New Delhi, 25 अगस्त . बड़ी और विविधीकृत इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) कंपनियों की राजस्व वृद्धि दर इस वित्त वर्ष में 9-11 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी, जो इंफ्रास्ट्रक्चर के पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में स्थिर वृद्धि, बेहतर ऑर्डर बुक और परियोजनाओं के तेज क्रियान्वयन के साथ-साथ ऑर्डर मिक्स में अनुकूल बदलाव के कारण संभव हो पाएगा. यह जानकारी Monday को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई.
क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन कंपनियों का भाग्य सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों की संस्थाओं के पूंजीगत व्यय से जुड़ा है और अकेले इंफ्रास्ट्रक्चर पूंजीगत व्यय भारत के कुल पूंजीगत व्यय का 75 प्रतिशत से अधिक है.
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक गौतम शाही ने कहा, “इस वित्त वर्ष में, कुल घरेलू इंफ्रास्ट्रक्चर पूंजीगत व्यय 7-9 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो केंद्र और State government ों द्वारा स्थिर बजटीय आवंटन और निजी क्षेत्र की भागीदारी में मामूली वृद्धि के कारण संभव हो पाया है.”
शाही ने कहा कि सड़क क्षेत्र में निर्माण-संचालन-हस्तांतरण मॉडल को पुनर्जीवित करने और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में निजी निवेश बढ़ाने के सरकार के प्रयासों से निजी निवेश का हिस्सा पिछले वित्त वर्ष के 9 प्रतिशत से बढ़कर 11 प्रतिशत होने की उम्मीद है.
कुछ ईपीसी कंपनियों ने अलग-अलग इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अवसरों का लाभ उठाने के लिए विदेशों में भी विस्तार किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-2024 में 20 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज करने के बाद, पिछले वित्त वर्ष में राजस्व वृद्धि उच्च आधार पर 8.3 प्रतिशत पर सामान्य हो गई, जो घरेलू इंफ्रास्ट्रक्चर कैपेक्स में 6 प्रतिशत की वृद्धि के अनुरूप है.
ईपीसी कंपनियों की ऑर्डर बुक स्थिति अच्छी बनी हुई है, मार्च 2025 तक ऑर्डर बुक से राजस्व अनुपात 3.7 गुना है.
रिपोर्ट में बताया गया है, “ऑर्डर बुक की संरचना में बदलाव आया है, विदेशी ऑर्डरों की हिस्सेदारी एक वर्ष पहले के 23 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 तक 27 प्रतिशत हो गई है. वास्तव में, पांच वर्ष पहले यह हिस्सेदारी बहुत कम यानी 16 प्रतिशत हुआ करती थी.”
विदेशी परियोजनाओं के लिए कम समयसीमा का मतलब तेज क्रियान्वयन हो सकता है, जिससे कंपनियों की राजस्व वृद्धि की गति को बनाए रखने में मदद मिलती है. ऐसी परियोजनाओं से जुड़े जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए, कंपनियां मजबूत प्रतिपक्षों वाली या प्रतिष्ठित बहुपक्षीय वित्त पोषण एजेंसियों द्वारा समर्थित परियोजनाओं को प्राथमिकता दे रही हैं.
सेक्टोरल दृष्टिकोण से, कुल ऑर्डर बुक में बिजली परियोजनाओं – मुख्य रूप से ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन की हिस्सेदारी एक वर्ष पहले के 13 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 तक 20 प्रतिशत हो गई है और सड़क और रेलवे की तुलना में उच्च मार्जिन के कारण परिचालन लाभप्रदता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
क्रिसिल रेटिंग्स के टीम लीडर, विनीत पाटिल ने कहा, “स्थिर परिचालन प्रदर्शन के चलते, इस वित्त वर्ष में नकदी संचय बढ़कर दोहरे अंकों में पहुंच जाना चाहिए और यह वृद्धिशील कार्यशील पूंजी, इक्विटी प्रतिबद्धताओं और बड़ी ईपीसी कंपनियों के मध्यम पूंजीगत व्यय के लिए पर्याप्त होगा.”
यह स्टडी 15 ईपीसी कंपनियों पर किया गया था, जिनका पिछले वित्त वर्ष में वार्षिक राजस्व 3.15 लाख करोड़ रुपए था.
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एसकेटी/
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