अंतरराष्ट्रीय मंच पर सधे हुए सूट और पीछे की ओर संवारे बालों के साथ कदम बढ़ाते हुए, सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल-शरा का पब्लिक ट्रांसफॉर्मेशन अब निर्णायक दौर में दिख रहा है.
कभी लड़ाकू वर्दी में नज़र आने वाले ये शख़्स अब नए नाम और नई पहचान के साथ दुनिया के सबसे ताक़तवर नेताओं से हाथ मिला रहे हैं.
अहमद अल-शरा आधिकारिक दौरे पर वॉशिंगटन पहुंचे हैं, ठीक दो दिन बाद जब अमेरिका ने औपचारिक रूप से उनका स्पेशली डेज़िगनेटेड ग्लोबल टेररिस्ट का दर्जा वापस ले लिया.
इस पूर्व इस्लामिक मिलिटेंट ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात की है. यह वही व्यक्ति हैं जिसके बाग़ी गठबंधन ने 11 महीने पहले सीरिया में बशर अल-असद को सत्ता से बेदख़ल किया था.
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तो सवाल यह है कि जिस शख़्स के सिर पर कभी अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा था, उसमें यह नाटकीय बदलाव कैसे आया?
सत्ता संभालने के एक साल बाद से अहमद अल-शरा सीरिया की उस अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो असद शासन के लंबे अलगाव और 13 साल के गृहयुद्ध में खो गई थी.
Getty Images सीरियाई राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी तस्वीर में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (बाएं) और सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा हाथ मिलाते हुए. बदलती छवि और नई रणनीति पिछले सितंबर में उन्होंने अमेरिका की यात्रा की थी, जहां संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि सीरिया "दुनिया के देशों के बीच अपना वाजिब स्थान दोबारा हासिल कर रहा है."
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से प्रतिबंध हटाने की अपील की थी.
हालांकि, अल-शरा के प्रति ये रवैया अचानक नहीं बदला है. पिछले एक दशक से यह बहुत सोची-समझी रणनीति के तहत हुआ है जो न सिर्फ़ उनके सार्वजनिक बयानों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया इंटरव्यूज़ में झलकता है, बल्कि उनकी बदलती शख़्सियत और पहनावे में भी दिखता है.
वो ऐसे व्यक्ति लगते हैं जो संकेतों के असर को अच्छी तरह समझते हैं.
कभी पारंपरिक जिहादी वेशभूषा में दिखने वाले अल-शरा ने पिछले कुछ सालों में पश्चिमी अंदाज़ के कपड़ों को अपनाया. वहीं, पिछले साल असद की सरकार को गिराने के अभियान के दौरान वे फौजी वर्दी में नज़र आए, जो उनके ऑपरेशन्स कमांडर की भूमिका का प्रतीक थी.
यह सब उस समय से बिल्कुल अलग है, जब लोग उन्हें अबू मोहम्मद अल-जोलानी के नाम से जानते थे.
यह नाम उन्होंने तब इस्तेमाल किया था, जब वे हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) नाम के संगठन के प्रमुख थे. यह समूह पहले अल-क़ायदा से जुड़ा था, लेकिन 2016 में अहमद अल-शरा ने उससे अपने रिश्ते तोड़ लिए थे.
एचटीएस का नेतृत्व करने से पहले अहमद अल-शरा ने इराक़ में अल-क़ायदा के लिए लड़ाई लड़ी थी और एक समय वे अमेरिकी फ़ोर्स की कैद में भी रहे थे.
शरा के नेतृत्व में एचटीएस इदलिब में सबसे असरदार ताकत बन गया. यह उत्तर-पश्चिम सीरिया का सबसे बड़ा बाग़ी इलाका है, जहां करीब 40 लाख लोग रहते हैं. इनमें से कई लोग देश के दूसरे प्रांतों से बेघर होकर यहां आए थे.
क्षेत्र पर एक सशस्त्र संगठन के शासन को लेकर उठी चिंताओं को कम करने के लिए एचटीएस ने 2017 में एक नागरिक संगठन बनाया, जिसे सीरियन साल्वेशन गवर्नमेंट (एसजी) कहा गया. यह संगठन एचटीएस का राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचा था.
एसजी एक सरकार की तरह काम करता था. इसमें एक प्रधानमंत्री, मंत्रालय और स्थानीय विभाग थे जो शिक्षा, स्वास्थ्य और पुनर्निर्माण जैसे काम संभालते थे. इसके साथ ही यह शरिया यानी इस्लामी कानून से चलने वाली एक धार्मिक परिषद भी बनाए रखता था.
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अपनी छवि को और बदलने के लिए अहमद अल-शरा ने लोगों के बीच जाकर सक्रिय भूमिका निभाई. वे विस्थापन शिविरों में पहुंचे, स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल हुए और राहत कार्यों की निगरानी की. उन्होंने यह काम ख़ास तौर पर 2023 के भूकंप जैसी बड़ी आपदाओं के दौरान किया.
