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चावल-फूल का अक्षत मारा... बकरा हो गया जिंदा, मां मुंडेश्वरी भवानी शक्तिपीठ में चमत्कार!

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कैमूर: देश का ऐसा मंदिर जहां रक्त विहीन बलि देने की प्रथा है। बिहार के प्राचीन मंदिर माता मुंडेश्वरी मंदिर में रक्त विहीन बलि दी जाती है। सिर्फ चावल और फूल के अक्षत से माता बकरे की बलि स्वीकार करती हैं। ये मंदिर कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के पंवरा पहाड़ी पर स्थित है। इसे 625 ईसा पूर्व के होने की बात कही जाती है। अष्टकोणीय मंदिर है, जहां महामंडलेश्वर शिव परिवार बिराजमान है। भारत में ये पहला मंदिर है, जहां मंदिर में बकरे की रक्त विहीन बलि देने की अनोखी प्रथा है। श्रद्धालु की मन्नत पूरी होने पर बकरे लेकर मंदिर आते हैं, उसे विधवत पूजा-अर्चना के बाद माता के चरण में लेटा दिया जाता है, जिससे बकरा मूर्छित हो जाता है। फिर समझा जाता है कि माता ने बलि स्वीकार कर लिया। जब पुजारी की ओर से चावल-फूल का अक्षत मारा जाता है तो बकरा पुनः जीवित हो जाता है। फिर श्रद्धालु उसे लेकर अपने घर चले जाते हैं। माता के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। पूरे नवरात्र में लाखों श्रद्धालु माता के दरबार में आते हैं।





माता की दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालुशारदीय नवरात्र में माता के दर्शन करने पहुंचे यूपी के सोनभद्र जिले के गौरव और वर्षा का कहना है कि बहुत पहले से हम लोग आ रहे हैं। माता की महिमा सुने थे कि माता के दरबार मे जो मन्नत मांगते हैं, वो पूरा होता है। अब तक दो बार मंदिर पूरे परिवार के साथ आए है, बहुत शांति मिली। मन्नत पूरा होने पर बकरे को लेकर पहुंचे अजय कुमार सिंह जो जिले के रामगढ़ के तिहरा के रहने वाले है। बताते है कि एक मन्नत माता के दरबार मे मांगे थे, वो पूरा हो गया। इसलिए, बकरे को लेकर आए हैं, आगे भी माता के दर्शन करते रहेंगे।

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भारत की प्राचीन मंदिरों में से एकमाता मुंडेश्वरी मंदिर के पुजारी मुन्ना द्विवेदी का कहना है कि ये मंदिर 625 ईसा पूर्व का है। ये अष्टकोणीय मंदिर है जो कैमूर जिले के भगवानपुर के पंवरा पहाड़ी पर स्थित है। यहां सालों भर माता मुंडेश्वरी का दर्शन करने श्रद्धालु आते हैं। साल के दोनों नवरात्र में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। महामंडलेश्वर शिव परिवार का बिराजमान हैं। यहां अनोखी प्रथा है, मन्नत पूरी होने पर रक्त विहीन बकरे का बलि दिया जाता है। वो भी चावल और फूल के अक्षत से।





रक्त विहीन बलि की परंपराप्रशासन की ओर से बताया गया कि नवरात्र में कड़ी सुरक्षा रहती है। 25 सीसीटीवी कैमरे से निगरानी होती है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस बल और स्काउट गाइड की तैनाती रहती है। माता की मंदिर प्राचीन है, लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। भारत में ये एक ऐसा मंदिर है जहां रक्त विहीन बकरे की बलि देने की प्रथा है, जिस श्रद्धालु की मन्नत पूरा होती है तो बकरे लेकर माता मुंडेश्वरी के दरबार में आते हैं। नवरात्र में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। कई श्रद्धालु नया कार्य शुरू करने से पहले माता के दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा मंदिर को मुगल इतिहास से भी जोड़ा गया है। कहा जाता है कि पहले ये मंदिर बहुत बड़ा था, लेकिन मुगलों के आक्रमण के बाद मंदिर का कुछ हिस्सा टूट गया। इस मंदिर में मां भगवती अकेली नहीं हैं, बल्कि मंदिर के गर्भ ग्रह में पंचमुखी शिव विराजमान हैं।

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