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मिस्र में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना का 'ब्राइट स्टार 2025' अभ्यास

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New Delhi, 31 अगस्त . मिस्र में बहुपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘ब्राइट स्टार 2025’ आयोजित किया जा रहा है. इस अभ्यास में विभिन्न देशों की सेनाएं भाग ले रही हैं, जिनमें भारतीय सैन्य दल भी शामिल हैं.

Sunday को इस सैन्य अभ्यास की जानकारी देते हुए सेना ने बताया कि भारतीय सेनाओं के दल की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए सुदर्शन चक्र कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल अरविंद चौहान ने अभ्यास स्थल का दौरा किया.

उन्होंने मौके पर पहुंचकर भारतीय सेना के दल से बातचीत की और उनके उत्साह एवं तैयारी की सराहना की. यहां भारतीय दल द्वारा लाइव फायरिंग से भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया.

सैन्य अभ्यास ‘ब्राइट स्टार 2025’ का यह 19वां संस्करण है. इस अभ्यास का उद्देश्य भागीदार देशों के बीच इंटर-ऑपरेबिलिटी (परस्पर संचालन क्षमता) को बढ़ाना, रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करना और संयुक्त परिचालन क्षमताओं का निर्माण करना है.

यहां अभ्यास के दौरान भाग लेने वाले सैन्य दल आधुनिक युद्धकला के विभिन्न आयामों पर प्रशिक्षण ले रहे हैं. रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यहां भारतीय सेनाओं की इस भागीदारी से न केवल मित्र देशों के साथ सैन्य सहयोग और तालमेल गहरा होगा, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में भी योगदान सुनिश्चित होगा.

‘ब्राइट स्टार’ अभ्यास की शुरुआत वर्ष 1980 में मिस्र और अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी. इसे पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र का सबसे बड़ा त्रि-सेवा बहुपक्षीय अभ्यास माना जाता है, जिसमें हर दो वर्ष बाद कई देश भाग लेते हैं. भारतीय सशस्त्र बलों और मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ के 700 से अधिक सशस्त्र बल ‘ब्राइट स्टार 2025’ में भाग ले रहे हैं. यह अभ्यास 10 सितंबर तक जारी रहेगा.

यहां सैन्य गतिविधियों की एक व्यापक श्रृंखला की जा रही है. यहां विभिन्न देशों की सेनाएं संयुक्त योजना, निर्णय लेने, परिचालन समन्वय को बेहतर बनाने व कमांड पोस्ट स्थापित करने का अभ्यास कर रही हैं. भारत की तीनों सेनाओं द्वारा यहां आधुनिक युद्ध के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए लघु प्रशिक्षण अभ्यास किया जा रहा है.

इस अभ्यास में भारतीय सशस्त्र बलों की भागीदारी क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और सुरक्षा के प्रति देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, साथ ही मित्र देशों के साथ संयुक्तता, अंतर-संचालन और सहयोग को बढ़ाती है. यह अभ्यास प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित किया जाता है, जिसका पिछला अभ्यास वर्ष 2023 में हुआ था, जिसमें भारत सहित कई देशों ने अपने सैनिकों के साथ भाग लिया था.

जीसीबी/एसके

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