खंडवा: तेलंगाना की एक 16 वर्षीय नर्सिंग छात्रा साध्वी बनने की इच्छा से घर से निकली थी, लेकिन गलती से गलत ट्रेन में बैठकर मध्य प्रदेश के खंडवा पहुंच गई। छात्रा ने बताया कि उसने भगवान शिव से शादी की है और वह अध्यात्म में गहरी आस्था रखती है। बाल कल्याण समिति ने काउंसलिंग के बाद उसे उसके पिता को सौंप दिया, जिसके बाद छात्रा ने भगवान महाकाल के दर्शन करने की इच्छा जताई।
काशी के लिए निकली थी छात्रा
छात्रा तेलंगाना के खम्मम जिले की रहने वाली है। वह 19 अक्टूबर को काशी (वाराणसी) जाने के लिए निकली थी ताकि वह साध्वी बन सके। उसने जयपुर जाने वाली ट्रेन में गलती से बैठ गई। भगवा वस्त्र पहने छात्रा ने बताया कि वह सोशल मीडिया पर साध्वियों को देखती थी और भगवान शंकर के प्रति उसकी गहरी भक्ति है। उसने यह भी खुलासा किया कि उसने एक मंदिर में भगवान शंकर से शादी कर ली थी।
अंग्रेजी में दिया पूरा स्टेटमेंट
छात्रा ने सनातन धर्म और आध्यात्मिकता में गहरी आस्था व्यक्त की। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने बताया कि छात्रा ने अपना पूरा स्टेटमेंट अंग्रेजी में दिया। छात्रा दो दिनों तक वन स्टॉप सेंटर पर माला जपती रही और शंकर जी के मंत्रों का उच्चारण करती रही। छात्रा ने घर छोड़ने से पहले एक पत्र भी छोड़ा था, जिसमें उसने साध्वी बनने के लिए घर से निकलने और अध्यात्म से जुड़कर शांति पाने की बात लिखी थी। इस पत्र को पढ़कर छात्रा की मां की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सूचना मिलने पर छात्रा के पिता, जो मां से अलग रह रहे थे, भी खंडवा पहुंचे।
सात्विक भोजन की करी डिमांड
19 अक्टूबर को घर से निकली छात्रा 20 अक्टूबर की सुबह खंडवा स्टेशन पर ट्रेन से उतारी गई थी। रेलवे पुलिस ने छात्रा को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द किया। बाल कल्याण समिति ने काउंसलिंग के बाद उसे वन स्टाप सेंटर भेज दिया था। वहां उसने सात्विक भोजन की मांग की, जिसके अनुसार उसे भिंडी की सब्जी और रोटी दी गई। 21 अक्टूबर को छात्रा के पिता भी खंडवा पहुंचे। बाल कल्याण समिति ने छात्रा के बयानों का क्रॉस एग्जामिनेशन उसके पिता से किया। पिता ने भी बेटी की साध्वी बनने की इच्छा की पुष्टि की और घर छोड़ने की कोई अन्य वजह सामने नहीं आई।
महाकाल के दर्शन की जताई इच्छा
बुधवार को कमेटी ने छात्रा को उसके पिता को सौंप दिया। इस दौरान छात्रा ने शर्त रखी कि उसे घर जाने से पहले भगवान महाकाल के दर्शन करने हैं। इसके बाद पिता ने कमेटी से उज्जैन के बारे में जानकारी ली और बेटी को उज्जैन लेकर गए। बाल कल्याण समिति के अनुसार, छात्रा के माता-पिता अलग-अलग रहते हैं और छात्रा पिछले 12 सालों से अपने पिता से अलग रह रही है। उसने इंटरनेट पर साध्वी बनने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी जुटाई थी। उसने बताया कि वह विधि-विधान से साध्वी बनने के लिए काशी जा रही थी, जहां वह किसी मठ में दीक्षा लेने वाली थी। छात्रा एक नर्सिंग कॉलेज में ट्रेनी स्टूडेंट है और उसे स्टाइपेंड भी मिलता है।
समिति ने दी समझाइश
