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लद्दाख का 'सोलो' पौधा: संजीवनी बूटी के गुणों से भरपूर

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लद्दाख का अद्भुत 'सोलो' पौधा

हिमालय की ऊंची चोटियों पर जीवन जीना कठिन है, लेकिन यहां एक अद्भुत जड़ी-बूटी, रोडियोला या 'सोलो', उगती है। यह पौधा इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अगस्त को अपने संबोधन में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के कई उत्पादों का उल्लेख किया, जिनमें 'सोलो' का विशेष रूप से जिक्र किया गया। यह पौधा न केवल औषधीय उपयोग में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बर्फीली पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के लिए भी जीवनदायिनी साबित होता है।


संजीवनी बूटी की खोज

प्राचीन काल से हिमालय में संजीवनी बूटी की चर्चा होती रही है। रामायण में हनुमान ने लक्ष्मण को बचाने के लिए हिमालय से संजीवनी बूटी लाने का उल्लेख है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 'सोलो' पौधे के गुणों के कारण यह संजीवनी बूटी की खोज का अंत हो सकता है। यह पौधा ऑक्सीजन की कमी के दौरान न्यूरॉन्स की रक्षा करता है और शरीर की इम्यूनिटी को बनाए रखने में मदद करता है।


सोलो पौधे के औषधीय गुण

'सोलो' पौधा लद्दाख के ठंडे और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। यह उच्च ऊंचाई पर रहने वाले लोगों के लिए सांस लेने में मदद करता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह पौधा शरीर को पर्वतीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाने में सहायक है। इसे स्थानीय लोग रोजरूट के नाम से जानते हैं।


सोलो के अन्य लाभ

'सोलो' में एंटी-स्ट्रेस गुण होते हैं और यह मेमोरी को सुधारने में मदद करता है। यह कैंसर से लड़ने की क्षमता भी रखता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह जड़ी-बूटी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है और रेडियोएक्टिविटी से भी सुरक्षा प्रदान करती है।


सोलो की खेती और अनुसंधान

लेह के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह औषधि भारतीय सेना के जवानों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। सोलो की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान चल रहा है, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सकें।


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