नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को करारा जवाब दिया है। पीएम ने कहा कि भारत बहुत तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। यह बात उन्होंने ट्रंप के बयान के बाद कही है। इसमें उन्होंने भारत को 'डेड इकॉनमी' बताया था। राहुल गांधी ने भी ट्रंप के सुर में सुर मिलाए थे। ट्रंप ने रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर भारत की अर्थव्यवस्था पर यह बात कही थी।
पीएम मोदी ने ट्रंप और राहुल गांधी को जवाब देने के लिए दो मंचों का इस्तेमाल किया। वाराणसी की रैली के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीएमओ के हैंडल से एक लेख के जरिये भी दोनों को आईना दिखाया गया। वाराणसी में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री बोले कि दुनिया में आर्थिक अस्थिरता है। सभी देश अपने-अपने हितों पर ध्यान दे रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। ऐसे में भारत को अपनी आर्थिक हितों को लेकर सतर्क रहना होगा।
स्वेदशी उत्पादों को अपनाने की अपील
मोदी ने सभी राजनीतिक दलों से एकजुट होकर भारतीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश हित में हर संभव कोशिश में जुटी है। मोदी ने कहा, 'जो लोग देश का भला चाहते हैं और भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देखना चाहते हैं, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल के हों, उन्हें अपने मतभेदों को दूर रखना चाहिए। 'स्वदेशी' उत्पादों के लिए एक संकल्प लेना चाहिए।'
उन्होंने अपने 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को दोहराते हुए कहा, 'हम केवल वही चीजें खरीदें जो भारतीयों ने बनाई हों। हमें लोकल के लिए वोकल बनना होगा।'
मोदी का यह बयान ट्रंप के 31 जुलाई के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया है। ट्रंप ने भारत से लगभग सभी आयातों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। साथ ही भारत के रूस के साथ संबंधों पर हमला किया था। ट्रंप ने लिखा था, 'मुझे परवाह नहीं है कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी डेड इकॉनमी को एक साथ ले जा सकते हैं, मुझे कोई परवाह नहीं है।'
राहुल गांधी को ऐसे दिखाया आईना
राहुल गांधी ने भी एक्स पर एक पोस्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था को 'डेड' बताया था। इस पर भी पीएमओ की ओर से प्रतिक्रिया दी गई। इसके लिए एक लेख का हवाला दिया गया। 'इंडियाज इकॉनमी इज अलाइव एंड किकिंग' शीर्षक वाले इस लेख में गया गया है कि राहुल गांधी का यह दावा उनकी अज्ञानता, समझ की कमी, झूठ बोलने के शौक और मोदीनॉमिक्स के प्रति उनकी नापसंदगी का नतीजा है। लेकिन, सच अलग है। सच यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और बदलते व्यापार के बीच उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में 6.5 फीसदी की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ हासिल की है। वहीं, नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट 9.8 फीसदी रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठीक स्थिति में है।
न्यूज18 में छपे लेख में कहा गया है कि राहुल गांधी की बात करें तो उनकी कांग्रेस पार्टी लगातार तीन लोकसभा चुनावों में हार चुकी है। अब वह राजनीतिक फायदे के लिए भारत अर्थव्यवस्था को बदनाम कर रहे हैं।
S&P ने वित्त वर्ष 2025-26 में अमरीका के लिए 1.5 फीसदी, ब्रिटेन के लिए 0.8 फीसदी, जर्मनी के लिए 0.9 फीसदी, फ्रांस के लिए 0.6 फीसदी और जापान के लिए 0.5 फीसदी की आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है। चीन की ग्रोथ 4.3 फीसदी तक धीमी होने की उम्मीद है। दक्षिण कोरिया की ग्रोथ वित्त वर्ष 2025-26 में 0.8 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके उलट वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अनुमानित 6.5 फीसदी की ग्रोथ इसे सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाती है। यह इसकी घरेलू-संचालित आर्थिक मॉडल और पीएम मोदी के तहत नीति स्थिरता का प्रमाण है।
इसके अलावा, भारत का 695 अरब डॉलर से ज्यादा का विशाल विदेशी मुद्रा भंडार और स्थिर वित्तीय प्रणाली बाहरी झटकों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे इसकी विकास संभावनाओं में और विश्वास बढ़ता है।
हर मोर्चे पर दौड़ रही अर्थव्यवस्था
लेख में केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट का जिक्र है। इसके अनुसार, चालू खाता घाटा (CAD) वित्त वर्ष 2025-26 में सिर्फ 0.9 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं, राजकोषीय घाटा 4.4 फीसदी अनुमानित है। यह भी ध्यान रखें कि भारत का सीएडी लगातार कम रहा है, जो वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान जीडीपी का 0.6 फीसदी और वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 0.7 फीसदी रहा है। यह एक बार फिर साबित करता है कि कैसे मोदी सरकार ने राजकोषीय फिजूलखर्ची में लिप्त हुए बिना ऊंची जीडीपी ग्रोथ को अपनाया है।
लेख के अनुसार, पीएम मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत ने बुनियादी ढांचे के विकास और डिजिटलीकरण पर फोकस करते हुए परिवर्तनकारी आर्थिक यात्रा की है। यूपीआई और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सहित डिजिटल बुनियादी ढांचे के प्रसार ने अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप दिया है। वित्तीय समावेशन को बढ़ाया है। सेवा क्षेत्र में विकास को बढ़ावा दिया है। दिसंबर 2024 तक भारत में कुल 94.49 करोड़ ब्रॉडबैंड ग्राहक थे। इनमें 90.37 करोड़ वायरलेस और 4.11 करोड़ वायरलाइन ग्राहक शामिल थे।
