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Bihar Election 2025: SIR हुआ पूरा, अब वे लोग क्या करें जिनके परदादा दशकों पहले बिहार में आकर बसे थे?

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पटना: बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का काम पूरा हो चुका है और जल्द ही अंतिम वोटर लिस्ट जारी हो जाएगी, लेकिन मतदाताओं की समस्या का अंत नहीं हुआ है। कई लोग जो पहले मतदाता थे, अब नहीं हैं। बिहार के किशनगंज में ईरानी मूल के कई परिवारों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस मिले हैं। यह सब बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे 'स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन' (SIR) अभियान के तहत हो रहा है।



इन परिवारों के पूर्वज दो पीढ़ियों पहले यहां आकर बसे थे। उन्होंने यहां के खान-पान को अपनाया, अपना कारोबार शुरू किया, बच्चों को पाला और पहले के चुनावों में वोट भी दिया। अब उनके वंशजों को अपनी नागरिकता के दस्तावेज जमा करने को कहा जा रहा है। बताया जाता है कि ईरानी बस्ती के 28 लोगों को नोटिस दिए गए हैं। उन्हें जरूरी कागजात जमा करके अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। इन परिवारों का कहना है कि वे भारतीय हैं और उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। वे न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।



खुद को भारतीय कहते हैं ईरानी परिवार

किशनगंज में रहने वाले ईरानी परिवार खुद को भारतीय कहते हैं, भले ही उनकी मातृभाषा फारसी है। बिहार में वोटर लिस्ट को अपडेट करने की प्रक्रिया के तहत करीब 30 लोगों से नागरिकता के दस्तावेज मांगे गए हैं। इन परिवारों का कहना है कि वे कई पीढ़ियों से भारत में रह रहे हैं। उन्होंने यहां की संस्कृति को पूरी तरह अपना लिया है। वे यहां के समाज का अभिन्न अंग बन चुके हैं।



एक निवासी ने बताया कि उन्हें और उनके परिवार के चार अन्य सदस्यों को नोटिस मिले हैं। उन्होंने कहा कि वे पहले ही अधिकारियों को सभी जरूरी दस्तावेज दे चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके परिवार को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। उनका मकसद उन्हें विदेशी साबित करना है। उनका सवाल है कि, वे अब कहां जाएंगे? उनके दादा-दादी और परदादा-परदादी वोटर लिस्ट में थे। बस न्याय की उम्मीद कर सकते हैं।



वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने की कोशिशें नाकाम

एक 20 साल की युवती बीएड करना चाहती है। लेकिन उसके पिता का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है। इस वजह से उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक अन्य निवासी ने बताया कि वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने की उसकी सभी कोशिशें नाकाम रहीं। उसने कहा कि नेता जो उनके मुद्दों को सुलझाने का वादा करते हैं, वे कुछ ही दिनों में अपना वादा भूल जाते हैं। उन्होंने कहना है कि, उनके पूर्वज अवैध नहीं थे, वे बांग्लादेश से नहीं थे। वे सभी मांगे गए दस्तावेज दे रहे हैं और सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं। अगर वे डीएनए चाहते हैं, तो वे उसे अपने पूर्वजों की कब्रों से निकाल लेंगे।



एक व्यक्ति ने कहा कि जब भी नोटिस मिले हैं, तो अपनी नागरिकता का प्रमाण दिया है। उनका नाम 2003 की वोटर लिस्ट में था और फिर उसे हटा दिया गया। फिर उसे दोबारा जुड़वाया। हर बार दस्तावेज़ देने के बावजूद नाम हटा दिए जाते हैं। बस इतना बताया जाता है कि आदेश ऊपर से आए हैं।



जमीन हड़पने की साजिश का आरोप

वार्ड नंबर 7 में रहने वाले एक ईरानी व्यक्ति को भी ऐसा ही नोटिस मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट से बार-बार नाम हटाना और नागरिकता साबित करने की ज़रूरत उनकी जमीन हड़पने की एक साज़िश है।



एक बीजेपी नेता ने बताया कि ईरानी बस्ती के 28 लोगों को नोटिस दिए गए हैं। उन्हें जरूरी कागजात जमा करके अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि, ईरानी लोग यहां करीब 40 साल से रह रहे हैं। 28 लोगों की पहचान की गई है, लेकिन उनके नाम वोटर लिस्ट से हटाए नहीं गए हैं। उनसे नागरिकता प्रमाण के दस्तावेज देने को कहा गया है। उनका कहना है कि यह केवल एक प्रक्रिया है और किसी का नाम हटाया नहीं गया है।

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