जब भी भारत में कोई बड़ी माता की पूजा होती है तो किसी ना किसी के अंदर माता तो जरूर आती ही है। आपमें से बहुत से लोगों ने यह खुद अपनी आँखों से देखा होगा और बहुत से लोग इस बात पर यकीन भी करते हैं कि माता सच में आती है। ज्यादातर ऐसी घटनाएं जगराते के समय होती है, और हममे में से बहुत लोगो ने यह देखा भी है। लोगो का कहना है कि माता खुद अपने दर्शन देने किसी के ज़रिये अति है और हमारी समस्या का समाधान भी करती है।
ज्यादातर माता औरतों के अंदर ही आती है, जब किसी औरत के अंदर माता आती है तो वह भगति में इतनी लीं होजाती है जिससे वह अपना सर ज़ोर ज़ोर से हिलने लगती है और जीब भी अंदर बहार करने लगती है। बहुत से लोग इस बात पे यकीन करते हैं पर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस बात पर यकीन नहीं करते, कुछ लोग बोलते हैं कि लोग ढोंग करते हैं तो कुछ लोग बोलते हैं कि इसके पीछे भी वज्ञान का हाथ है।
विज्ञान की नज़र से अगर देखा जाए तो यह सब एक दिमागी बीमारी के कारन होता है, डॉक्टर इसे मनोवज्ञानिक बीमारी कहते हैं। विज्ञान का मानना यह है कि जब कोई व्यक्ति जिसका दिमाग कमज़ोर होता है वह एक ही चीज़ के बारे में सोचता रहता है, जैसे कि जगराते के समय अगर वह माता के बारे में ही सोचता रहेगा इतने समय तक तो उसका दिमाग यही सोचने लग जाता है कि वह खुद माता है।
इसके बारे में भारत की एक मशहूर फिल्म ‘भूल भुलैया’ में भी दर्शाया गया था, जिसमे फिल्म की अभिनेत्री अपने आप को मंजुलिका समझने लग जाती है और माता आने जैसी ही हरकते करती है। अगर आप बड़े बड़े विज्ञान छेत्र में चले जाएँ तो इस घटना की वजह आपको यह ही मिलेगी।
हम जानते हैं कि कुछ लोग विज्ञान पे विश्वास नहीं करते तो कुछ ऐसी बातों पे विश्वास नहीं करते पर कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि इस बात का फायदा उठाने के लिए थोड़ी महिलाएं जान बूझकर ऐसा नाटक भी करती हैं कभी कभी, जिसने लोगों को लगता है कि माता ने उन्हें चुना है। इस बात की अभी भी खोज जारी है।
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