Himachali Khabar
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर पशुपालन को युवाओं के लिए व्यवसाय के रूप में स्थापित करना ही तो बड़ा कार्य है। देशां में देश हरियाणा, जित्त दूध दही का खाणा, ये कहावत हमारे प्रदेश में आम तौर पर कही और सुनी जाती है। एक बात और हमारी बुजुर्ग महिलाओं द्वारा आशीर्वाद स्वरूप कही जाती है कि ” दूधो नहाओ और पूतो फलों ” । एक और कहावत है कि पांचो उंगलियां घी में होना यानी खुशहाल होना । ये तीनो बातें हमारे राज्य के लिए ये दर्शाती है कि हमारे लिए पशु पालन कितना महत्वपूर्ण रहा है। हमारे खान पान में पशु धन उत्पाद कितना महत्व रखता है। भारतीय संस्कृति में मानव के बराबर ही पशुओं को भी महत्व दिया जाता रहा है, हमारी संस्कृति में पशुओं की पूजा की जाती रही है। ईसा से लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व से ही हमे पशु पालन के साक्ष्य मिलते है। सम्राट अशोक के समय मे पशु पालन व पशु चिकित्सा के काम भी शुरू किए गए। पशुओं की देखभाल को भी हमारी संस्कृति में बहुत ही महत्व दिया जाता था और अभी भी दिया जाता है। हम पहले से पशुओं को इंसानों के बराबर ही तवज्जो देते आए है। भारतीय संस्कृति में हमारा परिवार , बगैर पशुओं के पूरा नही माना जाता है। हम अपने पशुओं को भी त्यौहारों पर सजाते संवारते है, जैसे दीपावली के अवसर पर अपने पशुओं को नई घण्टियाँ बंधना व उनके सींगों को सजाने की भी परम्परा हमारे परिवारों में रही है । युवा साथियों, यहां मैं , एक बात का और जिक्र करना चाहूंगा कि हम अपने पशुओं को इंसानों से भी ज्यादा महत्व देते है। अगर हम जिंदगी जीते है तो हमारे पशुओं के सहारे ही जी पाते है, ये हमारी जीवन शैली में रचे बसे है। हमारी भारतीय संस्कृति में और खासकर उत्तर भारत मे तो हम ,पशुओं के बगैर जीवन की कल्पना भी नही कर सकते। जितना हम अनाज व सब्जियां खाते है उससे ज्यादा हम दूध, दही, धी, मखन, बटर, मिठाईयां, खीर, दूध से बने आहार,आइस क्रीम,छाछ, लस्सी और विभिन्न दुग्ध उत्पाद खाते है। इस लिए हमे कृषि से ज्यादा पशु पालन को महत्व देने की जरूरत है। हम अपने पशुओं को अलग अलग श्रेणी में बांटते है जैसे पहला, दूध वाले पशु, खेती में काम आने वाले पशु, सवारी ढोने, व समान ढोने वाले पशु तथा सुरक्षा, व सेना में उपयोग होने वाले वाले पशु और पैट्स।
चलो हम पशु पालन में रोजगार के विभिन्न स्कोप एवं क्षेत्रों पर चर्चा करते है :-
1. पशु चिकित्सा
2. पशु स्वास्थ्य
3. पशु चारा सहायता एवम परामर्श
4. पशु स्वास्थ्य परामर्श का क्षेत्र
5. दुग्ध उत्पादन
सीधा दूध का व्यवसाय।
गर्म दूध का बाजार तैयार करना
हल्दी वाला गर्म दूध पीने का ट्रेंड तैयार करना।
ठंडा दूध अलग अलग फ्लेवर में
तैयार कर नया ट्रेंड बनाना।
6. दूध के बाइप्रोडक्ट तैयार करना तथा ज्यादा पैसा कमाना।
जैसे, दही, देशी घी, मखन, बटर, मावा तैयार कर व्यवसाय करना।
7. पशु के चारे , खली, चाट, बिनौला आदि का क्षेत्र।
8. पशुओं के लिए गद्दे आदि का व्यवसाय।
