के हिसाब से 10 एमजी/लीटर या इससे कम और अमोनिकल नाइट्रेट 5 एमजी/लीटर तक होना चाहिए। लेकिन, कोई भी ऐसा एसटीपी नहीं है, जो तय सभी 7 पैरामीटर को पूरा करता हो।
यमुना की सफाई पर कितना असर?दिल्ली में यमुना की सफाई मुख्य रूप से इन्ही वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांटो पर निर्भर है। इन प्लांटों में ट्रीट किए गए पानी से ही यमुना का फ्लो बढ़ाने और उसे निर्मल बनाए रखने के लिए 9-10 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजनाएं बनाई गई है। ऐसे में अगर एसटीपी में ट्रीट किए गए पानी की क्वॉलिटी बेहतर नहीं होगी, तो यमुना सफाई का पूरा प्लान फेल हो सकता है। ज्यादातर प्लांट में ट्रीट किए गए पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा लाखो में पाई गई है। यह स्वास्थ्य और यमुना नदी के ईको सिस्टम के लिए भी हानिकारक है।
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