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कशिश मेथवानी: जिन्होंने तय किया ब्यूटी क्वीन से आर्मी अफ़सर तक का सफ़र

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Kashish Methwani

'सपने का हकीक़त बनना'. अगर बात कशिश मेथवानी की उपलब्धियों की हो तो ये वाक्य कई बार दोहराना पड़ेगा.

भारत के शीर्ष संस्थान से न्यूरोसाइंस में पोस्ट ग्रैजुएशन करना, फिर मिस इंडिया इंटरनेशनल बनना और अब इन सबको पीछे छोड़कर देश की सेवा के लिए डिफ़ेंस सर्विसेज़ में शामिल होना. कशिश मेथवानी ने ये सब कर दिखाया है.

कशिश का जन्म डॉक्टर गुरमुख दास और शोभा मेथवानी के घर हुआ था. कशिश के पिता एक साइंटिस्ट हैं, जो रक्षा मंत्रालय के क्वॉलिटी एश्योरेंस विभाग से डायरेक्टर जनरल के पद से रिटायर हो चुके हैं और उनकी मां शोभा मेथवानी पुणे के आर्मी पब्लिक स्कूल में टीचर थीं.

कशिश और उनकी बहन दोनों ही आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ीं और उन्हें किसी आम स्टूडेंट की तरह ही पाला गया है. जब कशिश तीसरी कक्षा में थीं तो किसी दूसरे स्टूडेंट के अभिभावक ने उनकी मां से कहा कि आपकी बेटी साधारण नहीं है और वह ज़िंदगी में ज़रूर एक ख़ास मुक़ाम हासिल करेगी.

मां ने बताया कैसा था बचपन image Kashish Methwani कशिश की मां शोभा मेथवानी पुणे आर्मी स्कूल में टीचर थीं

एक शिक्षिका होने के नाते, शोभा चाहती थीं उनकी बेटी एक सामान्य बच्चे की तरह ही पले-बढ़े और उन्होंने कशिश को कभी भी दूसरे बच्चों से हटकर या ख़ास नहीं समझा.

कशिश के बचपन को याद करते हुए शोभा मेथवानी बताती हैं, "वह सबकुछ करना चाहती थी. हमने सिर्फ़ यही किया कि उसे अलग-अलग क्लासेज़ दिलवाईं. उसने भरतनाट्यम, तबला समेत कई चीज़ें सीखी. इसके पिता के ट्रांसफ़र की वजह से वह कभी कोई कोर्स पूरा नहीं कर पाई. लेकिन हमने सोचा कि भले ही वो उस विषय में पारंगत न हो लेकिन सीखने का मौका मिलना ही काफ़ी है."

कशिश मेथवानी ने साइंस में ग्रैजुएशन किया और सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री पूरी की. इसके बाद उन्हें बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस में एमएससी थीसिस के लिए चुना गया.

प्रतिष्ठित संस्थान से पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नामी संस्थानों में भी दाखिले के मौके मिले. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला भी मिल गया. मगर कशिश के दिलो-दिमाग में कुछ और ही था.

image BBC पीएम मोदी से मिला था सम्मान

कॉलेज के दौरान कशिश ने नेशनल कैडेट कोर यानी एनसीसी में दाखिला लिया. वह गणतंत्र दिवस परेड कैंप के लिए चुनी गईं और परेड में हिस्सा लिया.

वहां शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें ऑल इंडिया बेस्ट कैडेट ट्रॉफ़ी से नवाज़ा गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों उन्हें सम्मानित भी किया गया.

कशिश बताती हैं, "जब मैं कैंप में थी, तभी मुझे महसूस हुआ कि मुझे ये सब पसंद है. ग्रुप में रहना, ट्रेनिंग करना, परेड करना. तभी मैंने डिफेंस में करियर बनाने का फ़ैसला कर लिया."

हालांकि, यह सफर तुरंत शुरू नहीं हुआ. पढ़ाई पूरी करने के बाद कशिश ने ब्यूटी पेजेंट की तैयारी शुरू कर दी.

उन्होंने मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और साल 2023 में मिस इंडिया इंटरनेशनल का ख़िताब भी अपने नाम किया.

image Kashish Methwani एयर चीफ़ मार्शल एपी सिंह के साथ कशिश और उनका परिवार

इसी दौरान कशिश डिफेंस के एंट्रेंस एग्ज़ाम की भी तैयारी कर रही थीं. उन्होंने दिन को दो हिस्सों में बांट दिया. सुबह वह एंट्रेंस एग्ज़ाम की तैयारी करती थीं और दोपहर के बाद ब्यूटी पेजेंट की.

