Next Story
Newszop

सावन के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, बन रहा है 'अशुभ योग'

Send Push

New Delhi, 1 अगस्त . श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि Saturday को पड़ रही है. इस दिन आडल योग का निर्माण भी हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इसे अशुभ योग माना जाता है, इस दिन सूर्य कर्क राशि में रहेंगे और चंद्रमा रात के 11 बजकर 52 मिनट तक तुला राशि में रहेंगे, इसके बाद वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे.

दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 09 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर रात के 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.

आडल योग, ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है; इसका निर्माण नवरात्रि के पहले दिन साल 2022 में हुआ था. इसे शुभ कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता, साथ ही इस दिन शुभ कार्य भी वर्जित हैं.

Saturday का दिन होने के कारण शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है. कई लोग शनिदेव को भय की दृष्टि से भी देखते हैं, लेकिन यह धारणा गलत है. ज्योतिष शास्त्र में मान्यता है कि शनि देव व्यक्ति को संघर्ष देकर सोने की तरह चमकाते हैं.

शनि देव सूर्य देव और छाया के पुत्र हैं, इसलिए उन्हें छाया पुत्र भी कहा जाता है. उनके बड़े भाई यमराज हैं, जो मृत्यु के बाद व्यक्ति के कर्मों का फल देते हैं, जबकि शनि देव व्यक्ति को उनके वर्तमान जीवन में ही उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. जब शनि की साढ़े साती, ढैय्या या महादशा चलती है, तो व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे आर्थिक संकट, नौकरी में समस्या, मान-सम्मान में कमी और परिवार में कलह.

ऐसे में Saturday का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में आने वाली समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है. श्रावण मास में इस व्रत को रखने का खास महत्व है. इसके अलावा, ये व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के Saturday से शुरू किया जा सकता है (सावन में नहीं). मान्यताओं के अनुसार, 7 Saturday व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होने लगती है.

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें. इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं, उन्हें गुड़, काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें और उनके सामने सरसों के तेल का दिया भी जलाएं. रोली, फूल आदि चढ़ाने के बाद जातक को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए, साथ ही सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए और राजा दशरथ की रचना ‘शनि स्तोत्र’ का पाठ भी करना चाहिए. पूजन के बाद ‘शं शनैश्चराय नम:’ और ‘सूर्य पुत्राय नम:’, छायापुत्राय नम: का जाप करना चाहिए.

मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है. हर Saturday को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना (सरसों के तेल का दान) बेहद शुभ माना जाता है और इससे नकारात्मकता भी दूर होती है और शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

एनएस/केआर

The post सावन के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, बन रहा है ‘अशुभ योग’ appeared first on indias news.

Loving Newspoint? Download the app now