लखनऊ: उत्तर प्रदेश में करीब डेढ़ दशक होने वाली जनगणना का स्वरूप भी बदला होगा और सवाल भी। तकनीक भी इसका हिस्सा बनेगी और जाति भी पूछी जाएगी। इन बदलावों को समाहित कर सही जनगणना की जा सके, इसको लेकर सरकार सतर्क और सक्रिय है। यही वजह है कि जनगणना से पहले तैयारियों के वास्तविक आकलन के लिए इसका जमीन पर प्री-टेस्ट किया जाएगा। केंद्र ने यूपी सरकार को पत्र लिखकर प्री-टेस्ट की तैयारियों का समन्वय करने को कहा है।
अगले साल अप्रैल-सितंबर के बीच जनगणना-2026 के प्रथम चरण के बीच हाउस सर्वे किया जाएगा। इसके बाद फरवरी-2027 में जनगणना होगी। यूपी में 5 लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारी इस प्रक्रिया को सफल बनाने में जुटेंगे। उनको इसका प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इससे पहले जनगणना का प्री-टेस्ट कराने को कहा है।
जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने यूपी के मुख्य सचिव एसपी गोयल को पत्र भेजकर प्री-टेस्ट की प्रक्रिया साझा की है। प्री-टेस्ट के लिए केंद्र जल्द ही नोटिफिकेशन जारी करेगा। उसी आधार पर प्रदेश में भी नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। प्रदेश के जनगणना कार्य विभाग की ओर से भेजी गई संस्तुति के आधार पर प्री-टेस्ट के लिए संभावित क्षेत्रों की सूची भी भेजी गई है। इसमें बुलंदशहर के अनूपशहर तहसील के 106 गांव, बहराइच के मिहींपुरवा ब्लॉक के 54 ग्रामीण क्षेत्र और प्रयागराज के 7 शहारी वॉर्ड शामिल है।
25-50% तक संगणक महिलाएं होंगी
केंद्र ने अपेक्षा की है कि प्री-टेस्ट पूरी तरह से फुल ड्रेस रिहर्सल जैसी होगी। इसमें शिक्षकों, सरकारी, अर्द्धसरकारी कर्मचारियों की संगणक व पर्यवेक्षक के रूप में ड्यूटी लगाई जाएगी। इसी तरह तहसीलदार, बीडीओ, नगर आयुक्त, पालिकाओं के ईओ आदि चार्ज ऑफिसर की भूमिका निभाएंगे।
संगणक के रूप में चयनित किए जाने वाले नामों में 25 से 50% तक महिला कर्मचारियों को भी रखने के लिए कहा गया है। प्री-टेस्ट के दौरान जिन कर्मचारियों को नियोजित किया जाएगा उन्हें ड्यूटी पर माना जाएगा और इसके लिए अलग से मानदेय भी दिया जाएगा।
सवाल, पोर्टल, डेटा कलेक्शन... सबकी होगी परख
प्री टेस्ट में हाउस होल्ड सर्वे और जनगणना दोनों ही गतिविधियों से जुड़ी हर प्रक्रिया की परख होगी। इसमें सर्वे व गिनती के दौरान पूछे जाने वाले प्रस्तावित सवाल, डेटा कलेक्शन की प्रक्रिया, प्रशिक्षण का जमीनी अमल, संसाधन, प्रकाशन की प्रक्रिया, डेटा की गुणवत्ता का मूल्यांकन शामिल है। फील्ड विजिट के दौरान होने वाले संभावित समस्याओं का आंकलन भी इसके माध्यम से हो सकेगा, जिससे वास्तविक सर्वे व गणना के समय तक इन समस्याओं को दूर कर लिया जाए।
जनगणना में पहली बार मोबाइल ऐप के जरिए रियल टाइम डाटा कलेक्शन किया जाएगा। स्वगणना की भी सुविधा दी जाएगी। इन सभी प्रक्रिया को पी-टेस्ट के दौरान लागू किया जाएगा, जिससे इसका वास्तविक मूल्यांकन हो सके।
अगले साल अप्रैल-सितंबर के बीच जनगणना-2026 के प्रथम चरण के बीच हाउस सर्वे किया जाएगा। इसके बाद फरवरी-2027 में जनगणना होगी। यूपी में 5 लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारी इस प्रक्रिया को सफल बनाने में जुटेंगे। उनको इसका प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इससे पहले जनगणना का प्री-टेस्ट कराने को कहा है।
जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने यूपी के मुख्य सचिव एसपी गोयल को पत्र भेजकर प्री-टेस्ट की प्रक्रिया साझा की है। प्री-टेस्ट के लिए केंद्र जल्द ही नोटिफिकेशन जारी करेगा। उसी आधार पर प्रदेश में भी नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। प्रदेश के जनगणना कार्य विभाग की ओर से भेजी गई संस्तुति के आधार पर प्री-टेस्ट के लिए संभावित क्षेत्रों की सूची भी भेजी गई है। इसमें बुलंदशहर के अनूपशहर तहसील के 106 गांव, बहराइच के मिहींपुरवा ब्लॉक के 54 ग्रामीण क्षेत्र और प्रयागराज के 7 शहारी वॉर्ड शामिल है।
25-50% तक संगणक महिलाएं होंगी
केंद्र ने अपेक्षा की है कि प्री-टेस्ट पूरी तरह से फुल ड्रेस रिहर्सल जैसी होगी। इसमें शिक्षकों, सरकारी, अर्द्धसरकारी कर्मचारियों की संगणक व पर्यवेक्षक के रूप में ड्यूटी लगाई जाएगी। इसी तरह तहसीलदार, बीडीओ, नगर आयुक्त, पालिकाओं के ईओ आदि चार्ज ऑफिसर की भूमिका निभाएंगे।
संगणक के रूप में चयनित किए जाने वाले नामों में 25 से 50% तक महिला कर्मचारियों को भी रखने के लिए कहा गया है। प्री-टेस्ट के दौरान जिन कर्मचारियों को नियोजित किया जाएगा उन्हें ड्यूटी पर माना जाएगा और इसके लिए अलग से मानदेय भी दिया जाएगा।
सवाल, पोर्टल, डेटा कलेक्शन... सबकी होगी परख
प्री टेस्ट में हाउस होल्ड सर्वे और जनगणना दोनों ही गतिविधियों से जुड़ी हर प्रक्रिया की परख होगी। इसमें सर्वे व गिनती के दौरान पूछे जाने वाले प्रस्तावित सवाल, डेटा कलेक्शन की प्रक्रिया, प्रशिक्षण का जमीनी अमल, संसाधन, प्रकाशन की प्रक्रिया, डेटा की गुणवत्ता का मूल्यांकन शामिल है। फील्ड विजिट के दौरान होने वाले संभावित समस्याओं का आंकलन भी इसके माध्यम से हो सकेगा, जिससे वास्तविक सर्वे व गणना के समय तक इन समस्याओं को दूर कर लिया जाए।
जनगणना में पहली बार मोबाइल ऐप के जरिए रियल टाइम डाटा कलेक्शन किया जाएगा। स्वगणना की भी सुविधा दी जाएगी। इन सभी प्रक्रिया को पी-टेस्ट के दौरान लागू किया जाएगा, जिससे इसका वास्तविक मूल्यांकन हो सके।
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