कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाने की मांग के बयान ने नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। इस पर योग गुरु बाबा रामदेव ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिन लोगों के विचार भारत और भारतीयता से मेल नहीं खाते, वही ऐसे एजेंडे चलाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को लड़ाई करनी ही है, तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह से करें — लेकिन जब वे उन्हें नहीं हरा पाते, तो आरएसएस पर बेबुनियाद आरोप लगाने लगते हैं।
दिल्ली में एएनआई से बातचीत के दौरान बाबा रामदेव ने कहा, “आरएसएस कोई राजनीतिक संगठन नहीं है, उसका राजनीतिक अंग बीजेपी है। जो लोग मोदी और अमित शाह से मुकाबला नहीं कर पाते, वे संघ पर हमला करके ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। मैंने आरएसएस को पिछले दो-तीन दशकों से करीब से देखा है — वहां तपस्वी, कर्मठ और देश के प्रति समर्पित लोग हैं। जिनके विचार भारत की संस्कृति और मूल्यों से मेल नहीं खाते, वही इस संगठन को निशाना बनाते हैं।”
योग गुरु ने आगे कहा कि आरएसएस भी आर्य समाज की तरह राष्ट्रवादी विचारधारा पर आधारित संगठन है। “डॉ. हेडगेवार से लेकर गुरुजी गोलवलकर तक, संघ में अनेक संत और राष्ट्रसेवक हुए हैं। आज भी लाखों संघ कार्यकर्ता देशहित में सेवा कार्यों में लगे हुए हैं। जब भी देश या सनातन धर्म विरोधी ताकतें सक्रिय होती हैं, तो उनका पहला निशाना आरएसएस या हिंदुत्ववादी संगठन बनते हैं — क्योंकि उनका मकसद देश की एकता को कमजोर करना होता है,” उन्होंने जोड़ा।
खड़गे का बयान: "यह मेरा व्यक्तिगत विचार है कि आरएसएस पर बैन लगना चाहिए"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के मौके पर एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आरएसएस पर फिर से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि देश में कानून-व्यवस्था की समस्याओं के लिए यह संगठन जिम्मेदार है। खड़गे ने साफ किया कि यह उनका व्यक्तिगत विचार है।
उन्होंने कहा, “सरदार पटेल ने आरएसएस के बारे में जो बातें कही थीं, अगर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह उनकी मर्यादा का पालन करते हैं, तो इस संगठन पर बैन लगना चाहिए। आज देश में जितनी गड़बड़ियां और अव्यवस्थाएं हैं, वे बीजेपी और आरएसएस के कारण हैं।”
कांग्रेस और सपा के बीच सुर में सुर
इससे पहले खड़गे के बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खड़गे ने भी मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से आग्रह किया था कि वे सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियों में शामिल होने से रोकें।
वहीं समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी सरदार पटेल की जयंती पर कहा था कि “भाजपा को नहीं भूलना चाहिए कि सरदार पटेल ने ही आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। आज इस देश को फिर एक नए सरदार पटेल की जरूरत है जो ऐसी विचारधाराओं पर रोक लगाए।”
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