पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महिला संवाद Vs महिला की बात पर कांग्रेस और सत्ताधारी जेडीयू में टक्कर दिख रही है। कांग्रेस ने बिहार में महिलाओं से संपर्क साधने और उनकी चिंताओं को साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल करने के लिए 'महिला की बात, कांग्रेस के साथ' अभियान शुरू किया। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस प्रमुख अलका लांबा ने कहा कि ये अभियान मई के अंत तक चलेगा। महिला कांग्रेस कार्यकर्ता ग्रामीण इलाकों का दौरा करेंगी, महिलाओं से संवाद करेंगी और उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों पर उनसे बातचीत करेंगी। उनके सुझावों को पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा। 'महिला की बात, कांग्रेस के साथ' अभियान शुरूकांग्रेस पार्टी ने यहां महिला कार्यकर्ताओं के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र भी शुरू किया है, जिन्हें अभियान का प्रसार करने के लिए लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों, प्रखंडों और जिलों में तैनात किया जाएगा। अलका लांबा ने कहा कि पूरे बिहार में महिलाएं केंद्र और राज्य की राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकारों से निराश हैं। इस बार, वे आगामी चुनावों में राजग की करारी हार सुनिश्चित करेंगी। इस अभियान को सोशल मीडिया पर भी विभिन्न हैशटैग के माध्यम से प्रचारित किया जाएगा।
अलका लांबा ने कहा कि इसमें कोई शक-शुबहा नहीं है कि हम बिहार में सरकार बना रहे हैं। महागठबंधन को कोई नहीं रोक सकता। अलका लांबा ने महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी और महिला सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों की अनदेखी करने के लिए राजग की आलोचना करते हुए कहा कि राजग नेताओं को आम लोगों को प्रभावित करने वाले मुख्य मुद्दों की जरा भी परवाह नहीं है। बिहार में महिला संवाद Vs महिला की बातमुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'महिला संवाद' अभियान पर अलका लांबा ने कहा कि महिलाएं करीब एक दशक से इस तरह के संवाद का इंतजार कर रही थीं। जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो उन्हें अचानक महिला मतदाताओं की याद आ गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 'महिला संवाद' अभियान भी शुक्रवार को ही शुरू हुआ। अलका लांबा ने कहा कि जब राज्य में महागठबंधन की सरकार बनेगी तो हम जीविका दीदियों का मानदेय बढ़ाएंगे, उनकी सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाएंगे और उन्हें पेंशन भी देंगे।अलका लांबा ने कहा कि गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सैनेटरी पैड की जगह कपड़े का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं, जिससे वे कई बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं। बिहार की शराबबंदी नीति पर उन्होंने कहा कि यह केवल कागजों पर ही है। नकली शराब अब भी बड़े पैमाने पर उपलब्ध है और इसकी वजह से कई लोगों की जान गई है।इनपुट- भाषाहमारी जो 100 महिलाएं 2 दिन का प्रशिक्षण लेकर गांवों में जाएंगी, वे अलग-अलग बैठकों में महिलाओं से उनकी समस्याओं पर बात करेंगी।
— Bihar Congress (@INCBihar) April 18, 2025
हम वादा करते हैं कि हमारी सरकार आएगी तो..👇
• इन आजीविका दीदी का मानदेय बढ़ाएंगे
• इनकी रिटायरमेंट की उम्र को आगे बढ़ाएंगे
• आजीविका… pic.twitter.com/HsxW8omcaI