एचटीएस ने शासन और विकास से जुड़ी अपनी उपलब्धियों को सामने रखा, ताकि यह साबित कर सके कि उसका प्रशासन वैध है और वह स्थिरता साथ ही जरूरी सेवाएं देने में सक्षम है.
2021 में जब तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता में लौटे, तब एचटीएस ने उनकी तारीफ की थी. उन्होंने तालिबान को एक प्रेरणा और ऐसा मॉडल बताया था जिसने जिहादी अभियान और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बीच सही संतुलन बनाया और अपने लक्ष्य पाने के लिए रणनीतिक समझौते किए.
इदलिब में शरा के प्रयास भी उनकी इसी बड़ी रणनीति का हिस्सा थे, यह दिखाने के लिए कि एचटीएस सिर्फ लड़ाई ही नहीं, बल्कि शासन चलाने की क्षमता भी रखता है. उन्होंने स्थिरता, जनसेवाओं और पुनर्निर्माण पर ध्यान देकर इदलिब को एचटीएस शासन के तहत एक सफल उदाहरण के रूप में पेश करने की कोशिश की. इससे संगठन की वैधता और उनकी खुद की राजनीतिक छवि दोनों को मज़बूती मिली.
इन सुधारों के बाद, इस साल की शुरुआत में अमेरिका ने एचटीएस पर लगे प्रतिबंध हटा लिए.
हालांकि, शरा के नेतृत्व में एचटीएस पर आरोप लगे कि उसने अपनी ताकत बढ़ाने और पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण पाने के लिए दूसरे जिहादी और बागी गुटों को दबा दिया और किनारे कर दिया.
असद की सत्ता से विदाई से कुछ महीने पहले एचटीएस ने कई सुधार शुरू किए थे. उसने मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप झेल रही एक विवादास्पद सुरक्षा इकाई को खत्म या नया रूप दिया और लोगों की शिकायतें सुनने के लिए एक ग्रिवेन्स डिपार्टमेंट बनाया.
लेकिन आलोचकों का कहना था कि ये कदम सिर्फ दिखावे के थे, ताकि असहमति और विरोध को दबाया जा सके.
Reuters राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि सीरिया पर लगे प्रतिबंध हटा दिए जाएं नई छवि, अंतरराष्ट्रीय समर्थन और नई चुनौतियां अहमद अल-शरा की डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात उनके डिप्लोमैटिक रीब्रांडिंग के लिए एक और बड़ा कदम मानी जा रही है. मई में वे सऊदी अरब की राजधानी रियाद के दौरे पर ट्रंप से मिल चुके हैं, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हें "एक मज़बूत इंसान, जिनका अतीत बेहद कठोर रहा है" बताया था.
सितंबर में शरा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के लिए अमेरिका की यात्रा की थी, जहां उन्होंने कहा था कि सीरिया "दुनिया के देशों के बीच अपना वाजिब स्थान दोबारा हासिल कर रहा है" और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से प्रतिबंध हटाने की अपील की थी.
इसके जवाब में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमेरिका की तरफ़ से पेश प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसके तहत कई प्रतिबंध हटाने के कदमों को मंज़ूरी दी गई. यह फैसला ऐसे समय आया जब अमेरिका पहले से ही सीरिया और उसकी नई सरकार पर लगे प्रतिबंधों को धीरे-धीरे कम करने की प्रक्रिया में था.
अपने अतीत के बावजूद, अल-शरा को उन सरकारों का समर्थन मिला है जो पहले असद शासन के विरोध में थीं. उन्होंने वादा किया है कि वे एक ऐसी मध्यमपंथी सरकार चलाएंगे जो सीरिया के अलग-अलग जातीय और धार्मिक समूहों का भरोसा जीत सके.
द इकॉनॉमिस्ट को दिए एक इंटरव्यू में शरा ने कहा था, "हम बदले की भावना पर भविष्य नहीं बना सकते. सीरिया को अपने सभी लोगों का घर बनना होगा सिर्फ़ विजेताओं का नहीं."
असल में, उनके अमेरिका पहुंचने से कुछ घंटे पहले यह घोषणा की गई कि सीरियाई सुरक्षा बलों ने इस्लामिक स्टेट समूह के दर्जनों संदिग्ध सदस्यों को हिरासत में लिया है.
इससे पहले, इस साल की शुरुआत में शरा ने यह भी वादा किया था कि वे अपनी सुरक्षा एजेंसियों से उन तत्वों को बाहर करेंगे जिन पर अलावी अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को मार डालने के आरोप लगे थे.
हालांकि अब यह प्रतिबद्धता कठिन परीक्षा से गुजर रही है. हाल ही में सुन्नी बेदुईन जनजातीय लड़ाकों और द्रूज़ मिलिशियाओं के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं.
इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अहमद अल-शरा की नई छवि और वैश्विक मान्यता के बावजूद क्या एचटीएस के नेतृत्व वाली सरकार उस देश में स्थिरता बहाल कर पाएगी जो पिछले एक दशक से ज्यादा समय से युद्ध की आग में झुलस रहा है.
बीबीसी मॉनिटरिंग, बीबीसी ग्लोबल जर्नलिज़्म और बीबीसी न्यूज़ की रिपोर्टिंग के साथ
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