New Delhi, 24 अगस्त . वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने निर्यात केंद्रित उद्योगों की सहायता के लिए 25,000 करोड़ रुपए की योजानओं का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य छह वर्ष की अवधि के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और समुद्री उत्पादों जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में छोटे निर्यातकों की फंडिंग करने में सहायता करना है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया गया है, जिसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और फिर यह लागू होगा.
इन योजनाओं को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुरूप तैयार किया गया है और यह ट्रे़ड फाइनेंस और निर्यातकों के लिए बाजार पहुंच में सुधार पर ध्यान केंद्रित करेंगी.
एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत योजनाओं का यह नया पैकेज 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित 2,250 करोड़ रुपए के मिशन के बाद आया है, जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनिश्चितताओं को देखते हुए इसकी शुरुआत समय की जरूरत बन गई है.
जानकारी के मुताबिक, ये योजनाएं भारतीय निर्यात के लिए बाजारों में विविधता लाने के लिए लॉजिस्टिक्स श्रृंखला और विपणन के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करेंगी.
सरकार इस मिशन को एक दीर्घकालिक रणनीति के रूप में देखती है जो केवल टैरिफ और ट्रेड वार से अतिरिक्त अन्य चुनौतियों का समाधान करती है. इस रणनीति में निर्यात को बढ़ावा देना, बाजारों और निर्यात बास्केट दोनों में विविधता लाना शामिल है, जिससे घरेलू व्यापारों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके. भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में उच्च ब्याज दरें देश के निर्यातकों को अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में नुकसान में डालती हैं, और यह योजनाएं अधिक किफायती शर्तों पर फंडिंग करके इस अंतर को पाटने में मदद करेंगी.
यह योजनाएं एमएसएमई मंत्रालय के समन्वय से क्रियान्वित की जाएंगी, क्योंकि यह क्षेत्र देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है.
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा संकलित नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष जुलाई में भारत का व्यापारिक निर्यात 7.29 प्रतिशत बढ़कर 37.24 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने यह आंकड़ा 34.71 अरब डॉलर था.
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, “अनिश्चित वैश्विक नीतिगत माहौल के बावजूद, जुलाई और वित्त वर्ष 2026 में भारत के सेवा और व्यापारिक निर्यात में अब तक मजबूत वृद्धि हुई है और यह वैश्विक निर्यात वृद्धि से कहीं अधिक है.”
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एबीएस/
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