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Data Centre Hype: भारत में बन रहा ये 'बुलबुला' कैसा? दिग्गज ने दी दूर रहने की सलाह, कूदे तो जला बैठेंगे हाथ

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नई दिल्‍ली: जाने-माने निवेशक शंकर शर्मा ने डेटा सेंटर सेक्टर को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर को लेकर जो उत्साह है, वह शायद सही नहीं है। द‍िग्‍गज इन्‍वेस्‍टर ने इसे 'बुलबुला' करार द‍िया है। उन्होंने इसकी तुलना पहले के टेलीकॉम टावर बिजनेस से की है। शर्मा ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म 'एक्‍स' पर लिखा, 'डेटा सेंटर्स को लेकर जो उत्साह है, वह ज्यादातर उम्मीदों पर टिका है। असल में यह टेलीकॉम टावर बिजनेस जैसा ही है। इसमें टावर कंपनी बहुत ज्यादा पैसा लगाकर टावर बनाती है और फिर टेलीकॉम कंपनियों को किराए पर देती है।'



दिग्‍गज ने आगे कहा कि डेटा सेंटर्स के ग्राहक भले ही अलग-अलग हों। लेकिन, फायदा ऑपरेटरों के बजाय क्‍लाइंटों को ही होता है। शर्मा के अनुसार, 'सौदेबाजी की ताकत हमेशा ग्राहक के पास होती है, डेटा सेंटर के पास नहीं। डेटा सेंटर एक ऐसा बिजनेस है जिसमें बहुत ज्यादा पैसा लगाना पड़ता है। एक बार पैसा लग गया तो आप ग्राहकों के भरोसे हो जाते हैं। वे कम कीमत पाने के लिए एक-दूसरे के खिलाफ खेल सकते हैं।'





एक्‍सपर्ट ने बताया बुलबुला उनके मुताबिक, यह मॉडल असल में एक लीजिंग बिजनेस है। इसमें कई तरह के खतरे हैं। शर्मा ने लिखा, 'इसलिए, यह आखिर में एक लीजिंग बिजनेस ही है और इसमें वैसे ही खतरे हैं, जैसे कि बैलेंस शीट पर कर्ज का बोझ। आरओआई (निवेश पर रिटर्न) कम होंगे और कैश फ्लो ज्यादातर समय नेगेटिव रहेगा। अगर आप चाहें तो इस बुलबुले में खेल सकते हैं। लेकिन, याद रखें कि इसके फायदे बहुत ज्यादा नहीं हैं।'



शर्मा की यह राय ऐसे समय में आई है जब भारत की डेटा सेंटर इंडस्‍ट्री निवेशकों को खूब आकर्षित कर रही है। अवेंडस कैपिटल की जुलाई में आई रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में डेटा सेंटर की क्षमता 1.1 GW (गीगावाट) अनुमानित है। 2030 तक यह लगभग तीन गुना बढ़कर 3 GW होने का अनुमान है। डेटा के स्थानीयकरण, क्लाउड कंप्यूटिंग और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को अपनाने के कारण आने वाले सालों में 1-1.5 अरब डॉलर का सालाना निवेश दोगुना होने की उम्मीद है।



डेटा सेंटर इंडस्‍ट्री पर सरकार का फोकस

बिजनेस स्टैंडर्ड ने सोमवार को खबर दी कि सरकार नेशनल डेटा सेंटर पॉलिसी के तहत बड़े प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है। इसमें क्षमता बढ़ाने, दक्षता और रोजगार के लक्ष्यों को पूरा करने वाले डेवलपर्स को 20 साल तक टैक्स में छूट शामिल है। इस प्रस्ताव में डेटा सेंटर के निर्माण और उपकरणों पर लगने वाले जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति देने की भी बात है।



खबरों के मुताबिक, इन उपायों का मकसद रोजगार पैदा करना और भारत की क्षमता को बढ़ाना है। यह क्षमता सिर्फ बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों में भी बढ़ेगी।

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