Canada PR: कनाडा जॉब के लिए भारतीय वर्कर्स के बीच काफी पॉपुलर देश है। इसकी प्रमुख वजह ये है कि वर्कर्स को कुछ साल नौकरी करने के बाद परमानेंट रेजिडेंसी (PR) मिल जाती है। PR मिलने का मतलब है कि स्टूडेंट्स अब स्थायी तौर पर देश में रहकर जॉब कर सकते हैं। उन्हें किसी भी कंपनी में जॉब की इजाजत भी मिल जाती है। हालांकि, PR के लिए आवेदन करने के बाद सबसे बड़ी समस्या इसकी ट्रैकिंग रही है। लेकिन अब वर्कर्स को ट्रैकिंग को लेकर ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।
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दरअसल, इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा ( IRCC) ने ऑनलाइन प्रोसेसिंग टूल में अपडेट किया है। इसके बाद कनाडाई परमानेंट रेजिडेंसी (PR) के लिए आवेदन करने वाले वर्कर्स ज्यादा सटीक ढंग से एप्लिकेशन को ट्रैक कर पाएंगे। PR के साथ-साथ कनाडाई नागरिकता वाले आवेदनों को भी आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। अपडेटेड सिस्टम की वजह से आवदेक को उनके आवेदन की तारीख और कतार में उनकी स्थिति के आधार पर प्रोसेसिंग टाइम देखने की सुविधा मिलेगी।
किस तरह होती थी पहले ट्रैकिंग?
पहले आवदेकों को सिर्फ अलग-अलग एप्लिकेशन टाइप के लिए औसत प्रोसेसिंग टाइम देखने को मिलता था। इसमें आवेदन जमा करने की तारीख को ध्यान में नहीं रखा जाता था। इसे ऐसे समझिए कि कई सारे लोगों ने PR के लिए आवेदन किया है और फिर उन सभी के आवेदन के आधार पर एक औसत टाइम दिया जाता था। इस औसत टाइम तक ही PR मिल सकता था। हालांकि, अब लोगों को पता चलेगा कि उनका आवेदन कब तक प्रोसेस हो सकता है। इससे पारदर्शिता और स्पष्टता बढ़ जाएगी।
किस तरह काम करेगा नया सिस्टम?
अपडेटेड टूल में अब आवेदकों से दो प्रमुख सवाल पूछे जाएंगे: क्या उन्होंने पहले ही आवेदन कर दिया है और आवेदन की तारीख क्या है। जिन आवेदकों ने आवेदन सब्मिट कर दिया है। उन्हें ये टूल बताएगा कि उनके आवेदन पर फैसला आने में कितना टाइम बचा है, उनसे आगे कितने आवेदक हैं और कितने लोग अपने आवेदन पर फैसला मिलने का इंतजार कर रहे हैं। नए आवेदकों को टूल बताएगा कि अभी मौजूदा प्रोसेसिंग टाइम कितना है और कितने आवेदन पेंडिंग पड़े हुए हैं।
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दरअसल, इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा ( IRCC) ने ऑनलाइन प्रोसेसिंग टूल में अपडेट किया है। इसके बाद कनाडाई परमानेंट रेजिडेंसी (PR) के लिए आवेदन करने वाले वर्कर्स ज्यादा सटीक ढंग से एप्लिकेशन को ट्रैक कर पाएंगे। PR के साथ-साथ कनाडाई नागरिकता वाले आवेदनों को भी आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। अपडेटेड सिस्टम की वजह से आवदेक को उनके आवेदन की तारीख और कतार में उनकी स्थिति के आधार पर प्रोसेसिंग टाइम देखने की सुविधा मिलेगी।
किस तरह होती थी पहले ट्रैकिंग?
पहले आवदेकों को सिर्फ अलग-अलग एप्लिकेशन टाइप के लिए औसत प्रोसेसिंग टाइम देखने को मिलता था। इसमें आवेदन जमा करने की तारीख को ध्यान में नहीं रखा जाता था। इसे ऐसे समझिए कि कई सारे लोगों ने PR के लिए आवेदन किया है और फिर उन सभी के आवेदन के आधार पर एक औसत टाइम दिया जाता था। इस औसत टाइम तक ही PR मिल सकता था। हालांकि, अब लोगों को पता चलेगा कि उनका आवेदन कब तक प्रोसेस हो सकता है। इससे पारदर्शिता और स्पष्टता बढ़ जाएगी।
किस तरह काम करेगा नया सिस्टम?
अपडेटेड टूल में अब आवेदकों से दो प्रमुख सवाल पूछे जाएंगे: क्या उन्होंने पहले ही आवेदन कर दिया है और आवेदन की तारीख क्या है। जिन आवेदकों ने आवेदन सब्मिट कर दिया है। उन्हें ये टूल बताएगा कि उनके आवेदन पर फैसला आने में कितना टाइम बचा है, उनसे आगे कितने आवेदक हैं और कितने लोग अपने आवेदन पर फैसला मिलने का इंतजार कर रहे हैं। नए आवेदकों को टूल बताएगा कि अभी मौजूदा प्रोसेसिंग टाइम कितना है और कितने आवेदन पेंडिंग पड़े हुए हैं।
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