Mumbai , 9 नवंबर . सुधीर बाबू और सोनाक्षी सिन्हा स्टारर फिल्म ‘जटाधरा’ तेलुगू और हिंदी भाषाओं में रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. फिल्म में अहम किरदार निभा रहीं सोनाक्षी सिन्हा ने अपना अनुभव साझा किया और बताया कि उनके लिए सीखने, गलतियां करने और अपने प्रोफेशन को समझने का क्या मतलब है.
सोनाक्षी सिन्हा ने से बातचीत के दौरान कहा कि वह गलतियों से नहीं डरती हैं. इंसान की असली सीख उसी समय होती है, जब वह गलती करता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे एक बच्चा चलना सीखते समय कई बार गिरता है, वैसे ही जीवन में भी गिरना और संभलना सीखने का एक हिस्सा है.
सोनाक्षी ने कहा, “अगर कोई सोचने लगे कि उसे सब कुछ आता है, तो वही उसकी सबसे बड़ी भूल होती है. इसी कारण इंसान को हमेशा सीखने की प्रक्रिया में रहना चाहिए, चाहे वह किसी भी प्रोफेशन में क्यों न हो. एक्टिंग एक ऐसी चीज है, जहां हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता रहता है. हर सीन, हर किरदार और हर टीम मेंबर कुछ न कुछ सिखाता है.”
उन्होंने आगे कहा, ”आजकल पैन-इंडिया फिल्मों का दौर कलाकारों के लिए एक शानदार अवसर लेकर आया है. हालांकि, यह ट्रेंड नया नहीं है, बल्कि इसकी शुरुआत पहले ही रजनीकांत और कमल हासन जैसी दिग्गज हस्तियों की फिल्मों से हो चुकी थी. वहीं, ‘बाहुबली’ जैसी फिल्मों ने इस अवधारणा को नई ऊंचाइयां दीं.”
तेलुगू सिनेमा में डेब्यू कर रहीं सोनाक्षी सिन्हा से जब ने पूछा कि क्या ऐसी फिल्मों में काम करते समय अलग-अलग भाषाओं और दर्शकों को ध्यान में रखना दबाव भरा था, तो उन्होंने कहा, ”मुझे कोई दबाव महसूस नहीं हुआ. बल्कि, इसे मैंने एक सीखने के मौके के तौर पर लिया. जब आप देश के अलग-अलग हिस्सों के कलाकारों, भाषाओं और संस्कृतियों के साथ काम करते हैं, तो आपका दृष्टिकोण और अनुभव दोनों आगे बढ़ते हैं. हर व्यक्ति की अपनी कहानी होती है और उनसे कुछ नया जानने को मिलता है. यही विविधता भारतीय सिनेमा की असली खूबसूरती है.”
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पीके/एबीएम
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