नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से टेलीफोन पर बात की। पीएम मोदी ने इजरायल का नाम लिए बिना दोहा में हुए हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की और कतर की संप्रभुता के उल्लंघन की निंदा की। प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में कतर द्वारा निभाई जा रही भूमिका की सराहना की, जिसमें गाजा में युद्धविराम और सभी बंधकों की रिहाई के लिए मध्यस्थता के प्रयास भी शामिल हैं। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, पीएम मोदी ने बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सभी मुद्दों के समाधान और तनाव को बढ़ने से रोकने की आवश्यकता पर अपना समर्थन दोहराया। भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के समर्थन में और सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़ा है।
कतर के अमीर ने भारत का जताया आभार
कतर के अमीर ने कतर के लोगों और राज्य के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। मंगलवार को, विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने दोहा में इज़रायली हमलों के बारे में रिपोर्ट देखी हैं और कहा कि वह इस घटनाक्रम और क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर इसके प्रभाव से बहुत चिंतित है। प्रधानमंत्री मोदी का कतर के प्रति समर्थन जताने वाला यह बयान तब आया है, जब भारत इजरायल को भी करीबी दोस्त मानता है। इजरायल ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की मदद की। करगिल युद्ध में भी इजरायल भारत की मदद कर चुका है। लेकिन इन सब बातों के बावजूद भारत दोहा हमले को लेकर कतर के साथ नजर आया।
इजरायल से दोस्ती के बावजूद दोहा हमलों की निंदी कीअसल में, भारत और कतर के संबंध ऊर्जा, प्रवासी भारतीयों और रणनीतिक स्तर पर बेहद मजबूत हैं। कतर भारत को लिक्विफाइड नेचरुल गैस (LNG) का सबसे बड़ा सप्लायर है और भारत की गैस खपत का बड़ा हिस्सा यहीं से आता है। हाल ही में दोनों देशों ने बीस साल के लिए गैस सप्लाई समझौता को अंतिम रूप दिया है। इसके अलावा कतर में करीब आठ लाख भारतीय रहते और काम करते हैं, जो वहां की सबसे बड़ी प्रवासी आबादी हैं और भारत को बड़े पैमाने पर रेमिटेंस भेजते हैं। सियासी नजरिये से भी कतर महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह क्षेत्रीय संघर्षों में मध्यस्थ की भूमिका निभाता है और खाड़ी की डिप्लोमेसी में एक दिग्गज खिलाड़ी है।
दोहा हमले की निंदी के मायने क्या हैं?
दूसरी ओर इजरायल भारत का रक्षा, प्रौद्योगिकी और खुफिया सहयोगी है। कृषि, स्टार्टअप इनोवेशन और साइबर सुरक्षा में भी दोनों देशों की गहरी साझेदारी है। प्रधानमंत्री मोदी का 2017 का इजरायल दौरा दोनों देशों के रिश्तों को ऐतिहासिक स्तर तक ले गया था। ऐसे में जब प्रधानमंत्री मोदी ने दोहा हमले की निंदा की तो इसके कई मायने हैं। यह कदम भारत की संतुलन साधने वाली विदेश नीति का हिस्सा है। भारत चाहता है कि वह न केवल इज़रायल का करीबी दिखे, बल्कि खाड़ी देशों के साथ भी अपने रिश्तों को मजबूती से बनाए रखे। चूंकि कतर भारत की ऊर्जा सुरक्षा और प्रवासी भारतीयों की भलाई के लिए सीधे तौर पर महत्वपूर्ण है, इसलिए भारत वहां किसी भी प्रकार की हिंसा या अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं कर सकता। साथ ही, भारत की वैश्विक छवि भी ऐसी है कि वह आतंकवाद और हमलों की निंदा सार्वभौमिक सिद्धांतों के आधार पर करता है, चाहे हमला कहीं भी हो।