9. दूध वाले पशुओं के लिए नहलाने के लिए बाथ किट एक बिल्कुल नया व पशुओं की स्वच्छता के लिए बेहद जरूरी सामान तैयार करना जैसे साबुन, पाउडर, तेल व मच्छर आदि से बचाने के लिए क्रीम आदि का व्यवसाय। कीट पतंगों से बचाव के लिए मच्छरदानी, पशुओं के चारे व पानी हेतु टब व खोर आदि। पशुओं के किये सर्दियों से बचाव हेतु झूल तैयार कर व्यवसायिक रूप में शुरू करना।
10. गर्मियों में छाछ के बूथ स्थापित करना।
11. अलग अलग फ्लेवर में घी तैयार करना।
12. हल्दी वाला दही तैयार कर , दही को अलग अलग फ्लेवर में तैयार कर ज्यादा आय करना।
13. पेट्स के देखभाल केंद्र स्थापित करना।
14. गांवो में पशुओं के लिए बाथ केंद्र स्थापित करना।
15. पशुओं के हेयर सैलून स्थापित करना।
16. डेयरी स्थापित करना।
17. कोऑपरेटिव डेयरी स्थापित करना जिससे सभी को अच्छा दूध मिल सके और कुछ लोगो को रोजगार मिल सके।
इसी प्रकार कुछ नए कांसेप्ट है जिन पर अगर भविष्य में शोध व विचार किया जाए तो पशु पालन क्षेत्र में अधिक रोजगार के अवसर पैदा किये जा सकते है।
1. पशुओं के लिए रिक्रिएसनल प्रोग्राम का कांसेप्ट जिसे सुनकर पशु प्रशन्न हो जाये और ज्यादा दूध दे।
2. मल्टीस्टोरिज डेयरी का कॉन्सेट जिससे कम जगह में ज्यादा पशु पाले जा सके।
3. पशु पालन के क्षेत्र में इवेंट प्रबंधन के क्षेत्र में कार्य करना।
4. मेडिसिनल घी, दही व दूध बनाने के लिए शोध करने का कांसेप्ट तैयार करना।
5. पशुओं के लिए सप्लीमेंट्री फ़ूड तैयार करने के लिए कार्यक्रम बनाना।
6. पशु स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन के कार्यक्रम।
7. शुद्ध देशी नए दुग्ध उत्पाद घरों में तैयार करने पर शोध व बाजार तैयार करना।
8. शुगर, ब्लड प्रेसर तथा हार्ट को तन्दरुस्त रखने के लिए मेडिशनल दही, घी, दूध तैयार करना।
9. पशु स्वास्थ्य की परामर्श दाता बनने के लिए पशु चिकित्सा एवम पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में 6- 6 महीने के सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए जा सकते है ।
10. पशुओं के लिए नस्ल सुधार के लिए कार्यक्रम शुरू करना।
11. पशुओं के लिए पशु स्विमिंग पूल के निर्माण का कांसेप्ट।
कुछ प्रोत्साहन योजनाएं जो पशुपालन को बढ़ावा देगी:-
1. पशु पालकों के लिए वार्षिक पुरस्कारों की शुरुआत जो अलग अलग कैटेगोरी में हो।
2. पशुपालक क्लबो की स्थापना।
3. पशु पालक कोऑपरेटिव प्रोग्राम की शुरुआत।
4. पशु महाविद्यालय व पशु विश्वविद्यालय स्तर पर मासिक विकासशील पशुपालको की मन की बात कार्यक्रम शुरू करना।
अंत मे मैं, यहां युवाओं को यही कहना चाहता हूँ कि पशु पालन का क्षेत्र आने वाले समय मे सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला होगा। इसलिए अपना स्वंय रोजगार के लिए पशु पालन का क्षेत्र बहुत ही पुनीत व बड़ा है, इसे अपना कर खुद को वा इस विश्व को स्वस्थ बनाने में सहयोग करें।
जय हिंद, वंदे मातरम
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