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साइंस-मैथ्स में बच्चों को अनपढ़ बनाएंगे ट्रंप? जानें कैसे H-1B की बढ़ी फीस कर देगी टीचर्स को अमेरिका से दूर

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H-1B Visa Fees Impact: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) कर दिया है। ट्रंप सरकार को लग रहा है कि इससे उनके देश का भला होगा, क्योंकि विदेशी वर्कर्स देश में नहीं आएंगे और जॉब्स अमेरिकियों को मिलेगी। हालांकि, उनका 88 लाख कमाने का लालच देश के बच्चों के भविष्य की बलि चढ़ा सकता है। आलम ये है कि अमेरिकी स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का साइंस और मैथ्स जैसे सब्जेक्ट्स में डब्बा गोल हो सकता है।


दरअसल, ट्रंप सरकार की तरफ से वीजा फीस बढ़ाने के बाद अमेरिका में सरकारी स्कूल चलाने वाले अधिकारी टेंशन में हैं। ये सवाल भी पैदा हो गया है कि कितने विदेशी टीचर्स अमेरिका के स्कूलों में आकर पढ़ा पाएंगे। नेशनल एजुकेशन एसोसिएशन के डाटा के मुताबिक, 2025 में 500 से ज्यादा सरकारी स्कूल डिस्ट्रिक्ट में 2300 से अधिक H-1B वीजा होल्डर वाले टीचर्स बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ये वो संख्या है, जो सिर्फ 2025 की है, जबकि इसके पहले भी हजारों टीचर्स हैं, जो H-1B वीजा पर अमेरिका में हैं।

साइंस-मैथ्स जैसे सब्जेक्ट्स पढ़ा रहे विदेशी टीचर्स

H-1B वीजा पर आने वाले टीचर्स उन सब्जेक्ट्स की पढ़ाई करवाते हैं, जिनके लिए देश में टीचर्स को हायर करना मुश्किल है। फॉल 2022 के सरकारी डेटा के मुताबिक, देश में 32 लाख टीचर्स सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। फिर भी H-1B वीजा वाले टीचर्स साइंस, मैथ्स और स्पेशल एजुकेशन जैसे कोर्सेज की पढ़ाई करवा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पढ़ाने के लिए अमेरिकी टीचर्स की संख्या कम है। विदेशी टीचर्स ना सिर्फ अडवांस क्वालिफिकेशन वाले हैं, बल्कि अपने साथ विदेशी एक्सपीरियंस भी लेकर आते हैं।

शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में टीचर्स की जरूरत
ज्यादातर बड़े शहरे इलाकों में विदेशी टीचर्स की हायरिंग की जा रही है, लेकिन कुछ ग्रामीण इलाकों में भी स्कूल उन पर निर्भर हैं। के-12 डाइव के अनुसार, डैलस इंडिपेंडेंट स्कूल डिस्ट्रिक्ट ने 157 H-1B टीचर्स को हायर किया। जॉर्जिया में सवाना-चैथम काउंटी पब्लिक स्कूल ने 79, डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया पब्लिक स्कूल ने 62 और न्यूयॉर्क सिटी शिक्षा विभाग ने 56 लोगों को नियुक्त किया।

नेशनल एजुकेशन एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा, 'सरकार के जरिए H-1B वीजा फीस 1 लाख डॉलर होने से इन स्कूलों के लिए अपने छात्रों को पढ़ाने की क्षमता पर असर पड़ेगा।' उनका कहना है कि स्टूडेंट्स साइंस और मैथ्स जैसे सब्जेक्ट्स में कमजोर हो सकते हैं।
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