नई दिल्ली: सोना और चांदी की कीमत इस साल काफी बढ़ गई है। बेहतर रिटर्न के लिए काफी लोग इसमें खूब निवेश कर रहे हैं। काफी निवेशकों को लगता है कि सोना और चांदी ही भविष्य की धातु (मेटल) हैं। लेकिन एक एक्सपर्ट का कहना है कि भविष्य की धातु सोना-चांदी नहीं बल्कि कॉपर यानी तांबा है। एक्सपर्ट का कहना है कि कॉपर ही वो धातु है जो भविष्य का निर्माण कर सकती है।
सीनियर एनालिस्ट सुजय यू (Sujay U) ने चेतावनी दी है कि जहां भारतीय सोने के पीछे भाग रहे हैं, वहीं वे उस संपत्ति को नजरअंदाज कर रहे हैं जिसमें अगले दशक में जबरदस्त उछाल आने वाला है। उन्होंने लिंक्डइन पर लिखा है कि तांबा वो धातु है जो अगले 5 से 10 सालों में दौलत को नया रूप दे सकती है। उनका तर्क है कि लगभग सभी भारतीय इसकी बढ़ती मांग से अनजान हैं।
तांबे की क्यों बढ़ रही मांग?सुजय लिखते हैं कि दुनिया तांबे के बिना भविष्य का निर्माण नहीं कर सकती। तांबा इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनलों, चार्जिंग स्टेशनों, पावर ग्रिडों और डेटा सेंटरों के लिए बहुत जरूरी है। ये सब एक ग्रीन, विद्युतीकृत अर्थव्यवस्था के मुख्य स्तंभ हैं। ऐसे में तांबे की मांग लगातार बढ़ रही है।
वहीं दूसरी ओर इसकी सप्लाई में भारी कमी है। इंडोनेशिया की सबसे बड़ी तांबा खदानों में से एक ग्रासबर्ग बाढ़ और दुर्घटनाओं से प्रभावित हुई है। इससे साल 2026 तक 6 लाख टन से अधिक की उत्पादन कमी का खतरा है। एक नई तांबा खदान खोलने में 10 से 15 साल लगते हैं और मौजूदा खदानें खाली हो रही हैं या उनमें अयस्क की गुणवत्ता गिर रही है।
मॉर्गन स्टेनली ने भी जताई चिंतामॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल यानी 2026 में तांबे की बाजार में पिछले 22 सालों की सबसे बड़ी कमी देखी जाएगी। यह कमी 5.90 लाख टन तक पहुंच सकती है। वहीं साल 2029 तक यह कमी बढ़कर 1.1 मिलियन टन तक हो जाने की आशंका है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि दुनिया भर में तांबे का उत्पादन साल 2020 के बाद पहली बार कम होने वाला है।
सप्लाई कम तो बढ़ गई कीमतसप्लाई में कमी के कारण तांबे ने बाजार में चिंता पैदा कर दी है। इस कारण हाल ही में एक ही दिन में तांबे की कीमत 3 से 3.5% बढ़ गई। गोल्डमैन सैक्स और सिटी अब अगले कुछ सालों में तांबे की कीमत 11,000 से 14,000 डॉलर प्रति टन तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं। यह 20 से 50% की संभावित मूल्य वृद्धि हो सकती है।
वहीं दूसरी ओर चीन द्वारा सोलर सब्सिडी में कटौती के फैसले ने आग में घी का काम किया। नई नियमों से पहले कंपनियों ने सोलर पैनल लगाने की होड़ लगा दी, जिससे वायरिंग और ग्रिड कनेक्शन के लिए तांबे की मांग बढ़ गई।
सोने और तांबे में कितना अंतर?तांबा सोने की तरह बेकार नहीं पड़ा रहता। सुजय लिखते हैं कि एक धातु लॉकर में पड़ी रहती है तो वहीं दूसरी भविष्य को चलाती है। उन्होंने कहा कि सोना इंतजार करता है, जबकि तांबा 24×7 काम करता है।
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक AI डेटा सेंटर और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की वजह से तांबे की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। यह मांग सप्लाई से कहीं ज्यादा होने वाली है। तांबे के खदान मालिक पहले से ही बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसलिए, आने वाले समय में तांबे की कीमतें बढ़ने वाली हैं।