पीएम मोदी ने ट्रंप और राहुल गांधी को जवाब देने के लिए दो मंचों का इस्तेमाल किया। वाराणसी की रैली के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीएमओ के हैंडल से एक लेख के जरिये भी दोनों को आईना दिखाया गया। वाराणसी में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री बोले कि दुनिया में आर्थिक अस्थिरता है। सभी देश अपने-अपने हितों पर ध्यान दे रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। ऐसे में भारत को अपनी आर्थिक हितों को लेकर सतर्क रहना होगा।
स्वेदशी उत्पादों को अपनाने की अपील
मोदी ने सभी राजनीतिक दलों से एकजुट होकर भारतीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश हित में हर संभव कोशिश में जुटी है। मोदी ने कहा, 'जो लोग देश का भला चाहते हैं और भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देखना चाहते हैं, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल के हों, उन्हें अपने मतभेदों को दूर रखना चाहिए। 'स्वदेशी' उत्पादों के लिए एक संकल्प लेना चाहिए।'
उन्होंने अपने 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को दोहराते हुए कहा, 'हम केवल वही चीजें खरीदें जो भारतीयों ने बनाई हों। हमें लोकल के लिए वोकल बनना होगा।'
मोदी का यह बयान ट्रंप के 31 जुलाई के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया है। ट्रंप ने भारत से लगभग सभी आयातों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। साथ ही भारत के रूस के साथ संबंधों पर हमला किया था। ट्रंप ने लिखा था, 'मुझे परवाह नहीं है कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी डेड इकॉनमी को एक साथ ले जा सकते हैं, मुझे कोई परवाह नहीं है।'
राहुल गांधी को ऐसे दिखाया आईना
राहुल गांधी ने भी एक्स पर एक पोस्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था को 'डेड' बताया था। इस पर भी पीएमओ की ओर से प्रतिक्रिया दी गई। इसके लिए एक लेख का हवाला दिया गया। 'इंडियाज इकॉनमी इज अलाइव एंड किकिंग' शीर्षक वाले इस लेख में गया गया है कि राहुल गांधी का यह दावा उनकी अज्ञानता, समझ की कमी, झूठ बोलने के शौक और मोदीनॉमिक्स के प्रति उनकी नापसंदगी का नतीजा है। लेकिन, सच अलग है। सच यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और बदलते व्यापार के बीच उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में 6.5 फीसदी की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ हासिल की है। वहीं, नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट 9.8 फीसदी रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठीक स्थिति में है।
न्यूज18 में छपे लेख में कहा गया है कि राहुल गांधी की बात करें तो उनकी कांग्रेस पार्टी लगातार तीन लोकसभा चुनावों में हार चुकी है। अब वह राजनीतिक फायदे के लिए भारत अर्थव्यवस्था को बदनाम कर रहे हैं।
S&P ने वित्त वर्ष 2025-26 में अमरीका के लिए 1.5 फीसदी, ब्रिटेन के लिए 0.8 फीसदी, जर्मनी के लिए 0.9 फीसदी, फ्रांस के लिए 0.6 फीसदी और जापान के लिए 0.5 फीसदी की आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है। चीन की ग्रोथ 4.3 फीसदी तक धीमी होने की उम्मीद है। दक्षिण कोरिया की ग्रोथ वित्त वर्ष 2025-26 में 0.8 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके उलट वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अनुमानित 6.5 फीसदी की ग्रोथ इसे सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाती है। यह इसकी घरेलू-संचालित आर्थिक मॉडल और पीएम मोदी के तहत नीति स्थिरता का प्रमाण है।
इसके अलावा, भारत का 695 अरब डॉलर से ज्यादा का विशाल विदेशी मुद्रा भंडार और स्थिर वित्तीय प्रणाली बाहरी झटकों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे इसकी विकास संभावनाओं में और विश्वास बढ़ता है।
हर मोर्चे पर दौड़ रही अर्थव्यवस्था
लेख में केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट का जिक्र है। इसके अनुसार, चालू खाता घाटा (CAD) वित्त वर्ष 2025-26 में सिर्फ 0.9 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं, राजकोषीय घाटा 4.4 फीसदी अनुमानित है। यह भी ध्यान रखें कि भारत का सीएडी लगातार कम रहा है, जो वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान जीडीपी का 0.6 फीसदी और वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 0.7 फीसदी रहा है। यह एक बार फिर साबित करता है कि कैसे मोदी सरकार ने राजकोषीय फिजूलखर्ची में लिप्त हुए बिना ऊंची जीडीपी ग्रोथ को अपनाया है।
लेख के अनुसार, पीएम मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत ने बुनियादी ढांचे के विकास और डिजिटलीकरण पर फोकस करते हुए परिवर्तनकारी आर्थिक यात्रा की है। यूपीआई और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सहित डिजिटल बुनियादी ढांचे के प्रसार ने अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप दिया है। वित्तीय समावेशन को बढ़ाया है। सेवा क्षेत्र में विकास को बढ़ावा दिया है। दिसंबर 2024 तक भारत में कुल 94.49 करोड़ ब्रॉडबैंड ग्राहक थे। इनमें 90.37 करोड़ वायरलेस और 4.11 करोड़ वायरलाइन ग्राहक शामिल थे।
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