काबुल: अफगानिस्तान के एक विश्वविद्यालय के कुलपति ने पाकिस्तान के खिलाफ जिहाद को मुसलमानों का नैतिक कर्तव्य बताया है। खोस्त स्थित शेख जायद विश्वविद्यालय के कुलपति मोहम्मद नसीम हक्कानी ने छात्रों को संबोधित करते हुए यह बात कही है। इसे पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों में आ रही गिरावट से भी जोड़कर देखा जा रहा है। वर्तमान में दोनों देशों में तनाव चरम पर है। पाकिस्तान ने कुछ दिनों पहले ही अफगानिस्तान में हवाई हमले किए थे, जिसका तालिबान ने विरोध किया है। नसीम हक्कानी को तालिबान ने कुलपति बनाया है। उनके इस बयान को तालिबान के विचार से जोड़कर देखा जा रहा है।
तालिबान ने पाकिस्तान सरकार को कठपुतली कहा
अमु टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, शेख जायद विश्वविद्यालय के तालिबान द्वारा नियुक्त कुलाधिपति मोहम्मद नसीम हक्कानी ने पाकिस्तान सरकार को "कठपुतली" कहा। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान के कानून "यहूदियों और ईसाइयों के प्रभाव" में हैं। तालिबान प्रशासन और उसके उच्च शिक्षा मंत्रालय ने हक्कानी के बयानों पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। विश्लेषकों ने कहा कि ये टिप्पणियाँ राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पाकिस्तान लंबे समय से एक पड़ोसी और एक ऐसे देश के रूप में अपनी भूमिका निभाता रहा है जिस पर पिछले दशकों में तालिबान को समर्थन देने का आरोप है।
तालिबान-पाकिस्तान में किन मुद्दों पर विवाद
2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से पाकिस्तान के साथ संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। तालिबान और पाकिस्तान में डूरंड रेखा, टीटीपी आतंकवादियों के हमले और अफगान शरणार्थियों को लेकर विवाद है। दोनों ही पक्ष खुद को सच्चा साबित करने में लगे हुए हैं। पाकिस्तान ने तालिबान पर अपने देश में आतंकवादी हमलों के जरिए अस्थिर करने का आरोप लगाया है। हालांकि, तालिबान ने इन आरोपों को खारिज किया है। पाकिस्तान और तालिबान सीमा को लेकर भी आमने-सामने हैं। तालिबान ने डूरंड लाइन को सीमा मानने से इनकार किया है, वहीं पाकिस्तान बाड़बंदी कर इसे बंद करने की कोशिश कर रहा है।
तालिबान ने पाकिस्तान सरकार को कठपुतली कहा
अमु टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, शेख जायद विश्वविद्यालय के तालिबान द्वारा नियुक्त कुलाधिपति मोहम्मद नसीम हक्कानी ने पाकिस्तान सरकार को "कठपुतली" कहा। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान के कानून "यहूदियों और ईसाइयों के प्रभाव" में हैं। तालिबान प्रशासन और उसके उच्च शिक्षा मंत्रालय ने हक्कानी के बयानों पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। विश्लेषकों ने कहा कि ये टिप्पणियाँ राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पाकिस्तान लंबे समय से एक पड़ोसी और एक ऐसे देश के रूप में अपनी भूमिका निभाता रहा है जिस पर पिछले दशकों में तालिबान को समर्थन देने का आरोप है।
तालिबान-पाकिस्तान में किन मुद्दों पर विवाद
2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से पाकिस्तान के साथ संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। तालिबान और पाकिस्तान में डूरंड रेखा, टीटीपी आतंकवादियों के हमले और अफगान शरणार्थियों को लेकर विवाद है। दोनों ही पक्ष खुद को सच्चा साबित करने में लगे हुए हैं। पाकिस्तान ने तालिबान पर अपने देश में आतंकवादी हमलों के जरिए अस्थिर करने का आरोप लगाया है। हालांकि, तालिबान ने इन आरोपों को खारिज किया है। पाकिस्तान और तालिबान सीमा को लेकर भी आमने-सामने हैं। तालिबान ने डूरंड लाइन को सीमा मानने से इनकार किया है, वहीं पाकिस्तान बाड़बंदी कर इसे बंद करने की कोशिश कर रहा है।
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