सीनियर एनालिस्ट सुजय यू (Sujay U) ने चेतावनी दी है कि जहां भारतीय सोने के पीछे भाग रहे हैं, वहीं वे उस संपत्ति को नजरअंदाज कर रहे हैं जिसमें अगले दशक में जबरदस्त उछाल आने वाला है। उन्होंने लिंक्डइन पर लिखा है कि तांबा वो धातु है जो अगले 5 से 10 सालों में दौलत को नया रूप दे सकती है। उनका तर्क है कि लगभग सभी भारतीय इसकी बढ़ती मांग से अनजान हैं।
तांबे की क्यों बढ़ रही मांग?सुजय लिखते हैं कि दुनिया तांबे के बिना भविष्य का निर्माण नहीं कर सकती। तांबा इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनलों, चार्जिंग स्टेशनों, पावर ग्रिडों और डेटा सेंटरों के लिए बहुत जरूरी है। ये सब एक ग्रीन, विद्युतीकृत अर्थव्यवस्था के मुख्य स्तंभ हैं। ऐसे में तांबे की मांग लगातार बढ़ रही है।
वहीं दूसरी ओर इसकी सप्लाई में भारी कमी है। इंडोनेशिया की सबसे बड़ी तांबा खदानों में से एक ग्रासबर्ग बाढ़ और दुर्घटनाओं से प्रभावित हुई है। इससे साल 2026 तक 6 लाख टन से अधिक की उत्पादन कमी का खतरा है। एक नई तांबा खदान खोलने में 10 से 15 साल लगते हैं और मौजूदा खदानें खाली हो रही हैं या उनमें अयस्क की गुणवत्ता गिर रही है।
मॉर्गन स्टेनली ने भी जताई चिंतामॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल यानी 2026 में तांबे की बाजार में पिछले 22 सालों की सबसे बड़ी कमी देखी जाएगी। यह कमी 5.90 लाख टन तक पहुंच सकती है। वहीं साल 2029 तक यह कमी बढ़कर 1.1 मिलियन टन तक हो जाने की आशंका है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि दुनिया भर में तांबे का उत्पादन साल 2020 के बाद पहली बार कम होने वाला है।
सप्लाई कम तो बढ़ गई कीमतसप्लाई में कमी के कारण तांबे ने बाजार में चिंता पैदा कर दी है। इस कारण हाल ही में एक ही दिन में तांबे की कीमत 3 से 3.5% बढ़ गई। गोल्डमैन सैक्स और सिटी अब अगले कुछ सालों में तांबे की कीमत 11,000 से 14,000 डॉलर प्रति टन तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं। यह 20 से 50% की संभावित मूल्य वृद्धि हो सकती है।
वहीं दूसरी ओर चीन द्वारा सोलर सब्सिडी में कटौती के फैसले ने आग में घी का काम किया। नई नियमों से पहले कंपनियों ने सोलर पैनल लगाने की होड़ लगा दी, जिससे वायरिंग और ग्रिड कनेक्शन के लिए तांबे की मांग बढ़ गई।
सोने और तांबे में कितना अंतर?तांबा सोने की तरह बेकार नहीं पड़ा रहता। सुजय लिखते हैं कि एक धातु लॉकर में पड़ी रहती है तो वहीं दूसरी भविष्य को चलाती है। उन्होंने कहा कि सोना इंतजार करता है, जबकि तांबा 24×7 काम करता है।
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक AI डेटा सेंटर और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की वजह से तांबे की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। यह मांग सप्लाई से कहीं ज्यादा होने वाली है। तांबे के खदान मालिक पहले से ही बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसलिए, आने वाले समय में तांबे की कीमतें बढ़ने वाली हैं।
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