समिति ने उसे समझाया कि माता-पिता भगवान से पहले पूजनीय हैं, जिसके बाद वह अपने माता-पिता के साथ वापस चली गई। समिति ने उसे बालिग होने के बाद यह राह चुनने की सलाह दी है। बाल कल्याण समिति ने नाबालिग को थाने से उसके पिता के हवाले कर दिया गया।
काशी के लिए निकली थी छात्रा
छात्रा तेलंगाना के खम्मम जिले की रहने वाली है। वह 19 अक्टूबर को काशी (वाराणसी) जाने के लिए निकली थी ताकि वह साध्वी बन सके। उसने जयपुर जाने वाली ट्रेन में गलती से बैठ गई। भगवा वस्त्र पहने छात्रा ने बताया कि वह सोशल मीडिया पर साध्वियों को देखती थी और भगवान शंकर के प्रति उसकी गहरी भक्ति है। उसने यह भी खुलासा किया कि उसने एक मंदिर में भगवान शंकर से शादी कर ली थी।
अंग्रेजी में दिया पूरा स्टेटमेंट
छात्रा ने सनातन धर्म और आध्यात्मिकता में गहरी आस्था व्यक्त की। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने बताया कि छात्रा ने अपना पूरा स्टेटमेंट अंग्रेजी में दिया। छात्रा दो दिनों तक वन स्टॉप सेंटर पर माला जपती रही और शंकर जी के मंत्रों का उच्चारण करती रही। छात्रा ने घर छोड़ने से पहले एक पत्र भी छोड़ा था, जिसमें उसने साध्वी बनने के लिए घर से निकलने और अध्यात्म से जुड़कर शांति पाने की बात लिखी थी। इस पत्र को पढ़कर छात्रा की मां की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सूचना मिलने पर छात्रा के पिता, जो मां से अलग रह रहे थे, भी खंडवा पहुंचे।
सात्विक भोजन की करी डिमांड
19 अक्टूबर को घर से निकली छात्रा 20 अक्टूबर की सुबह खंडवा स्टेशन पर ट्रेन से उतारी गई थी। रेलवे पुलिस ने छात्रा को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द किया। बाल कल्याण समिति ने काउंसलिंग के बाद उसे वन स्टाप सेंटर भेज दिया था। वहां उसने सात्विक भोजन की मांग की, जिसके अनुसार उसे भिंडी की सब्जी और रोटी दी गई। 21 अक्टूबर को छात्रा के पिता भी खंडवा पहुंचे। बाल कल्याण समिति ने छात्रा के बयानों का क्रॉस एग्जामिनेशन उसके पिता से किया। पिता ने भी बेटी की साध्वी बनने की इच्छा की पुष्टि की और घर छोड़ने की कोई अन्य वजह सामने नहीं आई।
महाकाल के दर्शन की जताई इच्छा
बुधवार को कमेटी ने छात्रा को उसके पिता को सौंप दिया। इस दौरान छात्रा ने शर्त रखी कि उसे घर जाने से पहले भगवान महाकाल के दर्शन करने हैं। इसके बाद पिता ने कमेटी से उज्जैन के बारे में जानकारी ली और बेटी को उज्जैन लेकर गए। बाल कल्याण समिति के अनुसार, छात्रा के माता-पिता अलग-अलग रहते हैं और छात्रा पिछले 12 सालों से अपने पिता से अलग रह रही है। उसने इंटरनेट पर साध्वी बनने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी जुटाई थी। उसने बताया कि वह विधि-विधान से साध्वी बनने के लिए काशी जा रही थी, जहां वह किसी मठ में दीक्षा लेने वाली थी। छात्रा एक नर्सिंग कॉलेज में ट्रेनी स्टूडेंट है और उसे स्टाइपेंड भी मिलता है।
समिति ने दी समझाइश
समिति ने उसे समझाया कि माता-पिता भगवान से पहले पूजनीय हैं, जिसके बाद वह अपने माता-पिता के साथ वापस चली गई। समिति ने उसे बालिग होने के बाद यह राह चुनने की सलाह दी है। बाल कल्याण समिति ने नाबालिग को थाने से उसके पिता के हवाले कर दिया गया।
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