शिवहरः बहुत सारे शादीशुदा लोगों की मौत होती है और उनकी पत्नियां विधवा का जीवन जीती है। ऐसी महिलाएं पति की मौत के बाद पूरी तरह टूट जाती है और हमेशा अपनी किस्मत को कोसती है। यानी खुद के आगे का जीवन बेकार मान लेती है। वहीं, समाज में ऐसी कई विधवा महिलाएं है, जो पति की मौत का दर्द दिल में दफन कर जीवन की नैया को आगे बढ़ाती है। इन महिलाओं में शामिल है रूबी देवी भी। पति की मौत के बाद न सिर्फ खुद को संभाला, बल्कि मेहनत कर सफलता की बुलंदी की ओर बढ़ रही है और वह हजारों विधवा महिलाओं के लिए एक ‘रोल मॉडल’ बन गई है। शिवहर जिला की है रूबी कुमारीरूबी कुमारी शिवहर जिले के मीनापुर बलहा गांव की रहने वाली है। शादी 2010 में हुई थी। उनके पति कृष्णनंदन कुमार ड्राइवर थे, जिनकी 2013 में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। पति का साया हट जाने के बाद मानो रूबी पर पहाड़ टूट कर गिर गया। पति की मौत का दर्द रूबी को झकझोर दिया। ऐसी किसी भी महिला की क्या हालत होगी, सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। एक मात्र कमाने वाले पति थे। परिवार की हालत बिगड़ने लगी। परिवार चलाने के लिए सब्जी की खेती करने लगी। बच्चों की पढ़ाई और अन्य खर्च के लिए पैसे कम पड़ जाते थे। यह रूबी के लिए बड़ा चिन्ता का विषय था। जीविका से जुड़ी तो लौटी खुशहालीइस बीच, कुछ महिलाओं से उसे जीविका के बारे में जानकारी मिली। रूबी भी आत्मनिर्भर बनने के लि 2016 में जीविका से जुड़ी। 2023 में उसने नर्सरी के लिए ऋण लिया और पौधशाला शुरू कर दी। रूबी ने बताया कि जब उसने यह काम शुरू किया तो उसकी सास ने मना किया था। हालांकि रूबी ने अपनी सास को समझाकर नर्सरी शुरू की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखी। अब खुशहाली उसके कदमों को चूमती है।पति की मौत के बाद रूबी चंद पैसों के लिए तरसती थी, लेकिन अब सालाना लाखों कमा रही है। रूबी की नर्सरी में 13 तरह के पौधेरूबी की नर्सरी में 13 तरह के पौधे है। बताया, उसने 12 कट्टे में नर्सरी लगाई है, जो उसकी खुद की जमीन है। वह इन पौधों को जीविका समूह के माध्यम से बेचती है। नर्सरी में तैयार पौधे जीविका कार्यालय से जुड़ी महिलाओं को अनुदानित मूल्य पर देती है। वन विभाग भी पौधे खरीदता है और जीविका के माध्यम से भुगतान करता है। रूबी दो साल से यह काम कर रही है। हर साल खर्च काटकर करीब चार लाख रुपये की आय करती है। अब सास भी करती है पूरी मददरूबी ने बताया कि उसकी नर्सरी में आम, लीची, अमरूद, पपीता, नींबू, आंवला, कटहल, सागवान, महोगनी, अर्जुन समेत अन्य पौधे उपलब्ध हैं। इसके अलावा हरी सब्जी की खेती और पशुपालन भी करती हैं। उसने न सिर्फ अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकाला, बल्कि समाज की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं। खास बात यह कि उसके उक्त कार्यों में सास भी पूरी मदद करती है।
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