वह कहती हैं, "मुझे हमेशा नई-नई चीज़ें आज़माने में अच्छा लगता है. मेरा मोटो था कि अलग-अलग चीज़ें ट्राय करो और फिर वो चुनो जो आपको खुशी दे. माता-पिता ने टाइम मैनेजमेंट सिखाया था. एनसीसी के बाद कॉलेज में रोज़ जाना ज़रूरी नहीं था, तो मैंने इस समय का इस्तेमाल पेजेंट की तैयारी में किया."

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सुपर मॉडल से डिफेंस तक का सफ़र image Kashish Methwani कशिश मेथवानी अपने माता-पिता और बहन के साथ

मिस इंडिया इंटरनेशनल बनने के बाद कशिश एक सुपरमॉडल बन गईं.

लेकिन उनकी मानें तो यह सिर्फ़ उनकी 'बकेट लिस्ट' का हिस्सा था.

उन्होंने 2024 में कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज़ परीक्षा दी और ऑल इंडिया रैंक 2 हासिल की. इसके साथ ही चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से उनके ऑफिसर बनने का सफ़र शुरू हो गया.

कशिश मानती हैं कि कई क्षेत्रों में हाथ आज़माने के बाद भी उन्हें एकेडमी की ट्रेनिंग को लेकर आत्मविश्वास नहीं था.

वह कहती हैं, "मुझे फिज़िकल ट्रेनिंग को लेकर थोड़ा सा शक था. लेकिन मेरी पिछली ट्रेनिंग और अनुभव ने यहां मदद की. पेजेंट ने सिखाया कि डरना नहीं है और इसी ने मुझे ट्रेनिंग पार करने में मदद की."

कशिश के परिवार का सेना से जुड़ा कोई बैकग्राउंड नहीं रहा. उनकी मां शोभा मेथवानी मानती हैं कि उन्हें कशिश की ट्रेनिंग के दौरान मिली उपलब्धियों का महत्व पूरी तरह समझ नहीं आया.

उन्होंने कहा, "मुझे बस इतना पता था कि मेरी बेटी अच्छा कर रही है."

अपने सफर को आगे बढ़ाते हुए कशिश ने आर्मी एयर डिफेंस मेडल भी जीता, जो किसी कमीशंड ऑफ़िसर को मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान है.

उन्होंने मार्चिंग और शूटिंग दोनों में गोल्ड मेडल, सिख लाइन इन्फैंट्री रेजिमेंट मेडल, एकेडमी में सर्वोच्च शूटिंग स्कोर और ड्रिल एंड डिसिप्लिन बैज हासिल किए.

कशिश ने इंटरकॉय बास्केटबॉल प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार भी जीता और पूरी ट्रेनिंग बिना किसी सज़ा के ख़त्म की.

मिली कई अहम ज़िम्मेदारियां image Kashish Methwani

कशिश को लीडरशिप वाली भूमिकाएं भी सौंपी गईं. एक टर्म के लिए वह बटालियन अंडर ऑफ़िसर (बीयूओ) और दूसरे टर्म में वह एकेडमी अंडर ऑफ़िसर रहीं. उनकी मां इसे स्कूल की 'हेड गर्ल' की भूमिका से भी जोड़ती हैं.

अपनी उपलब्धियों पर बात करते हुए कशिश कहती हैं, "मुझे कभी असफलता का डर नहीं था. मैंने वही किया जो मुझे सबसे ज़्यादा पसंद था. मुझे सिखाया गया था कि चांद तक पहुंचने के लिए सितारों को अपना लक्ष्य बनाओ. मैंने बस वही किया."

कशिश ने 'क्रिटिकल कॉज़' नाम का एक एनजीओ भी बनाया है, जो ऑर्गन डोनेशन और प्लाज़्मा डोनेशन के लिए जागरुकता बढ़ाने का काम करता है.

वह एक भरतनाट्यम डांसर हैं, तबला वादक हैं, बास्केटबॉल खिलाड़ी और राष्ट्रीय स्तर की पिस्टल शूटर भी हैं. लेकिन उनकी बकेट लिस्ट अब भी ख़त्म नहीं हुई है.

अब वह पिस्टल शूटिंग को फिर से शुरू करना चाहती हैं, जिसे पिछले कुछ सालों में उन्हें छोड़ना पड़ा था.

कशिश 27 सितंबर को सेना में शामिल होने जा रही हैं. रक्षा क्षेत्र में अपने भविष्य के बारे में वह कहती हैं, "मैं यहां लंबी पारी खेलने के लिए हूं. एक बार में सिर्फ़ एक ही चीज़ कर रही हूं."

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