पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने वाराणसी में उनके खिलाफ दर्ज FIR (मुकदमा) के आदेश को लेकर उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने इस आदेश को गैरकानूनी और राजनीतिक रूप से प्रेरित करार देते हुए चुनौती दी है। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई आज होगी।
मामला एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी के कथित विवादित बयानों से जुड़ा है, जिनके आधार पर स्थानीय पुलिस ने FIR दर्ज की थी। राहुल गांधी और कांग्रेस ने इसे राजनीतिक उत्पीड़न करार दिया है और आरोप लगाया है कि सरकार विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है।
याचिका में राहुल गांधी के वकीलों ने कहा है कि FIR दर्ज करने की प्रक्रिया में कई कानूनी विसंगतियां हैं और इस कदम से संविधान में प्रदत्त विपक्ष की भूमिका पर भी असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “यह मामला केवल एक राजनीतिक बयान की आलोचना है, न कि किसी अपराध की पुष्टि। इसलिए FIR का आदेश निरस्त किया जाना चाहिए।”
उत्तर प्रदेश पुलिस का पक्ष है कि आरोपों के आधार पर जांच आवश्यक है और कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि मामले में साक्ष्य और गवाह मौजूद हैं, जिन पर जांच जरूरी है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह मामला आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीति में गरमाहट बढ़ाने वाला है। राहुल गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करना विपक्ष को कमजोर करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, कांग्रेस इसे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताती है।
वाराणसी में राहुल गांधी की लोकप्रियता और इस FIR का राजनीतिक प्रभाव दोनों ही देखने लायक होंगे। अदालत की सुनवाई के बाद ही स्पष्ट होगा कि आगे की कार्रवाई किस दिशा में जाएगी।
कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई को लेकर राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चाएं हो रही हैं। सभी पक्षों की निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हुई हैं, जो कि न केवल राहुल गांधी के राजनीतिक करियर के लिए बल्कि पूरे विपक्षी दलों के लिए अहम मानी जा रही है।
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