नई दिल्ली: भारत की एक्सपोर्ट डायवर्सिफिकेशन की रणनीति रंग लाई है। इसने बहुत बड़े नुकसान को रोककर लाज बचाने का काम किया है। अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 50% का भारी भरकम टैरिफ लगाया है। अगर भारत समय रहते तेजी से काम न करता तो बर्बादी मुहाने पर खड़ी थी। सितंबर में अमेरिका को सूती रेडीमेड गारमेंट निर्यात में जहां 25% की गिरावट आई। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), फ्रांस और जापान जैसे देशों को निर्यात बढ़ा है। इसी तरह समुद्री उत्पादों का निर्यात अमेरिका में 26.9% कम हुआ। लेकिन, चीन, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों में 60% से ज्यादा बढ़ा। कुछ रत्न और आभूषण, बासमती चावल, चाय, कालीन और चमड़े के सामानों का निर्यात भी अमेरिका में घटा है। लेकिन, दूसरे बाजारों में बढ़ा है। अधिकारियों का कहना है कि भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए), प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीमें और ग्लोबल सप्लाई चेन के साथ जुड़ाव इस डायवर्सिफिकेशन को सहारा दे रहे हैं।
सितंबर में भारत के कुल माल निर्यात में साल-दर-साल 6.7% की बढ़ोतरी हुई। यह 36.38 अरब डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि, भारत के सबसे बड़े बाजार अमेरिका को निर्यात 11.93% घटकर 5.46 अरब डॉलर रह गया। अमेरिका भारत के कुल माल निर्यात का लगभग 18-20% हिस्सा रखता है। लेकिन, कुछ खास क्षेत्रों में अमेरिका पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। उदाहरण के लिए कालीन निर्यात का 60%, मेड-अप्स (कपड़े से बने सामान) का 50%, रत्न और आभूषण का 30% और परिधान (अपैरल) निर्यात का 40% हिस्सा अमेरिका को जाता है।
25 अगस्त से भारत पर 50% टैरिफ लागू
यह स्थिति तब आई जब अमेरिका ने 7 अगस्त से भारतीय मूल के सभी सामानों पर 25% का टैरिफ लगाया। 25 अगस्त से इसे दोगुना कर दिया गया। भारत और अमेरिका अभी एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत कर रहे हैं। इसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बासमती चावल और चाय जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों का अमेरिका को निर्यात कम हुआ है। हालांकि, अमेरिका भारतीय चाय का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है। फिर भी सितंबर में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में निर्यात 22% गिर गया। लेकिन, दूसरी जगहों जैसे यूएई, इराक और जर्मनी को चाय का निर्यात बढ़ा है। बासमती चावल का ईरान को निर्यात छह गुना बढ़कर 4.10 करोड़ डॉलर हो गया।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के महानिदेशक अजय सहाय ने ईटी से कहा, 'एक्सपोर्ट डायवर्सिफिकेशन शुरू हो गया है। यह भारत के एक्सपोर्ट डेवलपमेंट के लिए अच्छा है।'
खास मिशन पर लगा हुआ है भारत
हाथ से बने कालीन का अमेरिका को निर्यात 26.14% कम हुआ। लेकिन, सितंबर में कनाडा और स्वीडन को बढ़ा। अपने बाजार विविधीकरण अभियान के तहत मंत्रालय ने उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ओशिनिया के 40 प्रमुख आयात देशों की पहचान की है। ये देश मिलकर वैश्विक कपड़ा और परिधान मांग का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा रखते हैं। इन अर्थव्यवस्थाओं में भारत की 5-6% की मामूली बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए विशेष आउटरीच कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। इनमें परिधान, होम टेक्सटाइल, टेक्निकल टेक्सटाइल और हस्तशिल्प पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
एक व्यापार विश्लेषक ने चिंता जताई कि यह विविधीकरण कितने समय तक चलेगा, क्योंकि अमेरिका मात्रा और मूल्य दोनों के मामले में एक आकर्षक बाजार है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के बाद अमेरिकी बाजार के खुलने पर ये प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने चीन से मिलने वाली असमान प्रतिस्पर्धा और भारी छूटों के प्रति भी आगाह किया।
सितंबर में भारत के कुल माल निर्यात में साल-दर-साल 6.7% की बढ़ोतरी हुई। यह 36.38 अरब डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि, भारत के सबसे बड़े बाजार अमेरिका को निर्यात 11.93% घटकर 5.46 अरब डॉलर रह गया। अमेरिका भारत के कुल माल निर्यात का लगभग 18-20% हिस्सा रखता है। लेकिन, कुछ खास क्षेत्रों में अमेरिका पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। उदाहरण के लिए कालीन निर्यात का 60%, मेड-अप्स (कपड़े से बने सामान) का 50%, रत्न और आभूषण का 30% और परिधान (अपैरल) निर्यात का 40% हिस्सा अमेरिका को जाता है।
25 अगस्त से भारत पर 50% टैरिफ लागू
यह स्थिति तब आई जब अमेरिका ने 7 अगस्त से भारतीय मूल के सभी सामानों पर 25% का टैरिफ लगाया। 25 अगस्त से इसे दोगुना कर दिया गया। भारत और अमेरिका अभी एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत कर रहे हैं। इसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बासमती चावल और चाय जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों का अमेरिका को निर्यात कम हुआ है। हालांकि, अमेरिका भारतीय चाय का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है। फिर भी सितंबर में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में निर्यात 22% गिर गया। लेकिन, दूसरी जगहों जैसे यूएई, इराक और जर्मनी को चाय का निर्यात बढ़ा है। बासमती चावल का ईरान को निर्यात छह गुना बढ़कर 4.10 करोड़ डॉलर हो गया।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के महानिदेशक अजय सहाय ने ईटी से कहा, 'एक्सपोर्ट डायवर्सिफिकेशन शुरू हो गया है। यह भारत के एक्सपोर्ट डेवलपमेंट के लिए अच्छा है।'
खास मिशन पर लगा हुआ है भारत
हाथ से बने कालीन का अमेरिका को निर्यात 26.14% कम हुआ। लेकिन, सितंबर में कनाडा और स्वीडन को बढ़ा। अपने बाजार विविधीकरण अभियान के तहत मंत्रालय ने उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ओशिनिया के 40 प्रमुख आयात देशों की पहचान की है। ये देश मिलकर वैश्विक कपड़ा और परिधान मांग का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा रखते हैं। इन अर्थव्यवस्थाओं में भारत की 5-6% की मामूली बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए विशेष आउटरीच कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। इनमें परिधान, होम टेक्सटाइल, टेक्निकल टेक्सटाइल और हस्तशिल्प पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
एक व्यापार विश्लेषक ने चिंता जताई कि यह विविधीकरण कितने समय तक चलेगा, क्योंकि अमेरिका मात्रा और मूल्य दोनों के मामले में एक आकर्षक बाजार है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के बाद अमेरिकी बाजार के खुलने पर ये प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने चीन से मिलने वाली असमान प्रतिस्पर्धा और भारी छूटों के प्रति भी आगाह किया।
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