पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे ज्यादा संशय इसी बात को लेकर था कि क्या कांग्रेस को तेजस्वी यादव का सीएम कैंडिडेट होना मंजूर नहीं है? लेकिन गुरुवार को बिहार में चुनाव के लिए पर्यवेक्षक बनाए गए अशोक गहलोत ने इसका ऐलान कर दिया। इस दौरान महागठबंधन के दलों के सभी प्रमुख नेता दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी मौजूद थे। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु भी मौजूद थे। सभी नेताओं ने अपनी बात कही लेकिन एक चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए।
महागठबंधन की जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबने बोला
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलने की शुरूआत आईआईपी पार्टी के आईपी गुप्ता ने की। इसके बाद ललन चौधरी (लेफ्ट), रामनरेश पांडेय (लेफ्ट), अब्दुलबारी सिद्दीकी (राजद), राजेश राम (बिहार कांग्रेस अध्यक्ष), अशोक गहलोत, तेजस्वी यादव सबने एक सुर से NDA के खिलाफ हुंकार भरी। लेकिन इसी दौरान एक बड़ा नेता बिल्कुल चुप रहा। ये और कोई नहीं बल्कि बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु थे।
अल्लावरु की चुप्पी किस बात का संकेत?
इस पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले से आखिर तक कृष्णा अल्लावरु ने माइक पकड़ा और न कुछ कहा। वो बिल्कुल शांत और चुपचाप अगली कतार की आखिरी कुर्सी पर बैठे रहे। न उन्होंने महगठबंधन की एकता पर बात की और न ही तेजस्वी के सीएम चेहरे पर। वो बस एक कोने में भावशून्य जैसा चेहरा बनाए बैठे रहे। ऐसा लग रहा था कि वो बस खानापूर्ति करने के लिए महागठबंधन की जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए हों।
आखिर क्यों चुप रहे अल्लावरु?
सियासी गलियारे में इसको लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। अभी कुछ हफ्ते पहले ही कृष्णा अल्लावरु ने कांग्रेस की बी टीम कहे जाने पर जवाब दिया था कि उनकी पार्टी कांग्रेस जनता की ए टीम बन कर काम करेगी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अल्लावरु को अपनी ही पार्टी का फैसला पसंद नहीं आया है? क्या अल्लावरु तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाए जाने के फैसले को पसंद नहीं कर रहे? क्या अल्लावरु बिहार चुनाव अकेले दम लड़ने की सोच रख कर आए थे, और पार्टी ने उनकी इस सोच को तरजीह नहीं दी? या फिर आखिरी सवाल ये कि कांग्रेस में टिकट बंटवारे का गुस्सा जिस तरह से नाराज कांग्रेसियों ने अल्लावरु पर उतारा, उससे पार्टी को ये डर हो गया कि अगर वो सामने रहेंगे तो नाराज कांग्रेसी अपनी ही सीटों पर खेल बिगाड़ देंगे? क्या इसके लिए ही अल्लावरु को किनारे कर दिया गया? सवाल बहुत सारे हैं, लेकिन जवाब फिलहाल नहीं ही है।
महागठबंधन की जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबने बोला
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलने की शुरूआत आईआईपी पार्टी के आईपी गुप्ता ने की। इसके बाद ललन चौधरी (लेफ्ट), रामनरेश पांडेय (लेफ्ट), अब्दुलबारी सिद्दीकी (राजद), राजेश राम (बिहार कांग्रेस अध्यक्ष), अशोक गहलोत, तेजस्वी यादव सबने एक सुर से NDA के खिलाफ हुंकार भरी। लेकिन इसी दौरान एक बड़ा नेता बिल्कुल चुप रहा। ये और कोई नहीं बल्कि बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु थे।
#WATCH बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को बिहार विधानसभा चुनावों के लिए महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 23, 2025
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा, "...हम सभी ने तय किया है कि इस चुनाव में अगले मुख्यमंत्री के लिए तेजस्वी यादव के… pic.twitter.com/l3s2y9lFic
अल्लावरु की चुप्पी किस बात का संकेत?
इस पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले से आखिर तक कृष्णा अल्लावरु ने माइक पकड़ा और न कुछ कहा। वो बिल्कुल शांत और चुपचाप अगली कतार की आखिरी कुर्सी पर बैठे रहे। न उन्होंने महगठबंधन की एकता पर बात की और न ही तेजस्वी के सीएम चेहरे पर। वो बस एक कोने में भावशून्य जैसा चेहरा बनाए बैठे रहे। ऐसा लग रहा था कि वो बस खानापूर्ति करने के लिए महागठबंधन की जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए हों।
#WATCH पटना, बिहार: महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा, "आज INDIA गठबंधन एकजुट होकर मीडिया के सामने मौजूद है। INDIA गठबंधन की मजबूती की नींव उसी दिन रखी गई थी जब राहुल गांधी ने मतदाता अधिकार यात्रा के तहत INDIA गठबंधन के सभी सदस्यों के साथ… pic.twitter.com/MeF4s4bvsJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 23, 2025
आखिर क्यों चुप रहे अल्लावरु?
सियासी गलियारे में इसको लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। अभी कुछ हफ्ते पहले ही कृष्णा अल्लावरु ने कांग्रेस की बी टीम कहे जाने पर जवाब दिया था कि उनकी पार्टी कांग्रेस जनता की ए टीम बन कर काम करेगी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अल्लावरु को अपनी ही पार्टी का फैसला पसंद नहीं आया है? क्या अल्लावरु तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाए जाने के फैसले को पसंद नहीं कर रहे? क्या अल्लावरु बिहार चुनाव अकेले दम लड़ने की सोच रख कर आए थे, और पार्टी ने उनकी इस सोच को तरजीह नहीं दी? या फिर आखिरी सवाल ये कि कांग्रेस में टिकट बंटवारे का गुस्सा जिस तरह से नाराज कांग्रेसियों ने अल्लावरु पर उतारा, उससे पार्टी को ये डर हो गया कि अगर वो सामने रहेंगे तो नाराज कांग्रेसी अपनी ही सीटों पर खेल बिगाड़ देंगे? क्या इसके लिए ही अल्लावरु को किनारे कर दिया गया? सवाल बहुत सारे हैं, लेकिन जवाब फिलहाल नहीं ही है।
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