उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होगा। इस महापर्व में देशभर से साधु-संतों का आगमन हो रहा है।
इन साधुओं में नागा साधुओं की एक बड़ी संख्या भी शामिल है। इनमें से सबसे छोटे नागा साधु गोपाल गिरी हैं, जिनकी उम्र केवल 9 वर्ष है। वह संगम की रेती पर भगवान शिव की भक्ति में लीन हैं।
गोपाल गिरी का जीवन
गोपाल गिरी महाराज हिमाचल प्रदेश के चंबा से हैं और महाकुंभ में भाग लेने के लिए प्रयागराज आए हैं। उनके माता-पिता ने उन्हें तीन साल की उम्र में गुरु दक्षिणा के रूप में नागा संन्यासी को सौंप दिया था। वह श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़ के सदस्य हैं।
उनके गुरु थानापति सोमवार गिरी महाराज हैं। उनके गुरु भाई कमल गिरी ने बताया कि गोपाल का जन्म बरेली के अकबरपुर गांव में हुआ था और वह चार भाईयों में सबसे छोटे हैं। बचपन से ही वह भगवान शिव के भक्त रहे हैं।
भक्ति और साधु जीवन
इस कड़ाके की ठंड में गोपाल गिरी निर्वस्त्र रहकर अपने गुरु भाइयों के साथ महादेव की भक्ति में लीन रहते हैं। जब उनसे माता-पिता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उनके गुरु ही उनके माता-पिता हैं।
कमल गिरी ने बताया कि छोटे नागा साधुओं को आश्रम में पूजा, आरती और अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा दी जाती है। गोपाल गिरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपना जीवन भगवान के नाम समर्पित कर दिया है।
सर्दी और साधु जीवन
जब गोपाल गिरी से पूछा गया कि क्या उन्हें ठंड नहीं लगती, तो उन्होंने कहा कि साधु केवल भगवान को पहनते हैं। ध्यान लगाते हुए वह ठंड को महसूस नहीं करते।
उन्होंने कहा कि साधु बनने की उनकी इच्छा थी और वह हमेशा साधु रहेंगे। उनका मानना है कि भगवान के भजन में ही सच्चा आनंद है।
नागा साधुओं की परंपरा
नागा साधु हिंदू धर्म के साधु होते हैं जो हमेशा नग्न रहते हैं और युद्ध कला में माहिर होते हैं। ये साधु धार्मिक संगठनों का हिस्सा होते हैं और अखाड़ों में निवास करते हैं।
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