दोहा हमले की निंदा करके भारत ने यह संदेश दिया कि वह सिर्फ इजरायल या सिर्फ अरब देशों के साथ नहीं, बल्कि दोनों के साथ भरोसेमंद रिश्ते कायम रखना चाहता है। यह भारत की उस नीति को दर्शाता है जिसमें वह मध्य-पूर्व में संतुलित, जिम्मेदार और विश्वसनीय साझेदार के रूप में खुद को पेश करता है।
कतर के अमीर ने भारत का जताया आभार
कतर के अमीर ने कतर के लोगों और राज्य के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। मंगलवार को, विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने दोहा में इज़रायली हमलों के बारे में रिपोर्ट देखी हैं और कहा कि वह इस घटनाक्रम और क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर इसके प्रभाव से बहुत चिंतित है। प्रधानमंत्री मोदी का कतर के प्रति समर्थन जताने वाला यह बयान तब आया है, जब भारत इजरायल को भी करीबी दोस्त मानता है। इजरायल ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की मदद की। करगिल युद्ध में भी इजरायल भारत की मदद कर चुका है। लेकिन इन सब बातों के बावजूद भारत दोहा हमले को लेकर कतर के साथ नजर आया।
इजरायल से दोस्ती के बावजूद दोहा हमलों की निंदी कीअसल में, भारत और कतर के संबंध ऊर्जा, प्रवासी भारतीयों और रणनीतिक स्तर पर बेहद मजबूत हैं। कतर भारत को लिक्विफाइड नेचरुल गैस (LNG) का सबसे बड़ा सप्लायर है और भारत की गैस खपत का बड़ा हिस्सा यहीं से आता है। हाल ही में दोनों देशों ने बीस साल के लिए गैस सप्लाई समझौता को अंतिम रूप दिया है। इसके अलावा कतर में करीब आठ लाख भारतीय रहते और काम करते हैं, जो वहां की सबसे बड़ी प्रवासी आबादी हैं और भारत को बड़े पैमाने पर रेमिटेंस भेजते हैं। सियासी नजरिये से भी कतर महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह क्षेत्रीय संघर्षों में मध्यस्थ की भूमिका निभाता है और खाड़ी की डिप्लोमेसी में एक दिग्गज खिलाड़ी है।
दोहा हमले की निंदी के मायने क्या हैं?
दूसरी ओर इजरायल भारत का रक्षा, प्रौद्योगिकी और खुफिया सहयोगी है। कृषि, स्टार्टअप इनोवेशन और साइबर सुरक्षा में भी दोनों देशों की गहरी साझेदारी है। प्रधानमंत्री मोदी का 2017 का इजरायल दौरा दोनों देशों के रिश्तों को ऐतिहासिक स्तर तक ले गया था। ऐसे में जब प्रधानमंत्री मोदी ने दोहा हमले की निंदा की तो इसके कई मायने हैं। यह कदम भारत की संतुलन साधने वाली विदेश नीति का हिस्सा है। भारत चाहता है कि वह न केवल इज़रायल का करीबी दिखे, बल्कि खाड़ी देशों के साथ भी अपने रिश्तों को मजबूती से बनाए रखे। चूंकि कतर भारत की ऊर्जा सुरक्षा और प्रवासी भारतीयों की भलाई के लिए सीधे तौर पर महत्वपूर्ण है, इसलिए भारत वहां किसी भी प्रकार की हिंसा या अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं कर सकता। साथ ही, भारत की वैश्विक छवि भी ऐसी है कि वह आतंकवाद और हमलों की निंदा सार्वभौमिक सिद्धांतों के आधार पर करता है, चाहे हमला कहीं भी हो।
दोहा हमले की निंदा करके भारत ने यह संदेश दिया कि वह सिर्फ इजरायल या सिर्फ अरब देशों के साथ नहीं, बल्कि दोनों के साथ भरोसेमंद रिश्ते कायम रखना चाहता है। यह भारत की उस नीति को दर्शाता है जिसमें वह मध्य-पूर्व में संतुलित, जिम्मेदार और विश्वसनीय साझेदार के रूप में खुद को पेश करता है।
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