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चकोरी की खेती: किसानों के लिए लाभकारी विकल्प

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चकोरी की खेती के लाभ

किसान चकोरी की खेती करके कम समय में अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं चकोरी क्या है, इसकी खेती से होने वाले लाभ, खेती का सही समय और बिक्री के स्थान। चकोरी की खेती में जंगली जानवरों का खतरा नहीं होता, जिससे यह उन किसानों के लिए आदर्श है जो इस चिंता से परेशान हैं। हालांकि, कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। चकोरी एक औषधीय फसल है, इसलिए यदि आप जड़ी-बूटियों की खेती में रुचि रखते हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।


चकोरी की खेती का सही समय

कई किसान समूहों के माध्यम से चकोरी की खेती की जा रही है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में, किसान समूह बनाकर चकोरी की खेती कर रहे हैं और 5 से 7 करोड़ रुपये तक की आय प्राप्त कर रहे हैं। एक किसान ने बताया कि वे अक्टूबर-नवंबर और कभी-कभी दिसंबर में चकोरी की फसल लगाते हैं। चकोरी की फसल तीन महीने में तैयार हो जाती है, और यह अप्रैल या मई में कटाई के लिए तैयार होती है। चकोरी की फसल मूली के समान दिखती है और इसकी खेती करना सरल है।


चकोरी की मांग

यदि किसान चकोरी की खेती करने का विचार कर रहे हैं, तो उन्हें इसकी बिक्री के स्थानों की जानकारी होनी चाहिए। बाराबंकी के किसान डॉबर जैसी कंपनियों से संपर्क करके चकोरी की बिक्री करते हैं। वे कांट्रैक्ट फार्मिंग करते हैं, जिसमें पहले से कंपनी से संपर्क कर लिया जाता है और फिर खेती की जाती है। इस प्रक्रिया में फसल की कीमत पहले से तय होती है, जिससे किसानों को नुकसान का सामना नहीं करना पड़ता। चकोरी का उपयोग चॉकलेट, कॉफी पाउडर, पशु दवाइयों और बिस्किट बनाने में किया जाता है।


चकोरी की खेती में लागत और मुनाफा

किसान को किसी भी फसल की खेती से पहले लागत और मुनाफे की जानकारी होनी चाहिए। चकोरी की खेती में एक एकड़ में लागत 20,000 से 25,000 रुपये आती है। वहीं, बाराबंकी के किसान एक एकड़ से 1,25,000 रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं। इसलिए, किसानों को पहले चकोरी की मांग करने वाली कंपनियों से संपर्क करना चाहिए। कांट्रैक्ट फार्मिंग एक बेहतर विकल्प है।


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