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'मुस्लिम घरों में झांकना बंद करें'... कथावाचकों पर बरसे मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी, दे दी ये नसीहत

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बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली से बड़ी खबर सामने आई है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कथावाचकों के हालिया बयानों पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि कथावाचक अपने समाज में फैली बुराइयों पर चर्चा करने के बजाय मुस्लिम समाज की महिलाओं और उनके विवाह से जुड़े मुद्दों पर बेवजह बोलते हैं। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि कथावाचक मुस्लिम घरों में झांकने की कोशिश न करें। मौलाना रजवी का बयान साफ है कि मुस्लिम बाहरी धार्मिक कथावाचकों की विवादित टिप्पणियों को लेकर गंभीर है।



स्वामी रामभद्राचार्य पर प्रतिक्रियाहिंदू धर्मगुरु और तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य के एक हालिया बयान का जिक्र करते हुए मौलाना रजवी ने कहा कि मुस्लिम समाज का सुधार उसके अपने धर्मगुरु कर रहे हैं। बाहर से किसी को इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कथावाचक अपने धर्म का प्रचार करें, उन्हें इसका अधिकार है। लेकिन, वे मुस्लिम समाज की महिलाओं पर टिप्पणी करना छोड़ दें।



इस्लाम में महिलाओं के सम्मान की बातमौलाना शहाबुद्दीन ने बार-बार यह स्पष्ट किया कि इस्लाम ने महिलाओं को सर्वोच्च सम्मान दिया है। उन्होंने कहा कि कुरान शरीफ में महिलाओं के अधिकारों पर पूरी सूरा मौजूद है। पैगंबर-ए-इस्लाम ने मर्दों को अपनी बीवियों के साथ अच्छे व्यवहार का आदेश दिया है। मां के पैरों तले जन्नत बताकर इस्लाम ने महिलाओं को सबसे ऊंचा दर्जा दिया है।



मौलाना रजवी ने यह भी कहा कि इस्लाम ने महिलाओं को जमीन-जायदाद में हिस्सा तय कर उनका आर्थिक हक सुनिश्चित किया है ताकि वे किसी भी स्थिति में महरूम न रहें।



वक्फ संशोधन बिल पर फैसले का स्वागतमौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने वक्फ संपत्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से वक्फ की जमीनों पर कब्जा जमाए बैठे भू-माफियाओं पर लगाम लगेगी। मुक्त कराई गई संपत्तियों की आमदनी गरीब और कमजोर मुसलमानों के उत्थान में खर्च होगी। उन्होंने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए मुस्लिम समाज से अपील की कि वे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और सही इस्तेमाल में सहयोग दें।



कथावाचकों को सीधी नसीहतमौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने तलाक, निकाह और शादी जैसे मुद्दों पर बार-बार चर्चा करने को समाज को कमजोर करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि कथावाचक इन बातों पर राजनीतिक लाभ के लिए जोर देते हैं, जबकि उन्हें अपने समाज में फैली कुरीतियों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को किसी बाहरी सुधारक की जरूरत नहीं है, हमारे अपने मजहबी रहनुमा समाज सुधार के लिए पर्याप्त प्रयास कर रहे हैं।



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