क्या आपने कभी सोचा है कि मुर्गा सुबह-सुबह बांग क्यों देता है? यह सवाल बहुत से लोगों के मन में आता है, खासकर जो ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। आज हम इस प्रश्न का उत्तर देने जा रहे हैं।
मुर्गे की जैविक घड़ी मुर्गे की सर्कडियन क्लॉक
मुर्गा सुबह के समय को बहुत सटीकता से पहचानता है। यह उसकी शारीरिक संरचना और आंतरिक विशेषताओं के कारण संभव है। इसलिए, मुर्गे को जैविक घड़ी या सर्कडियन क्लॉक कहा जाता है।
मुर्गियाँ बांग क्यों नहीं देतीं? मुर्गियों का व्यवहार
अब सवाल यह है कि मुर्गा सुबह बांग क्यों देता है जबकि मुर्गियाँ ऐसा नहीं करतीं। इसका कारण यह है कि मुर्गे में सुबह के समय हार्मोनल गतिविधि अधिक होती है। वहीं, मुर्गियों के हार्मोन अलग होते हैं, जिससे वे बांग देने के बजाय कुड़कुड़ाती हैं।
वैज्ञानिक शोध मुर्गों की बांग पर शोध
जापानी वैज्ञानिकों ने मुर्गों की बांग पर एक अध्ययन किया, जिसमें यह पाया गया कि मुर्गे भोर से पहले की हल्की रोशनी में सुबह के आगमन का सही अनुमान लगा लेते हैं। उनका यह व्यवहार उनकी आंतरिक घड़ी और सर्कैडियन लय से नियंत्रित होता है।
शोध का निष्कर्ष शोध में क्या पाया गया?
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने मुर्गों के दो समूह बनाए। एक समूह को दिन के उजाले में और दूसरे को 12 घंटे तक कम रोशनी में रखा गया। जैसे ही मंद प्रकाश को तेज किया गया, उस समूह के मुर्गे बांग देने लगे। यह स्पष्ट हो गया कि वे सूरज की रोशनी को समझकर बांग देने लगते हैं।
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